महाशक्ति की उपासना के पर्व नवरात्र पर हमारी विशेष पेशकश में आपको महाकाली के काल रूप की एक ऐसी कथा से रुबरू कराते हैं। जिससे ज्यादातर श्रद्धालु अनजान हैं। मां दुर्गा की दस महाविद्याएं मां का ही रूप हैं। जिनमें मां काली, मां, मां तारा, मां त्रिपुर, मां भुनेश्वरी, मां छिन्नमस्तिके, मां त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मां मातंगी और मां कमला हैं। इन 10 विद्याओं की साधना और उपासना से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
आज हम बात करते हैं मां काली के काल रूप की। महाकाली जिनके काले और डरावने रूप की उत्पत्ति राक्षसों का विनाश करने के लिए हुई थी। ये एकमात्र ऐसी शक्ति हैं जिनसे स्वयं काल भी कांपता है। उनका क्रोध इतना विकराल रूप ले लेता है कि संपूर्ण संसार की शक्तियां मिलकर भी उनके गुस्से पर काबू नहीं पा सकती। उनके इस क्रोध को कोई रोक सकता है तो उनके पति देव…देवो के देव महादेव। को मां काली के पैरो के नीचे क्यों आना पड़ा ये रोचक कथा भी इससे जुड़ी हुई है।
रक्तबीज के आतंक से तीनों लोक में मचा हाहाकार
शास्त्रों के मुताबिक रक्तबीज नाम के एक राक्षस ने शिव की घोर तपस्या की और भोलेनाथ से अमरता का वरदान पा लिया। ये वरदान था कि जहां भी उसके खून की एक बूंद गिरेगी वहीं नया दैत्य पैदा हो जाएगा। लेकिन उसने इस शक्ति का दुरुपयोग करना प्रारंभ कर दिया। उसने असहाय और निर्दोष लोगों की हत्या करना शुरू कर दिया। उसके बाद उसके आतंक से तीनों लोकों में हाहाकार मच गया। देवता परेशान हो गए…उससे युद्ध किया लेकिन रक्तबीज के सामने टिक नहीं पाए। ।
देवताओं ने महाकाली से लगाई मदद की गुहार
तब सब मिलकर महाकाली की शरण में गए। मां ने उनकी विनती स्वीकार कर ली और महाकाली ने एक-एक कर राक्षसों का वध कर दिया। लेकिन रक्तबीज के खून की एक भी बूंद धरती पर गिरती तो उससे अनेक दानवों का जन्म हो जाता जिससे युद्ध भूमि में जितने दैत्य कम होते उससे कहीं ज्यादा दैत्यों की संख्या बढ़ जाती। तब मां ने अपनी जिह्वा का विस्तर किया। दानवों का एक भी बूंद खून धरती पर नहीं गिरने दिया।
महाकाली का क्रोध हो गया विकराल
माता का काल रूप लाशों के ढेर लगाता गया और वो उनका खून पीती गईं। इस तरह महाकाली ने रक्तबीज का वध किया लेकिन तब तक महाकाली का गुस्सा इतना विक्राल रूप से चुका था की उसे शांत करना किसी के बूते की बात नहीं रही। ।
महाकाली के क्रोध को शांत करने के लिए उनके मार्ग में लेट गए महादेव
तब सभी देवता महादेव की शरण में गए। भोले तो भोले थे देवताओं के आग्रह पर वे अपनी पत्नी यानि मां काली का क्रोध शांत करने उनके मार्ग में लेट गए। लेकिन जब माता के चरण भोलेनाथ पर पड़े तो वह एकदम से ठिठक गईं। उन्होंने अपने कदम रोक लिए। इस तरह से उनका क्रोध शांत हो गया। ये कथा यही बताती है कि मातृशक्ति वैसे तो प्रेम की मूरत है। लेकिन यदि उन्हें क्रोध दिलाया गया तो वे किसी की नहीं सुनती और अच्छे अच्छों को ठिकाने लगाने से पीछे नहीं हटती हैं।
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