Kankali Mandir Raisen: नवरात्रि के पावन अवसर पर देशभर के देवी मंदिरों में भक्तों का तांता लगा हुआ है।
देश के दिल मध्य प्रदेश में भी माता के ऐसे कई मंदिर हैं, जिनकी ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है।
मां का ऐसा ही एक पावन स्थल राजधानी भोपाल से महज 18 किलोमीटर दूर रायसन जिले के गुदाबल गांव में स्थित हैं।
मां कंकाली का चमत्कारिक रूप
मां कंकाली के इस प्राचीन मंदिर के किस्से चमत्कारों से भरे हैं।
यहां आने वाले श्रद्धालु न केवल मां के दर्शन करते हैं, बल्कि उनकी चमत्कारी शक्ति का भी अनुभव करते हैं।
मां कंकाली का यह मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था, श्रद्धा और चमत्कार का प्रतीक है।
यह स्थान भक्तों को न केवल आत्मिक शांति प्रदान करता है, बल्कि उन्हें मां की अलौकिक शक्ति का अनुभव भी कराता है।
45 डिग्री तक झुकी है मां की प्रतिमा की गर्दन
मां कंकाली की प्रतिमा अन्य मंदिरों से भिन्न और अत्यंत अद्भुत है।
मंदिर में स्थित प्रतिमा की गर्दन 45 डिग्री तक झुकी हुई है।
लेकिन, मान्यता है कि निशा काल में आरती के समय यह गर्दन क्षणभर के लिए सीधी हो जाती है।
इस चमत्कार के दर्शन करना अत्यंत दुर्लभ और सौभाग्यशाली क्षण माना जाता है।
भक्तों का विश्वास है कि यह स्वयं मां का आशीर्वाद है, जो अपनी शक्ति के प्रतीक रूप में यहां प्रकट होती हैं।
माता की प्रतिमा की 20 भुजाओं का रहस्य
एक और अद्भुत बात जो इस मंदिर को अनोखा बनाती है, वह है मां कंकाली की प्रतिमा की 20 भुजाएं।
कहा जाता है कि जब कोई भक्त इन्हें गिनने की कोशिश करता है, तो प्रत्येक बार भुजाओं की संख्या अलग-अलग आती है।
यह रहस्य भक्तों की श्रद्धा को और गहरा बना देता है और इसे मां की अनंत शक्ति का प्रतीक माना जाता है।
100 वर्षों से अनवरत जल रही अखंड ज्योत
इस मंदिर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व भी अत्यंत गहरा है।
मान्यता है कि उत्तर प्रदेश से आए संत बाबा ब्रजमोहन दास को खुदाई के दौरान मां कंकाली की यह प्रतिमा प्राप्त हुई थी, जिसे उन्होंने यहां स्थापित किया।
यही नहीं, मंदिर में ब्रह्मा, विष्णु और महेश की प्राचीन प्रतिमाएं भी विराजित हैं।
बाबा ब्रजमोहन दास द्वारा प्रज्वलित की गई अखंड ज्योत पिछले 100 वर्षों से अनवरत जल रही है, जो भक्तों की आस्था का एक और प्रमुख केंद्र।
सदियों पुराना मंदिर से जुड़े हैं कई किस्से
मंदिर से जुड़ी कई चमत्कारिक घटनाएं भी प्रसिद्ध हैं।
कहा जाता है कि एक बार कुछ चोर यहां स्थित भगवान विष्णु की प्रतिमा को चुराने आए थे, लेकिन प्रतिमा अचानक इतनी भारी हो गई कि वे उसे उठा नहीं पाए।
इतना ही नहीं, इस प्रयास में वे अंधे हो गए और फिर स्वयं अपनी भूल मानकर प्रतिमा को वापस रख गए।
यह घटना भक्तों के लिए यह संदेश देती है कि मां और उनके सान्निध्य में स्थित देवताओं की शक्ति किसी भी अन्याय को सहन नहीं।
नि:संतान दंपति की झोली भरती हैं मां
नवरात्रि के पावन दिनों में मां कंकाली मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है।
दूर-दराज से आए श्रद्धालु यहां मां के चरणों में शीश नवाकर अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने की प्रार्थना करते हैं।
कहा जाता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से मां से जो भी मांगता है, मां उसकी हर मनोकामना पूर्ण करती है।
नि:संतान दंपति भी यहां अर्जी लगाते हैं और मां उनकी झोली भर देती हैं।
भक्तों की आस्था का केंद्र है मां का दरबार
इस मंदिर को मां कंकाली का सच्चा दरबार माना जाता है, जहां भक्तों की हर मुराद पूरी होती है।
नवरात्रि में यहां विशेष अनुष्ठान, हवन और आरती का आयोजन किया जाता है।
इस दौरान मंदिर में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ता है और मां के जयकारों से संपूर्ण वातावरण भक्तिमय हो जाता है।
नवरात्रि के पावन पर्व पर यदि आप भी मां कंकाली के इस चमत्कारी दरबार में जाना चाहते हैं, तो यह अवसर आपके लिए बेहद खास हो सकता है।
मां की कृपा से आपकी हर मनोकामना पूरी हो सकती है।