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डूबने की कगार पर पहुंच गया दुनिया का चौथा सबसे छोटा देश, बच्‍चे पैदा करने से डर रहे लोग

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Tuvalu Island: दुनिया का चौथा सबसे छोटा देश तुवालु, जिसका कुल क्षेत्रफल 26 वर्ग किमी है।

इस देश के लोग बच्चे पैदा करने से बच रहे हैं।

उन्हें डर है कि जब तक उनके बच्‍चे बड़े होंगे तब तक ये द्वीप समुद्र में डूब चुका होगा।

हाल ही में हुई एक रिसर्च से पता चला है कि ये देश जल्द ही दुनिया के नक्शे से गायब हो जाएगा।

प्रशांत महासागर है ये पोलिनेशियाई द्वीपीय देश

तुवालु को 1978 में ब्रिटेन से आजादी मिली थी।

पहले इसे एलिस आइलैंड के नाम से भी जाना जाता था।

तुवालु प्रशांत महासागर में 26 स्क्वायर किलोमीटर में फैला एक पोलिनेशियाई द्वीपीय देश है।

यहां के लोगों की भाषा तुवालुअन, समोअन से बहुत मिलती-जुलती है।

Tuvalu Island
Tuvalu Island

दुनिया का चौथा सबसे छोटा देश हवाई द्वीप और ऑस्ट्रेलिया के बीचों बीच स्थित है।

जिसमें नौ द्वीप (चार रीफ द्वीप और पांच कोरल एटोल) शामिल हैं।

तुवालु के नौ द्वीपों में से आठ पर लोग रहते थे।

यह द्वीपीय देश 19वीं शताब्दी के अंत में युनाइटेड किंगडम के प्रभाव क्षेत्र में आया था।

Tuvalu Island
Tuvalu Island

1892 से लेकर 1916 तक यह ब्रिटेन का संरक्षित क्षेत्र और 1916 से 1974 के बीच यह गिल्बर्ट और इलाइस आईलैंड कालोनी का हिस्सा था।

1974 में स्थानीय रहवासियों ने अलग ब्रिटिश निर्भर क्षेत्र के रूप में रहने के पक्ष में मतदान किया।

1978 में तुवालू राष्ट्रकुल का पूर्ण स्वतंत्र देश के रूप में हिस्सा बन गया।

साल 2050 तक समंदर में डूबने वाला है तुवालु

तुवालु द्वीप समूह अस्तित्‍व के संकट से जूझ रहा है।

इस देश की आबादी 12 हजार से ज्यादा है।

फिलहाल इस देश की आबादी के हाथों से समय सरक रहा है, क्योंकि तुवालु डूबने के कगार पर पहुंच गया है।

हाल ही में हुई एक रिसर्च से पता चला है कि तुवालु जल्द ही दुनिया के नक्शे से गायब होने वाला है।

Tuvalu Island
Tuvalu Island

इसका कारण है यहां बहुत कम संख्या में पहुंच रहे टूरिस्ट्स।

दरअसल तुवालु की समुद्र तल से ऊंचाई महज 2 मीटर है।

पिछले तीन दशकों में ग्‍लोबल वार्मिंग, क्‍लाइमेंट चेंज के कारण समुद्र तल 15 सेमी बढ़ चुका है।

यानी करीब छह इंच समुद्र का स्‍तर बढ़ा है, जो वैश्विक औसत का डेढ़ गुना है।

Tuvalu Island
Tuvalu Island

इस द्वीप पर ही तेवालु के सर्वाधिक 60 प्रतिशत लोग रहते हैं।

इसको देखते हुए नासा ने अनुमान व्‍यक्‍त किया है कि समुद्र के नियमित ज्‍वार के कारण 2050 तक यहां का सबसे बड़ा द्वीप फुनाफुटी आधा जलमग्‍न हो जाएगा।

तुवालु में खतरे की आहट साफ सुनी जाने लगी है क्‍योंकि समुद्री जलस्‍तर बढ़ने से पानी ग्राउंड वाटर में घुस रहा है।

फसलें चौपट हो जा रही हैं लिहाजा यहां के निवासियों को रेनवाटर टैंकों और एक केंद्रीकृत विकसित किए गए फार्म से सब्जियां उगानी पड़ रही हैं।

बच्चे पैदा करने से डर रहे तुवालु के लोग

तुवालु वेटिकन सिटी के बाद दुनिया में सबसे कम आबादी वाला देश है।

यहां रह रहे लोगों का कहना है कि वो फैमिली प्‍लानिंग कर रही हैं।

लेकिन, उनको इस बात का डर है कि जब तक उनके बच्‍चे बड़े होंगे तब तक ये द्वीप समुद्र में डूब चुका होगा।

Tuvalu Island
Tuvalu Island

ये इतना बड़ा डर है जिसकी वजह से बच्‍चे की चाहत होने के बावजूद उनको भविष्‍य की चिंता है क्‍योंकि आबादी को अपनी जगह छोड़कर विस्‍थापित होना पड़ेगा।

जलवायु और सुरक्षा के बढ़ते खतरे को देखते हुए तुवालु और ऑस्‍ट्रेलिया के बीच 2023 में एक समझौता हुआ।

इसके तहत ये तय हुआ कि 2025 से हर साल 280 लोगों को ऑस्‍ट्रेलिया में स्‍थायी रूप से विस्‍थापित किया जाएगा, ताकि जलमग्‍न होने से पहले ही इस एरिया को छोड़ दिया जाए।

हालांकि यहां के नागरिक अपनी पुरखों की मिट्टी को नहीं छोड़ना चाहते लेकिन उनके पास फिलहाल कोई और दूसरा विकल्‍प नहीं है।

वहीं यहां की सरकार एक अन्‍य संकट से जूझ रही है।

दरअसल तुवालु की सरकार चाहती है कि यदि तुवालु डूब भी जाए तब भी संयुक्‍त राष्‍ट्र उसको एक अलग संप्रभु राष्‍ट्र के रूप में कानूनी मान्‍यता दें।

Tuvalu Island
Tuvalu Island

दरअसल तुवालु अपने समुद्री क्षेत्र पर नियंत्रण बनाए रखना चाहता है क्‍योंकि ये पूरा एरिया इकोनॉमिक जोन के रूप में करीब नौ लाख वर्ग किमी का बनता है।

फिशिंग के अधिकार समेत तमाम सामुद्रिक गतिविधियों के लिहाज से ये बहुत बड़ा एरिया है।

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