Vaibhav Laxmi Vrat: हिंदू धर्म में मां लक्ष्मी को धन, संपदा और वैभव का प्रतीक माना जाता है। इसलिए दिवाली पर घर की सुख समृद्धि के लिए मां लक्ष्मी की ही पूजा की जाती है।
दिवाली के अलावा शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है क्योंकि ये दिन माता लक्ष्मी को सर्मपित होता है।
कई लोग इस दिन व्रत भी करते हैं। ताकि माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त हो सके।
ऐसे में आज हम आपको वैभव लक्ष्मी व्रत के बारे में बता रहे हैं जिससे करने से भक्त के मन की हर इच्छा पूरी होती और मां लक्ष्मी का आशीवार्द मिलता है।
आइए जानते हैं कि वैभव लक्ष्मी व्रत कब, कैसे करें, इसकी पूजा विधि, नियम और उद्यापन का सही तरीका…
कौन हैं मां वैभव लक्ष्मी
माता लक्ष्मी के आठ रूपों में से एक रूप वैभव लक्ष्मी का है।
मां वैभव लक्ष्मी व्रत को धन, वैभव, सुख और समृद्धि प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
देवी लक्ष्मी के इस व्रत को स्त्री या पुरुष कोई भी रख सकता है।
जिन लोगों के जीवन में आर्थिक संकट और गृह क्लेश है उन्हें यह व्रत जरूर करना चाहिए।
वैभव लक्ष्मी व्रत को अगर सुहागिन महिलाएं करें तो उसे सबसे ज्यादा लाभकारी माना गया है।
वैभव लक्ष्मी के कितने व्रत करें
वैभव लक्ष्मी व्रत जिस दिन प्रारंभ किया जाता है उस दिन संकल्प लिया जाता है।
उस संकल्प में यह बोलना अनिवार्य होता है कि आप कितने शुक्रवार का व्रत करेंगे जैसे 7, 11, 21, 51 या 101
संकल्प के बिना व्रत को संपूर्ण नहीं माना जाता।
कब करें वैभव लक्ष्मी व्रत ?
धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक वैभव लक्ष्मी व्रत को किसी भी शुक्त पक्ष के शुक्रवार से शुरू करना शुभ होता है।
ऐसे में जिस दिन आप व्रत की शुरुआत करें उस दिन से अगले 7, 11 या 21 शुक्रवार के व्रत का संकल्प धारण करें।
लेकिन मलमास या खरमास में व्रत की शुरुआत या उद्यापन ना करें।
व्रत के दौरान सच्चे मन से मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करें, साथ ही वैभव लक्ष्मी की कथा पढ़ें और विधि के अनुसार नियम का पालन करें।
संकल्प पूर्वक सभी व्रत करने के बाद इसका उद्यापन करें। इसके बाद ही पूजा का पूरा फल मिलता है।
वैभव लक्ष्मी व्रत सामग्री
मां लक्ष्मी की प्रतिमा, फूल, चंदन, अक्षत, पुष्प माला, पंचामृत, दही, दूध, जल, कुमकुम, मौली, हल्दी, कलश, विभूति, कपूर, घंटी, आम और पान के पत्ते, केले, धूप बत्ती, प्रसाद, सुहान का सामान और दीपक आदि।
वैभव लक्ष्मी जी की पूजा कैसे करें?
- शुक्रवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर साफ कपड़े पहने और व्रत का संकल्प लें।
- सारा दिन निराहार रहने के बाद शाम को पूजा करें।
- वैभव लक्ष्मी व्रत की पूजा शाम के समय सूर्य ढलने के बाद की जाती है
- एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर माता लक्ष्मी की प्रतिमा रखें और खुद भी लाल या सफेद कपड़े पहनें।
- पूजा के लिए माता अष्ट लक्ष्मी की तस्वीर होनी चाहिए लेकिन अगर अष्ट लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर नहीं मिले तो आप बैठी हुई मुद्रा में माता की तस्वीर पूजा में रख सकते हैं।
- माता को सफेद या लाल फूल अर्पित करें।
- इसके बाद मां लाल या सफेद चन्दन का तिलक लगाएं।
- माता वैभव लक्ष्मी को अक्षत, फल, कमलगट्टा चढ़ाएं।
- फिर घी का दीपक और धूप जलाकर माता लक्ष्मी की आरती करें।
- अब आसन पर बैठकर मां लक्ष्मी बीज मंत्र का 108 बार जाप स्फटिक माला से करें।
वैभव लक्ष्मी मंत्र
या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।
या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥
या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।
सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥
वैभव लक्ष्मी व्रत के नियम
- वैभव लक्ष्मी व्रत में श्रीयंत्र की पूजा अवश्य करें।
- इस दिन खट्टी चीजें नहीं खानी चाहिए।
- मन और शरीर को शुद्ध रखें, बुरे विचार न आने दें।
- किसी का दिल न दुखाये और न ही कड़वी बातें बोलें।
- पूरे दिन उपवास रहकर एक ही बार शाम को भोजन ग्रहण करें।
- व्रत का पारण मां लक्ष्मी की प्रसाद में चढ़ाई खीर से करें।
वैभव लक्ष्मी व्रत के फायदे
- ये व्रत मन को शांत और स्थिर रखने के लिए फायदेमंद है।
- इस व्रत से आध्यात्मिक और सकारात्मक विचारों को बढ़ावा मिलता है।
- ये व्रत दरिद्रता और आर्थिक संकटों को दूर करता है।
- घर से नकारात्मक शक्तियां दूर रहती हैं।
- गृह क्लेश की समाप्ति होती है।
वैभव लक्ष्मी व्रत में क्या खाना चाहिए
वैभव लक्ष्मी व्रत में एक ही बार भोजन ग्रहण करें।
भोजन में सात्विक भोजन के साथ ही खीर भी जरूर शामिल करें।
भोजन में साबूदाने की खिचड़ी, कुट्टू के पराठे, कच्चे केले की टिकी, सिंघाड़े की नमकीन बर्फी, आलू, खीरे और मूंगफली का सलाद आदि खा सकते हैं।
वैभव लक्ष्मी व्रत उद्यापन विधि
- जब संकल्प अनुसार आपके व्रत की गिनती पूरी हो जाए तो वैभव लक्ष्मी व्रत का उद्यापन करें।
- व्रत का उद्यापन भी शुक्रवार के दिन ही करें।
- इस दिन लक्ष्मी मां की पूजा अर्चना करें, प्रसाद में खीर और पूरी बनाएं।
- उद्यापन करने के लिए घर में महिलाओं को भोजन पर बुलाएं।
- उन्हें भोजन ग्रहण करवाने के बाद वैभव लक्ष्मी व्रत की पुस्तक, शगुन के रूप में सुहागिन महिलाओं को सुहाग का सामान दें और उनका आशीर्वाद लें।