Sharad Purnima 2025: शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपनी पूर्णता और सर्वाधिक चमक पर होता है।
शरद पूर्णिमा या ‘कोजागरी पूर्णिमा’ के बारे में मान्यता है कि इस रात चंद्रमा की किरणों से अमृत की वर्षा होती है।
शरद पूर्णिमा की रात खीर बनाकर चांद की रोशनी में रखी जाती है यह परंपरा सदियों से चली आ रही है।
आइए, जानते हैं इस पर्व के महत्व, खीर को चांदनी में रखने के वैज्ञानिक और धार्मिक कारण…
शरद पूर्णिमा 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है।
इस वर्ष यह पर्व 6 अक्टूबर, 2025 (सोमवार) को मनाया जाएगा।
- पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 6 अक्टूबर, दोपहर 12 बजकर 23 मिनट से
- पूर्णिमा तिथि समाप्त: 7 अक्टूबर, सुबह 9 बजकर 16 मिनट पर
- चंद्रोदय समय: 6 अक्टूबर को शाम लगभग 05 बजकर 27 मिनट पर
- विशेष बात: चूंकि पूर्णिमा तिथि चंद्रोदय के समय व्याप्त है, इसलिए व्रत और पूजन 6 अक्टूबर को ही किया जाएगा। चंद्रोदय के समय चंद्र देव को अर्घ्य देना विशेष फलदायी माना गया है।
क्यों कहा जाता है ‘अमृत बरसाने वाली रात’?
शरद पूर्णिमा की रात को ‘अमृत बरसाने वाली रात’ कहने के पीछे गहरी वैज्ञानिक और आध्यात्मिक मान्यताएं हैं।
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आयुर्वेदिक दृष्टिकोण: आयुर्वेद में माना जाता है कि शरद ऋतु में चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है और उसकी किरणों में उपचारात्मक गुण होते हैं। इस रात चंद्रमा की किरणें एक विशेष प्रकार की ऊर्जा और पोषण प्रदान करती हैं, जिसे ‘अमृत तुल्य’ माना गया है। कहते हैं कि इन किरणों के सम्पर्क में आने से जड़ी-बूटियों की औषधीय शक्ति कई गुना बढ़ जाती है।
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खगोलीय दृष्टिकोण: इस समय वातावरण में नमी और शीतलता का सही संतुलन होता है, जिसके कारण चंद्रमा की रोशनी एक विशेष प्रकार की ऊर्जा से युक्त होती है। यह ऊर्जा भोजन और जल को शुद्ध करने और उसके पोषक तत्वों को बढ़ाने में सहायक मानी जाती है।
खुले आसमान के नीचे क्यों रखी जाती है खीर?
शरद पूर्णिमा की सबसे प्रमुख और रोचक परंपरा है खीर को रातभर खुले आसमान के नीचे चांदनी में रखना।
सके पीछे ये कारण हैं:
1. चांदनी का अमृतमयी प्रभाव:
मान्यता है कि चंद्रमा की इन विशेष किरणों का सीधा संपर्क खीर जैसे पौष्टिक पदार्थ पर पड़ने से वह अमृत के समान बन जाती है।
जब खीर 3-4 घंटे या पूरी रात चांदनी के सम्पर्क में रहती है, तो चंद्र किरणें उसमें मौजूद पोषक तत्वों के साथ एक रासायनिक क्रिया करती हैं।
सुबह इस प्रसाद रूपी खीर का सेवन करने से शरीर निरोग रहता है और मानसिक शांति मिलती है।
2. मां लक्ष्मी का आशीर्वाद:
शरद पूर्णिमा को मां लक्ष्मी के प्राकट्योत्सव के रूप में भी मनाया जाता है।
मान्यता है कि इस रात मां लक्ष्मी धरती पर भ्रमण करती हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं।
खीर, जो सादगी और शुद्धता का प्रतीक है, मां लक्ष्मी को अत्यंत प्रिय है।
इसलिए चांदनी में रखी हुई खीर का भोग लगाने और प्रसाद के रूप में ग्रहण करने से घर में धन-समृद्धि का वास होता है।
3. स्वास्थ्य का वरदान:
खीर बनाने में प्रयुक्त होने वाली सामग्री जैसे दूध, चावल, ड्राई फ्रूट्स और केसर पहले से ही पौष्टिकता से भरपूर हैं।
दूध में कैल्शियम और प्रोटीन, चावल में कार्बोहाइड्रेट और मिनरल्स, तथा ड्राई फ्रूट्स में विटामिन और अच्छी वसा होती है।
माना जाता है कि चांदनी की इस विशेष ऊर्जा के सम्पर्क में आने से खीर की पाचन क्षमता और गुणवत्ता बढ़ जाती है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करती है।
आयुर्वेदाचार्य भी वर्षभर इस रात का इंतजार करते हैं ताकि जड़ी-बूटियों को इस अमृतमयी चांदनी में रखकर उनकी शक्ति बढ़ा सकें।
शरद पूर्णिमा कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन काल में एक गांव में एक व्यापारी रहता था, जिसकी दो बेटियां थीं।
दोनों की ही धर्म-कर्म में रुचि थी. वह नियमित रूप से विष्णु जी की पूजा करती और हर पूर्णिमा को व्रत रखती थीं।
लेकिन छोटी बहन शाम के समय भोजन कर लेती थी, जिसके कारण उसे व्रत का पुण्य फल नहीं मिलता था।
कुछ ही साल में व्यापारी ने अपनी दोनों बेटियों की शादी संपन्न परिवार में कर दी।
शादी के कुछ साल बाद दोनों बहनों को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई, लेकिन छोटी बहन का पुत्र दीर्घायु न होने के कारण मर जाता है।
तभी बड़ी बहन आती है और उसके छूने से पुत्र फिर से जीवित हो जाता है।
छोटी बहन ने जब इसका कारण अपनी बड़ी बहन से पूछा तो उसने बताया कि तो तुमने शरद पूर्णिमा का व्रत पूरी विधि से नहीं रखा था।
छोटी बहन को अपनी गलती क अहसास हुआ और उसने भगवना से क्षमा मांग ली और फिर विधि विधान से इस व्रत को करने लगी।
कहा जाता है कि इसी के बाद से शरद पूर्णिमा के दिन पूजा-पाठ और व्रत रखने की परंपरा का आरंभ हो गया।
शरद पूर्णिमा पर रहेगा भद्रा का साया
शरद पूर्णिमा पर किन चीजों का दान करना चाहिए?
- चावल
- दूध
- धन
- खीर
- वस्त्र
- मूंग दाल
- दही
- शहद
- केसर
- पानी
शरद पूर्णिमा 2025: पूजन विधि और विशेष उपाय
- स्वास्थ्य लाभ के लिए: इस दिन सात्विक भोजन ग्रहण करें और रात्रि में पारंपरिक विधि से खीर बनाएं। इसे चांदनी में रखने के बाद अगली सुबह प्रसाद रूप में परिवार के सभी सदस्यों को बांटें।
- धन-समृद्धि के लिए: रात्रि में मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा करें। उन्हें लाल फूल, कौड़ियां, या लाल वस्त्र अर्पित करें। दीपक जलाकर घर का मुख्य द्वार खुला रखें, ताकि मां लक्ष्मी का आगमन हो सके।
- आंखों के लिए लाभ: इस रात चंद्रमा को निहारना और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सुई में धागा पिरोना आंखों की रोशनी के लिए अत्यंत लाभकारी माना गया है।
आसान और स्वादिष्ट खीर की रेसिपी
सामग्री:
- 1 लीटर फुल क्रीम दूध
- 1/4 कप बासमती चावल
- 1/2 कप चीनी (स्वादानुसार)
- 4-5 हरी इलायची (दरदरी पीस लें)
- 1 चुटकी केसर
- 2 बड़े चम्मच काजू, बादाम, पिस्ता (बारीक कटे हुए)
विधि:
- सबसे पहले चावल को धोकर 15-20 मिनट के लिए पानी में भिगो दें।
- एक भारी तले की कढ़ाई में दूध को उबालने के लिए चढ़ा दें।
- दूध में उबाल आने पर भीगे हुए चावल निथार कर डाल दें।
- अब इसे धीमी आंच पर पकाएं, बीच-बीच में चलाते रहें ताकि दूध न जलें।
- जब चावल पूरी तरह नरम हो जाएं और दूध थोड़ा गाढ़ा हो जाए, तो इसमें चीनी, कटे हुए ड्राई फ्रूट्स, इलायची पाउडर और केसर मिलाएं।
- अच्छी तरह मिलाकर 4-5 मिनिट और पकाएं। आपकी सुगंधित और स्वादिष्ट खीर तैयार है।
- इसे ठंडा होने दें और फिर शरद पूर्णिमा की रात में चंद्रोदय के बाद खुले आसमान के नीचे रख दें।
- सुबह नहा-धोकर इस खीर का प्रसाद ग्रहण करें।