Vaikuntha Chaturdashi Katha: वैकुंठ चतुर्दशी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है।
यह वह दिन है जब भगवान विष्णु ने भगवान शिव की अत्यंत गहन भक्ति की थी।
इस दिन की महिमा का वर्णन शिव पुराण में मिलता है।
मान्यता है कि इस दिन किए गए उपाय और पूजन से भक्त के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
यह एकमात्र तिथि है जब भगवान शिव और विष्णु दोनों की एक साथ पूजा का विधान है।
दिन के समय भगवान शिव की आराधना की जाती है, जबकि रात्रि के समय भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व होता है।

पौराणिक कथा: विष्णु ने शिव को अर्पित किया था अपना नेत्र
एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, एक बार भगवान विष्णु ने भगवान शिव की पूजा करने का निश्चय किया।
उन्होंने संकल्प लिया कि वे शिवलिंग पर एक हजार कमल के फूल चढ़ाएंगे।
पूरी श्रद्धा के साथ उन्होंने एक-एक करके 999 कमल अर्पित कर दिए।
तभी उन्हें एहसास हुआ कि एक कमल और चाहिए, लेकिन वह कमल गायब था।
अपनी भक्ति को अधूरा न छोड़ने के लिए, भगवान विष्णु ने अपना एक नेत्र निकालकर शिवलिंग पर अर्पित कर दिया।
चूंकि विष्णु जी को ‘कमलनयन’ कहा जाता है, इसलिए उनका नेत्र भी एक कमल के समान ही पवित्र था।

भगवान विष्णु के इस अद्भुत त्याग और समर्पण से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्होंने तुरंत प्रकट होकर विष्णु जी का नेत्र लौटा दिया और कहा-
‘हे विष्णु! आपकी भक्ति अत्यंत महान है। आपका नेत्र तो आपको लौटाया जाएगा और साथ ही मैं आपको एक दिव्य वरदान दूंगा”
इसके बाद भगवान शिव ने उन्हें दिव्य सुदर्शन चक्र प्रदान किया।
इस चक्र ने भगवान विष्णु को न केवल दिव्य शक्ति प्रदान की बल्कि यह भक्ति महान प्रतीक भी बन गया।

वैकुंठ चतुर्दशी की रात करें ये 3 शक्तिशाली उपाय
इस पवित्र रात को भक्ति और आध्यात्मिक साधना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
यहां बताए गए उपायों को करने से आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।
1. विष्णु-शिव का संयुक्त पूजन: मिलेगी दोनों देवताओं की कृपा
इस रात का सबसे महत्वपूर्ण उपाय है भगवान विष्णु और भगवान शिव की एक साथ पूजा करना।
- कैसे करें? अपने पूजा स्थल पर शिवलिंग और भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
- उन्हें फूल, जल, बेलपत्र और तुलसी दल अर्पित करें।
- एक दीपक जलाकर ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र या ‘वैकुंठ चतुर्दशी स्तोत्र’ का पाठ करें।
- लाभ: इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, मन को शांति मिलती है और दोनों ही देवताओं की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

2. 1000 दाने वाला उपाय: खुलेंगे भाग्य के दरवाजे
यह उपाय भगवान विष्णु द्वारा 1000 कमल अर्पित करने की कथा से प्रेरित है।
- कैसे करें? भगवान विष्णु को 1000 चावल के दाने, तुलसी दल या फूल अर्पित करें। यदि 1000 संभव न हो, तो 108 की संख्या भी पूर्ण मानी जाती है।
- इसके साथ ही कम से कम 108 बार ‘ॐ नमो नारायणाय’ मंत्र का जाप करें।
- लाभ: ऐसा करने से पिछले बुरे कर्मों का प्रभाव कम होता है, कर्मफल शुद्ध होता है और भाग्य में बंद दरवाजे खुलने लगते हैं।
3. दीप आह्वान उपाय: दूर होंगे सारे संकट
अंधकार को दूर करने और घर में समृद्धि लाने के लिए यह उपाय अचूक माना जाता है।
- कैसे करें? इस रात घर के मुख्य द्वार पर, मंदिर में और अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर कुल 4 या 8 दीपक जलाएं।
- प्रत्येक दीपक को जलाते समय अपनी मनोकामना का मन में स्मरण करें और भगवान विष्णु से अपने जीवन के अंधकार को दूर करने की प्रार्थना करें।
- लाभ: इससे जीवन के सारे अवरोध दूर होते हैं, घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।

वैकुंठ चतुर्दशी 2025: शुभ मुहूर्त और पूजा का विशेष समय
इस बार वैकुंठ चतुर्दशी पर कई शुभ योग बन रहे हैं, जो इस दिन की महत्ता को और बढ़ा देते हैं।
- शुभ योग: इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, और अमृत सिद्धि योग जैसे मंगलकारी संयोग बन रहे हैं। इन योगों में पूजा करने से भक्त को अक्षय फल की प्राप्ति होती है।
- भद्रावास योग: यह योग रात 10:36 बजे से शुरू होकर पूरी रात रहेगा। इस योग में पूजा करना भी शुभ फलदायी माना जाता है।
पूजा का सबसे शुभ समय (निशिता काल):
वैकुंठ चतुर्दशी पर सबसे महत्वपूर्ण पूजा निशिता काल (मध्य रात्रि) में की जाती है।
इस बार यह समय रात 11:39 बजे से 12:31 बजे तक है।
मान्यता है कि इस समय भगवान विष्णु की पूजा करने से भक्त को मोक्ष की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।


