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BSE-NSE ने अपने लेनदेन शुल्कों में किया बदलाव, F&O के भी नए लेनदेन शुल्क लागू

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Ishwar Khatri
Ishwar Khatri
ईश्वर एक वैश्विक अर्थशास्त्री, इंटरनल ऑडिटर तथा अंतर्राष्ट्रीय बैंकिंग. बीमा, वित्तीय विश्लेषक हैं, वे भारत तथा मध्य-पूर्व (खाड़ी) देशो, यूरोप, एशिया-प्रशांत (APAC), अमेरिका स्थित बिजनेस कॉर्पोरेट हाउस और कंपनियों मे फायनेंस कन्ट्रोल, फायनेंस एनालिस्ट, इन्वेस्टमेंट प्लानिंग, आतंरिक अंकेक्षण, डिजिटल ट्रांसफोर्मेशन, एकाउंटिंग एंड फायनेंस के लिये इंटरप्राएसेस रिसौर्स प्लानिंग, EPM and SaaS कन्सल्टिंग जैसी सेवाओं को देने के लिये कुल 24 वर्षो का अनुभव रखते हैं |

New Rule For Share Trading: म्यूचल फंड और IPO शेयर में इन्वेस्टमेंट हो या शेयर मार्केट में ट्रेडिंग आज के समय हर आम नागरिक पूंजी बाजार में अपनी किस्मत का आजमाना चाहता है।

रिटेल इन्वेस्टर की शेयर बाजार में रूचि दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है और ऐसा होना लाजमी है।

क्योंकि भारतीय शेयर बाजार कुछ एक करेक्शन पीरियड को छोड़कर अपने आल टाइम हाई पर निरन्तर चल रहा है।

कुछ समय शेयर बाजार में मामूली गिरावट नजर आयी थी, जिसे भी समय रहते कवर कर लिया गया था।

वहीं कुछ एशियाई और यूरोपीय देशों में अशान्ति की वजह से भारतीय शेयर बाजार में कोई विशेष कारोबारी प्रभाव देखने को अब तक नहीं मिला हैं।

अमेरिका के फेडरल बैंक द्वारा की गयी ब्याज दर में कटौती भी भारतीय शेयर बाजार को हिला नहीं सकी है।

आइए हम आपको बताते है रिटेल इनवेस्टर्स यानी आम निवेशकों के लिये अक्टूबर 2024 से शेयर बाजारों में लागू 3 महत्वपूर्ण बदलाव के बारे में –

शेयर ट्रेडिंग और वायदा कारोबार मे बदलाव

निवेशकों को संभावित नियम परिवर्तन और चुनौतियों को नेविगेट करने और नए अवसरों को भुनाने के लिए इन नवीन प्रावधानों के बारे में पता होना चाहिए।

इन बदलावों में स्टॉक एक्सचेंजों द्वारा संशोधित लेनदेन शुल्क, प्रतिभूति लेनदेन कर (STT) में वृद्धि और शेयर पुनर्खरीद (Buyback) को नियंत्रित करने वाले नए आयकर एवं प्रतिभूति कराधान नियम शामिल हैं।

अक्टूबर 2024 से बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने नकद, वायदा और विकल्प (F&O) कारोबार के लिए नए लेनदेन शुल्क लागू किया है।

यह बदलाव भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) के एक निर्देश के बाद आया है।

New Rule For  Share Trading
New Rule For  Share Trading

जिसमें बाजार बुनियादी ढांचा संस्थानों के सभी सदस्यों के लिए एक समान फ्लैट शुल्क संरचना अनिवार्य है।

BSE – NSE द्वारा परिवर्तित लेनदेन शुल्क

BSE ने इक्विटी डेरिवेटिव सेगमेंट में सेंसेक्स और बैंकेक्स ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए अपनी ट्रांजैक्शन फीस को 3,250 रुपये प्रति करोड़ प्रीमियम टर्नओवर पर समायोजित किया है।

इस सेगमेंट में अन्य अनुबंधों के लिए लेनदेन शुल्क अपरिवर्तित रहेंगे।

विशेष रूप से बीएसई सेंसेक्स 50 विकल्प और स्टॉक विकल्पों के लिए प्रीमियम कारोबार के लिए 500 रुपये प्रति करोड़ का शुल्क लेगा, जबकि सूचकांक और स्टॉक वायदा पर कोई लेनदेन शुल्क नहीं लगेगा।

एनएसई पर नकद बाजार लेनदेन शुल्क 2.97 रुपये प्रति लाख कारोबारी मूल्य पर निर्धारित किया जाएगा।

इक्विटी वायदा के लिए शुल्क 1.73 रुपये प्रति लाख ट्रेडेड वैल्यू होगा, जबकि इक्विटी ऑप्शंस प्रीमियम वैल्यू के प्रति लाख रुपये 35.03 रुपये का शुल्क आकर्षित करेगा।

मुद्रा (करंसी) डेरिवेटिव सेगमेंट में वायदा की कीमत 0.35 रुपये प्रति लाख कारोबार मूल्य होगी, जिसमें विकल्प प्रीमियम मूल्य के प्रति लाख रुपये का शुल्क लेंगे।

सेबी द्वारा की गयी प्रतिभूति लेन-देन कर में बढ़ोतरी

समान शुल्क संरचना का उद्देश्य पिछले स्लैब-वार प्रणाली के तहत मौजूद असमानताओं को खत्म करना है, जो अक्सर उच्च व्यापारिक मात्रा वाले बड़े वायदा कारोबारियों के हित में होते थे।

तेजी से बढ़ते डेरिवेटिव बाजार में सट्टा व्यापार पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल की शुरुआत में वायदा और विकल्प (F&O) कारोबार पर एसटीटी में वृद्धि की घोषणा की।

अक्टूबर 2024 से प्रभावी फ्यूचर्स पर STT 0.0125% से 0.02% तक बढ़ जाएगा, जबकि विकल्प ट्रेडिंग 0.0625% से 0.1% तक बढ़ जाएगी।

New Rule For  Share Trading
New Rule For  Share Trading

सेबी के इस बढ़ोतरी के निर्णय से बाजार में ट्रेडिंग वॉल्यूम और निरंतरता कम हो सकती है, जिससे BSE और NSE एक्सचेंजों और सेबी के राजस्व पर असर पड़ सकता है।

सरकार का उद्देश्य स्पष्ट है: हाल के वर्षों में खुदरा डेरिवेटिव व्यापार की विशेषता वाले अत्यधिक वायदा कारोबार सौदों को सीमित और नियंत्रित करना हैं।

ताकि शेयर बाजार में अनुकूल स्थिरता बनी रहे और किसी भी प्रकार की इन-साइडर ट्रेडिंग को तवज्जो ना मिले।

शेयर बॉय-बेक पर आयकर के नवीन नियम

 एक अन्य महत्वपूर्ण बदलाव शेयर पुनर्खरीद (Buyback) से आय पर कराधान है।

जिसे अक्टूबर 2024 से प्रभावी शेयरधारकों के लिए लाभांश आय (Dividend Income) के रूप में माना जाएगा।

जब कंपनियां अपने शेयरों की पुनर्खरीद करती हैं, तो अब से इस बदलाव के कारण शेयरधारकों को उनके लागू आयकर स्लैब के अनुसार कर लगाया जाएगा ।

पहले शेयर बॉय-बेक के द्वारा कंपनियां अपने रिटेल इन्वेस्टर्स को नगदी वापस करने के उद्देश्य से वापस शेयर बॉय-बेक करती थी, इसमें इन्वेस्टर और कंपनी दोनों का टैक्स देनदारी कम होती थी।

New Rule For  Share Trading
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लेकिन, अब से शेयर बाय-बेक पूंजीत कंपनियों के बजाय शेयरधारकों पर कर के बोझ में वृद्धि के अधीन है।

यह बदलाव कंपनी के विकास मॉडल के लिए उपलब्ध रिजर्व धन का उपयोग करने में अधिक लचीलापन देने के लिए डिज़ाइन किया गया है, ना कि कंपनियों को पुनर्खरीद (शेयर बॉय-बेक) से जुड़ी कर देनदारियों से विवश होने के लिए।

परन्तु आम रीटेल इन्वेस्टर को शेयर बॉय-बेक से आय को डिविडेंट इन्कम की तरह कर योग्य बताकर प्रचलित कर स्लैब अनुसार टैक्स भुगतान करना होगा।

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