Homeलाइफस्टाइलSheetala Ashtami 2025: कौन है शीतला माता, कैसे हुई इस व्रत की...

Sheetala Ashtami 2025: कौन है शीतला माता, कैसे हुई इस व्रत की शुरुआत, जानें कथा

और पढ़ें

Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Sheetala Ashtami 2025: सनातन धर्म में हमेशा ताजा भोजन करने की सलाह दी जाती है।

लेकिन साल में 2-3 दिन ऐसे आते हैं जिस दिन हिंदू धर्म में बासी भोजन किया जाता है।

ऐसा ही एक दिन है शीतला अष्टमी यानि बसौड़ा का। ये त्यौहार होली के 8 दिन बाद मनाया जाता है।

इस साल ये व्रत शनिवार, 22 मार्च को रखा जाएगा।

इस दिन न सिर्फ आम व्यक्ति को बासी भोजन करना होता है बल्कि शीतला माता को भी बासी भोजन का भोग लगाया जाता है।

मगर क्या आपको इसका कारण पता है? अगर नहीं तो आइए जानते हैं इस परंपरा के बारे में…

एक दिन पहले बनता है भोजन

वैसे तो शीतला अष्टमी का व्रत पूरे देश में रखा जाता है, लेकिन उत्तर और मध्य भारत में इसका विशेष महत्व है।

इसके लिए महिलाएं एक दिन पहले ही भोजन बना लेती हैं और अगले दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में शीतला माता की पूजा के बाद उन्हें इसका भोग लगाया जाता है।

इसके बाद पूरा परिवार भी दिन भर इसी भोग का सेवन करता है।

Sheetala Ashtami, Basoda 2025, Sheetala Ashtami 2025, Sheetala Ashtami Vrat,
Sheetala Ashtami 2025

क्यों खाते हैं बासी भोजन

मान्यता है कि इस दिन चूल्हा नहीं जलाया जाता है। बासोड़ा की पूर्व संध्या पर ही महिलाएं अगले दिन के लिए पूरा भोजन बना लेती हैं।

मान्यताओं के अनुसार मौसम बदलने के समय शारीरिक संतुलन के लिए एक दिन पहले बना ठंडा भोजन खाने की परंपरा है।

इस परंपरा के पीछे यह मान्यता है कि शीतला माता को ठंडा भोजन प्रिय है और इस खाने से शरीर को गर्मी से राहत मिलती है।

पकवानों का महत्व

शीतला अष्टमी की पूर्व संध्या को ‘राधा पुआ’ कहा जाता है।

इस दिन घरों में पूरी, गुड़, मीठे चावल, बेसन की रोटी, कढ़ी, बाजरे की रोटी आदि पारंपरिक व्यंजन बनाए जाते हैं।

अगले दिन माता को ठंडे पकवानों का भोग अर्पित किया जाता है और स्वयं भी बासी भोजन प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है।

Sheetala Ashtami, Basoda 2025, Sheetala Ashtami 2025, Sheetala Ashtami Vrat,
Sheetala Ashtami 2025

शीतला माता की कथा

प्राचीन कथा के अनुसार, प्रताप नगर नामक गांव में लोग शीतला माता की पूजा कर रहे थे।

पूजा के दौरान गांव वालों ने गर्म नैवैद्य माता शीतला को अर्पित कर दिए, जिससे देवी नाराज हो गईं और गांव में भयंकर आग लग गई।

हालांकि, गांव में एक बुजुर्ग महिला का घर सुरक्षित रहा।

जब लोगों ने उससे कारण पूछा तो उसने बताया कि वह माता को ठंडा प्रसाद अर्पित करती थी।

इस परंपरा को देखने के बाद गांववालों ने निर्णय लिया कि हर वर्ष इस दिन माता को ठंडा भोजन अर्पित किया जाएगा और तभी से यह पर्व सप्तमी और अष्टमी तिथि को मनाया जाने लगा।

शीतला अष्टमी व्रत का महत्व

  • शीतला माता की पूजा से आरोग्य का वरदान मिलता है।
  • ऐसा कहा जाता है कि यह व्रत करने से माता की कृपा प्राप्त होती है और बच्चों को शीत जनित रोग नहीं सताते ।
  • ये व्रत अच्छी सेहत की कामना के लिए रखा जाता है और माता से रोग-दोष से मुक्ति की कामना की जाती है।

कौन है शीतला माता

शीतला माता देवी पार्वती का ही स्वरूप हैं जिन्हें, शीतलता और रोग नाशिनी देवी के रूप में पूजा जाता है।

उनका स्वरूप अत्यंत सौम्य होता है, वे गधे की सवारी करती हैं और उनके हाथों में कलश, सूप, झाड़ू और नीम के पत्ते होते हैं।

स्कंद पुराण में शीतला माता का उल्लेख मिलता है।

मान्यता है कि उनकी पूजा करने से चेचक, फोड़े-फुंसी, महामारी और गर्मी से संबंधित रोगों से बचाव होता है।

Sheetala Ashtami, Basoda 2025, Sheetala Ashtami 2025, Sheetala Ashtami Vrat,
Sheetala Ashtami 2025

कब है शीतला अष्टमी?

पंचांग के अनुसार, शीतला अष्टमी 22 मार्च 2025 को सुबह 04 बजकर 23 मिनट पर प्रारंभ होगी।

इसका समापन अगले दिन 23 मार्च 2025 को सुबह 05 बजकर 23 मिनट पर होगा।

कैसे करें शीतला माता की पूजा

  • शीतला अष्टमी पर अच्छी सेहत के लिए विधि-विधान के साथ शीतला माता की पूजा करें।
  • मां को कुमकुम, रोली, अक्षत और लाल रंग के फूल आदि चीजें अर्पित करें।
  • इसके बाद देवी को बासी पूड़ी-हलवे का भोग लगाएं।
  • ऐसा करने से रोग-दोष से मुक्ति मिलेगी।

कौन करें माता शीतला की पूजा?

  1. बीमारियों से मुक्ति के लिए- विशेष रूप से चेचक, खसरा, फोड़े-फुंसी और अन्य संक्रामक रोगों से बचाव के लिए माता शीतला की आराधना की जाती है।
  2. परिवार की सुख-समृद्धि के लिए: गृहस्थी में सुख-शांति और समृद्धि के लिए यह व्रत रखा जाता है।
  3. जो पहले चेचक या त्वचा रोगों से पीड़ित रहे हों: माता शीतला को प्रसन्न करने से रोगों की पुनरावृत्ति नहीं होती।
  4. जिनके घर में छोटे बच्चे हों: बच्चों को रोगों से बचाने और उनके अच्छे स्वास्थ्य के लिए यह व्रत विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है।
  5. जो परंपरागत रूप से इस व्रत का पालन करते आए हैं: कई परिवारों में यह पूजा पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही होती है, इसलिए इसे जारी रखना शुभ माना जाता है।
  6. संतान सुख की इच्छा रखने वाले: माता शीतला की पूजा करने से संतान की दीर्घायु और स्वास्थ्य की रक्षा होती है।
Sheetala Ashtami, Basoda 2025, Sheetala Ashtami 2025, Sheetala Ashtami Vrat,
Sheetala Ashtami 2025

शीतला अष्टमी के दिन क्या नहीं करना चाहिए?

  1. ताजा भोजन न पकाएं- शीतला अष्टमी के दिन भूलकर भी चूल्हा न जलाएं और न ही ताजा भोजन पकाएं। साथ ही इस दिन गर्म भोजन, चाय या अन्य गरम पेय पदार्थों का सेवन भी वर्जित होता है। 
  2. घर में सफाई न करें- शीतला अष्टमी के दिन घर में अधिक सफाई करना और झाड़ू लगाना भी मना होता है।ऐसा करने से व्रत का पूरा लाभ नहीं मिलता और व्रत करने वाले यानी व्रती को उचित फल नहीं मिल पाता है।
  3. बाल न धोएं: मान्यता है कि इस दिन बाल धोने से माता नाराज हो सकती हैं। इसीलिए महिलाएं इस दिन स्नान तो करती हैं लेकिन बाल नहीं धोतीं।
  4. सिलाई-कढ़ाई और बुनाई न करें: इस दिन सुई-धागे का इस्तेमाल करना अशुभ माना जाता है। कहा जाता है कि इससे देवी शीतला की कृपा बाधित हो सकती है।
  5. पेड़-पौधों में पानी न डालें: मान्यता है कि इस दिन पेड़-पौधों को पानी देने से अनिष्ट फल मिल सकता है। इसलिए इस दिन पौधों की सिंचाई नहीं की जाती।
- Advertisement -spot_img