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रेबीज: कितनी खतरनाक है ये बीमारी? जानें इसके लक्षण, इलाज और बचाव के तरीके

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

What Is Rabies: रेबीज, को हिंदी में ‘हाइड्रोफोबिया’ या ‘जलांतक’ भी कहते हैं।

ये एक ऐसी जानलेवा वायरल बीमारी है जो ज्यादातर कुत्तों के काटने से फैलती है।

यह बीमारी न केवल इंसानों बल्कि अन्य स्तनधारी जीवों को भी प्रभावित करती है।

अगर समय पर इसका इलाज न किया जाए, तो यह 100% जानलेवा हो सकती है।

लेकिन सही जानकारी, जागरूकता और समय पर इलाज से रेबीज से बचा जा सकता है।

इस खबर में हम जानेंगे रेबीज के बारे में सबकुछ- इसके लक्षण, बचाव, इलाज और कुत्तों से इसके फैलने की सच्चाई…

रेबीज क्या है?

  • रेबीज एक वायरस जनित बीमारी है, जो रेबीज वायरस (Rabies Virus) के कारण होती है।
  • यह वायरस लाइसावायरस (Lyssavirus) परिवार का हिस्सा है और ज्यादातर मामलों में यह संक्रमित जानवरों, खासकर कुत्तों, के काटने से इंसानों में फैलता है।
  • वायरस जानवर के लार के जरिए इंसान के शरीर में प्रवेश करता है और तंत्रिका तंत्र (Nervous System) को प्रभावित करता है।
  • एक बार जब यह वायरस दिमाग तक पहुंच जाता है, तो स्थिति बेहद गंभीर हो जाती है।
  • भारत में हर साल रेबीज के कारण हजारों लोगों की मौत होती है, क्योंकि ज्यादातर लोग समय पर इलाज नहीं लेते।
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रेबीज के लक्षण

रेबीज के लक्षण शुरू में सामान्य हो सकते हैं, लेकिन जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, यह खतरनाक रूप ले लेती है।
इसके लक्षण दो चरणों में दिखाई देते हैं:

शुरुआती लक्षण (Prodromal Phase):

  • बुखार और थकान
  • काटने वाली जगह पर दर्द या जलन
  • सिरदर्द और बेचैनी
  • भूख न लगना

गंभीर लक्षण (Neurological Phase):

  • पानी से डर लगना (हाइड्रोफोबिया), क्योंकि निगलने में दिक्कत होती है
  • हवा से डर (एरोफोबिया)
  • अत्यधिक चिड़चिड़ापन और उत्तेजना
  • मांसपेशियों में ऐंठन और लकवा
  • कोमा और अंत में मृत्यु

लक्षण दिखने में 1-3 महीने लग सकते हैं, लेकिन कुछ मामलों में यह समय कम या ज्यादा भी हो सकता है।

इसलिए, अगर आपको कोई जानवर काटे, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाना जरूरी है।

कुत्तों से रेबीज का कितना खतरा?

भारत में रेबीज के 95% से ज्यादा मामले कुत्तों के काटने से होते हैं।

खासकर आवारा कुत्तों से यह खतरा ज्यादा रहता है, क्योंकि उनके टीकाकरण की संभावना कम होती है।

लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हर कुत्ते का काटना रेबीज का कारण बनता है।

अगर कुत्ता स्वस्थ और टीकाकृत है, तो खतरा कम होता है। फिर भी, सावधानी बरतना जरूरी है।

अन्य जानवर जैसे बिल्ली, बंदर, चमगादड़, और गीदड़ भी रेबीज फैला सकते हैं।

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रेबीज से बचाव

रेबीज से बचने के लिए कुछ आसान और प्रभावी उपाय हैं:

  • पहला कदम: घाव की सफाई – अगर कोई जानवर काट ले, तो तुरंत काटने वाली जगह को साबुन और पानी से 10-15 मिनट तक अच्छी तरह धोएं। यह वायरस को फैलने से रोकने में मदद करता है।
  • टीकाकरण कुत्तों और बिल्लियों जैसे पालतू जानवरों को नियमित रूप से रेबीज का टीका लगवाएं। भारत में कई जगह मुफ्त टीकाकरण अभियान चलाए जाते हैं।
  • जागरूकता बच्चों को आवारा जानवरों से दूर रहने की सलाह दें। उन्हें प्यार करने या छेड़ने से बचें।
  • प्री-एक्सपोजर टीकाकरण अगर आप उन क्षेत्रों में रहते हैं जहां रेबीज का खतरा ज्यादा है या आप पशु चिकित्सक हैं, तो पहले से रेबीज का टीका लगवाना एक अच्छा विकल्प है।

रेबीज का इलाज

रेबीज का इलाज तभी संभव है जब लक्षण दिखने से पहले उपचार शुरू कर दिया जाए।

इसे पोस्ट-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस (PEP) कहते हैं। इसमें शामिल हैं:

  • घाव की सफाई: जैसा कि पहले बताया, यह पहला और सबसे जरूरी कदम है।
  • रेबीज वैक्सीन: काटने के बाद तुरंत रेबीज वैक्सीन की खुराक शुरू की जाती है। यह आमतौर पर 0, 3, 7, और 14वें दिन दी जाती है।
  • रेबीज इम्यूनोग्लोबुलिन (RIG): गंभीर मामलों में, जहां काटने की जगह गहरी हो या सिर-गर्दन के पास हो, RIG इंजेक्शन दिया जाता है। अगर लक्षण शुरू हो जाएं, तो इलाज लगभग असंभव हो जाता है। इसलिए समय पर कार्रवाई जरूरी है।
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रेबीज से जुड़े मिथक और सच्चाई

मिथक: रेबीज केवल कुत्तों से फैलता है।

सच्चाई: रेबीज कुत्तों के अलावा बिल्लियों, चमगादड़ों, और अन्य स्तनधारियों से भी फैल सकता है।

मिथक: हर कुत्ते का काटना रेबीज का कारण बनता है।

सच्चाई: केवल रेबीज से संक्रमित जानवर ही इस बीमारी को फैलाते हैं।

मिथक: रेबीज का कोई इलाज नहीं है।

सच्चाई: लक्षण दिखने से पहले इलाज शुरू करने पर रेबीज पूरी तरह ठीक हो सकता है।

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भारत में रेबीज की स्थिति

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, भारत में हर साल लगभग 20,000 लोग रेबीज से मरते हैं।

इसका मुख्य कारण जागरूकता की कमी और समय पर इलाज न लेना है।

सरकार और कई गैर-सरकारी संगठन रेबीज को खत्म करने के लिए मुफ्त टीकाकरण और जागरूकता अभियान चला रहे हैं।

फिर भी, ग्रामीण क्षेत्रों में रेबीज का खतरा ज्यादा है।

दिल्ली में 10 लाख कुत्ते, बाइट के 68 हजार केस

दिल्ली में 10 लाख कुत्ते हैं। 2025 में 26 हजार डॉग बाइट के केस हुए। जबकि 2024 में यह संख्या 68,090 थी।

देशभर में 2024 में 37 लाख डॉग बाइट के केस हुए। रेबीज के कारण 54 मौतें हुईं।

सर्वे में 71 प्रतिशत लोगों ने माना कि उनके क्षेत्र में कुत्तों का काटना और हमला आम बात है।

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महाराष्ट्र में डॉग बाइटिंग के सबसे ज्यादा मामले

  1. महाराष्ट्र – 4,85,345
  2. तमिलनाडु- 4,80,427
  3. गुजरात- 3,92,837
  4. कर्नाटक- 3,61,494
  5. बिहार- 2,63,930
  6. केरल- 1,15,046
  7. दिल्ली- 25,210

समय पर सावधानी, टीकाकरण और इलाज से आप और आपके प्रियजन इस खतरे से बच सकते हैं।

अगर आपको या आपके किसी जानने वाले को कोई जानवर काट ले, तो बिना देर किए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

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