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सिंदूर के बिना क्यों अधूरा है महिलाओं का सुहाग? कितनी तरह का होता हैं ये, कैसे बनाते हैं इसे, जानिए सबकुछ

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Importance of Sindoor: भारतीय संस्कृति में सिंदूर (Vermilion) का विशेष महत्व है।

यह न केवल सुहाग की निशानी है, बल्कि धार्मिक, वैज्ञानिक और सामाजिक दृष्टि से भी इसका गहरा अर्थ है।

हिंदू धर्म में विवाहित महिलाएं मांग में सिंदूर लगाकर अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि सिंदूर लगाने के पीछे कई वैज्ञानिक कारण भी छिपे हैं?

आइए, जानते हैं सिंदूर का महत्व, इसके प्रकार और इससे जुड़ी रोचक बातें…

सिंदूर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

1. सुहाग की निशानी

हिंदू धर्म में सिंदूर को सुहाग का प्रतीक माना जाता है। शादी के समय पति द्वारा पत्नी की मांग में सिंदूर भरा जाता है, जिसके बाद महिला इसे जीवनभर लगाती है।

मान्यता है कि जितना लंबा सिंदूर होगा, पति की आयु उतनी ही लंबी होगी।

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2. पौराणिक कथा

एक कथा के अनुसार, माता सीता ने हनुमान जी को बताया कि वह सिंदूर इसलिए लगाती हैं क्योंकि भगवान राम को यह देखकर प्रसन्नता होती है।

इस पर हनुमान जी ने पूरे शरीर पर सिंदूर लगा लिया, जिससे प्रभु राम अत्यंत प्रसन्न हुए।

तभी से हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई।

3. देवी-देवताओं से संबंध

सिंदूर मां लक्ष्मी, पार्वती और हनुमान जी को अर्पित किया जाता है।

देवी पूजन में इसका विशेष महत्व है, क्योंकि इसे शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है।

कैसे बनता है सिंदूर

पहले के समय में सिंदूर को बनाने के लिए सिर्फ प्राकृतिक तत्वों का उपयोग किया जाता था।

इसमें मुख्य रूप से हल्दी, नींबू का रस और फिटकरी डाली जाती थी।

ये तीन तत्व आपस में मिलकर सिंदूर को उसका लाल रंग देते थे।

कुछ मामलों में इसमें केसर और चंदन भी मिलाया जाता था, ताकि गुण बढ़ाने के साथ ही खुशबू भी जोड़ी जा सके।

आज के समय में कैसे होता है इसका निर्माण

फैक्ट्री में बनने वाले सिंदूर में प्राकृतिक तत्वों की जगह सिंथेटिक मटीरियल का यूज होता है।

ये उसकी शेल्फ लाइफ बढ़ाने के साथ ही प्रोडक्ट को ज्यादा मात्रा में बनाने व प्रॉफिट मार्जिन गेन करने में मदद करता है

आमतौर पर सिंदूर मेकिंग में अब सिंथेटिक डाई, टैल्क, कैल्शियम कार्बोनेट, लेड एंड मर्क्युरी आदि डाले जाते हैं।

सिंदूर के प्रकार

  • लाल सिंदूर – विवाहित महिलाओं द्वारा मांग में लगाया जाता है।
  • पीला सिंदूर – पूर्वी भारत (बिहार, झारखंड) में विशेष अवसरों पर प्रयोग किया जाता है।
  • कुमकुम – माथे पर बिंदी के रूप में लगाया जाता है।
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सिंदूर लगाने के वैज्ञानिक फायदे

1. मस्तिष्क को शांत करता है

सिंदूर माथे के बीचों-बीच लगाया जाता है, जहां ब्रह्मरंध्र (एनर्जी पॉइंट) स्थित होता है। इससे मानसिक तनाव कम होता है और एकाग्रता बढ़ती है।

2. रक्तचाप नियंत्रित करता है

सिंदूर में पारा (Mercury) होता है, जो रक्त संचार को नियंत्रित करने में मदद करता है।

3. हार्मोनल संतुलन

यह पिट्यूटरी ग्रंथि को उत्तेजित करता है, जिससे हार्मोन्स संतुलित रहते हैं।

4. सौंदर्य लाभ

सिंदूर में एंटी-एजिंग गुण होते हैं, जो झुर्रियों को कम करते हैं।

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ऑपरेशन सिंदूर: भारत का जवाबी हमला

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाकर पाकिस्तानी आतंकी ठिकानों को नष्ट किया।

इस ऑपरेशन का नाम सिंदूर रखने के पीछे भावना थी कि जिस सिंदूर (सुहाग) को आतंकियों ने निशाना बनाया, उसी के नाम पर जवाबी कार्रवाई की गई।

भारतीय संस्कृति में इसकी महत्ता को देखते हुए ऑपरेशन सिंदूर जैसे नामों का चयन देशभक्ति और संस्कृति के सम्मान को दर्शाता है।

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