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सर्वपितृ अमावस्या: पितृ पक्ष में नहीं कर पाएं श्राद्ध तो 21 सितंबर को है पूर्वजों को प्रसन्न करने का आखिरी मौका

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Sarva Pitru Amavasya 2025: पितृपक्ष में अपने पूर्वजों का श्राद्ध, तर्पण या पिंडदान करना हमारी सनातन संस्कृति की एक महत्वपूर्ण परंपरा है।

लेकिन कई बार किन्हीं कारणों से ऐसा हो नहीं पाता।

अगर आपसे भी इस साल पितृपक्ष में श्राद्ध छूट गया है, तो घबराएं नहीं।

21 सितंबर 2025, रविवार को पड़ने वाली सर्वपितृ अमावस्या आपके लिए एक आखिरी मोका लेकर आई है।

इस दिन आप एक साथ सभी पूर्वजों का श्राद्ध करके उन्हें तृप्त कर सकते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

पितृपक्ष का अंतिम दिन 

इस वर्ष इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है क्योंकि इसी दिन सूर्य ग्रहण (Surya Grahan 2025) भी लग रहा है।

हालांकि, यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए धार्मिक कार्यों पर इसका कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

सर्वपितृ अमावस्या पितृपक्ष का अंतिम दिन होता है, जब पितृ पितृलोक वापस लौट जाते हैं।

यह उन्हें विदा करने और उनकी कृपा पाने का अंतिम मौका होता है।

सर्वपितृ अमावस्या 2025: शुभ मुहूर्त और तिथि

  • अमावस्या तिथि प्रारंभ: 21 सितंबर 2025, रात 12:16 बजे
  • अमावस्या तिथि समापन: 22 सितंबर 2025, रात 01:23 बजे
  • कुतुप मुहूर्त: सुबह 11:50 बजे से दोपहर 12:38 बजे तक
  • रोहिणी मुहूर्त: दोपहर 12:38 बजे से दोपहर 01:27 बजे तक

श्राद्ध, तर्पण और दान जैसे कार्य इन्हीं शुभ मुहूर्तों के दौरान किए जाने चाहिए।

किन पूर्वजों का श्राद्ध करें सर्वपितृ अमावस्या पर?

सर्वपितृ अमावस्या के दिन उन सभी पूर्वजों का श्राद्ध किया जा सकता है:

  • जिनकी मृत्यु तिथि (पुण्यतिथि) ज्ञात नहीं है।
  • जिनकी मृत्यु अमावस्या, पूर्णिमा या चतुर्दशी तिथि को हुई हो।
  • जिनका श्राद्ध पितृपक्ष में किसी कारणवश छूट गया हो।

पितरों को तृप्त करने के सरल और शुभ उपाय

इस दिन निम्नलिखित उपाय करके आप अपने पितरों को प्रसन्न कर सकते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं:

1. तर्पण और पिंडदान:

  • सुबह जल्दी स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • जल, तिल, कुशा, दूध, घी, चावल और गुड़ मिलाकर तर्पण करें।
  • तर्पण करते समय दक्षिण दिशा की ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें: “ॐ पितृभ्यः स्वधा, नमः”
  • चावल, तिल, दूध और घी मिलाकर पिंड बनाएं और उसे दक्षिण दिशा की ओर अर्पित करने के बाद विसर्जित कर दें।

2. दीपदान (दीया जलाना):

  • घर की दक्षिण दिशा में, जिसे पितरों की दिशा माना जाता है, एक दीपक जलाएं।
  • इसमें शुद्ध घी का प्रयोग करें और थोड़े काले तिल डालना शुभ रहता है।
  • शाम के समय तुलसी के पौधे के पास भी दीपक जलाएं। ऐसा करने से माता लक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त होती है।
  • घर के बाहर, छत पर या किसी पवित्र नदी के किनारे भी दीपक जलाया जा सकता है।

3. पीपल वृक्ष की पूजा:

  • पीपल के पेड़ की पूजा करें, जल चढ़ाएं और उसके नीचे दीपक जलाएं।
  • पीपल के वृक्ष की 5 य 7 परिक्रमा करने से पितृ दोष दूर होते हैं।

4. दान-पुण्य (भोजन और वस्त्र दान):

  • किसी गरीब, जरूरतमंद या ब्राह्मण को भोजन कराएं। भोजन में पितरों की पसंदीदा चीजें (जैसे खीर, पूड़ी, मौसमी फल) शामिल करें।
  • अनाज, कपड़े, जूते, छाता आदि का दान करना बहुत शुभ माना जाता है।
  • अपनी शक्ति के अनुसार तिल, गुड़, शहद, दक्षिणा आदि का दान भी कर सकते हैं।

5. पंचबलि का अनुष्ठान:

  • इस दिन पंचबलि का विशेष महत्व है।
  • इसमें गाय, कुत्ते, कौए, देवताओं और चींटियों के लिए अलग-अलग भोजन निकालकर अर्पित किया जाता है।
  • इससे पितरों को तृप्ति मिलती है।

सर्वपितृ अमावस्या के दिन क्या न करें?

  • इस दिन तामसिक भोजन (प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा) और किसी भी प्रकार के नशे से दूर रहें।
  • जितना हो सके, सात्विक और साधारण भोजन ही ग्रहण करें।
  • इस दिन किसी भी प्रकार का झगड़ा या अपशब्द कहने से बचें।

पितरों का आशीर्वाद है सबसे बड़ी पूंजी

सर्वपितृ अमावस्या का दिन पितृपक्ष की समाप्ति और पितरों को विदा देने का दिन है।

इस दिन किए गए छोटे से भी पुण्य कर्म का फल पितरों को अवश्य मिलता है और वे प्रसन्न होकर अपने वंशजों को दीर्घायु, स्वास्थ्य, सुख-समृद्धि और मोक्ष का आशीर्वाद देते हैं।

इसलिए, इस अवसर का लाभ उठाएं और विधि-विधान से अपने पूर्वजों का श्राद्ध करके उनकी कृपा प्राप्त करें।

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