Income Tax Refund Delays : अगर आपने ITR भर दिया है और अभी तक आपको रिफंड नहीं मिला है।
आपको टेंशन लेने की जरुरत नहीं है। कई कारणों से इसमें देरी हो सकती है।
आईए जानतें हैं रिफंड में देरी की वजह क्या है और रिफंड का पैसा आपको कब तक मिलेगा ?
क्या होता है इनकम टैक्स रिफंड
जब आप अपनी कमाई पर जितना टैक्स देना चाहिए था उससे ज्यादा सरकार को टैक्स दे देते हैं।
जैसे TDS, TCS या एडवांस टैक्स के ज़रिए तो आपको वह ज्यादा दिया हुआ पैसा वापस मिलता है। इसे ही इनकम टैक्स रिफंड कहते हैं।
असेसमेंट ईयर 2024-25 के लिए 31 जुलाई ITR (Income Tax Return) भरने की आखिरी तारीख थी।
इस बार आयकर विभाग ने समय सीमा आगे बढ़ाने की करदाताओं की मांग खारिज कर दी।
कई करदाताओं ने ITR भरा, जिनके रिटर्न तेजी से प्रोसेस हो गए और उन्हें अपना टैक्स रिफंड भी मिल गया।
वहीं कई करदाता ऐसे भी हैं जिन्होंने समय से पहले ही अपना टैक्स रिर्टन भर दिया था, लेकिन उन्हें अभी तक रिफंड नहीं मिला है।
अब ऐसा बिल्कुल नहीं है कि आपने पहले ITR भरा था तो आपको रिफंड मिल जाएगा।
दरअसल रिफंड प्रोसेस के कई चरण होते हैं और अगर इनमें से किसी भी चरण में कोई समस्या आती है तो रिफंड में देरी हो सकती है।
कब तक आता है रिफंड
ITR फाइल करना तो बस शुरुआत है, असली काम तो उसके बाद होता है। वैसे तो आयकर विभाग एक निश्चित समय के भीतर रिफंड जारी कर देता है।
आमतौर पर, रिफंड आपके खाते में आने में 4 से 5 हफ्ते लग जाते हैं। लेकिन अगर इतने समय बाद भी आपको रिफंड नहीं मिलता है।
तो आपको अपना ITR चेक करना चाहिए या आयकर विभाग की ओर से आए किसी भी नोटिफिकेशन के लिए ईमेल चेक करना चाहिए।
आपके रिटर्न को आयकर विभाग तब प्रोसेस करना शुरू करता है जब आप उसे इलेक्ट्रॉनिक तरीके से वेरिफाई कर देते हैं।
जब आपका ITR भरकर वेरिफाई हो जाता है तो टैक्स विभाग उसे प्रोसेस करता है और आपको धारा 143(1) का नोटिस भेजता है।
इस नोटिस में बताया जाता है कि आपका ITR प्रोसेस हो गया है और आपकी टैक्स की गणना का विवरण भी होता है।
अगर आपको रिफंड मिलना है तो उसका भी जिक्र होगा और साथ ही ब्याज की जानकारी भी दी जाएगी।
रिफंड में देरी की वजह
आपके रिफंड में देरी होने की कई वजहें हो सकती हैं। सबसे पहले यह सलाह दी जाती है कि आप ऑनलाइन अपने इनकम टैक्स रिफंड की स्थिति की जांच करें।
आयकर विभाग आपकी टैक्स देनदारी की गणना करता है और इसे आपके रिटर्न में दी गई जानकारी से मिलाता है।
अगर इसमें कोई अंतर पाया गया और आपको अभी भी टैक्स देना है तो विभाग आपको एक नोटिस भेज सकता है।
अगर ऐसा होता है तो अपने सभी दस्तावेजों चेक करना चाहिए कि आपने कितना टैक्स देना है और कितना रिफंड मिलना चाहिए।
अगर आपने अपने रिटर्न दाखिल करते समय कोई गलती की है या यदि IRS को कोई संख्यात्मक त्रुटि मिलती है, तो यह रिफंड प्रोसेस को धीमा कर सकता है।
इससे रिफंड प्रोसेस में कुछ दिनों या हफ्तों की देरी हो सकती है।
मांगे जा सकते हैं आपके दस्तावेज
रिफंड सिर्फ पहले से वेरिफाइड बैंक खाते में ही जाता है। आप अपने रिफंड का स्टेटस इनकम टैक्स की वेबसाइट पर चेक कर सकते हैं।
अगर आयकर विभाग को आपके रिफंड के दावे पर शक होगा है तो वो आपसे कुछ दस्तावेज मांग सकता है।
ऐसे में आपके रिफंड में देरी हो सकती है जब तक आप जरूरी दस्तावेज नहीं जमा कर देते हैं।
इसके अलावा अगर आयकर विभाग आपका रिटर्न गलत मानता है तो आपके रिफंड में देरी हो सकती है।
वहीं बैंक खाते का नाम आपके टैक्स रिटर्न में दिए गए नाम से बिल्कुल मिलना चाहिए। अगर नाम नहीं मिले तो आपका रिफंड आपके बैंक खाते में नहीं जाएगा।
इन सब के अलावा आयकर विभाग कुछ रिटर्न को जांच के लिए चुनता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सब कुछ सही है और नियमों का पालन किया गया है।
तो अगर ऐसे में आपका रिटर्न जांच के लिए चुना गया है तो भी आपके रिफंड में थोड़ी देरी हो सकती है।
फॉर्म 26AS में सभी टैक्स का विवरण
फॉर्म 26AS में आपके पैन नंबर के तहत दिए गए सभी टैक्स का विवरण होता है।
अगर आपके टैक्स रिटर्न में दी गई TDS की जानकारी फॉर्म 26AS से मेल नहीं खाती है तो आपके रिफंड में देरी हो सकती है।
अगर आपने अपना कम्युनिकेशन एड्रेस सही नहीं दिया है तो भी आपके रिफंड में देरी हो सकती है।
इसके लिए आपको अपना पता इनकम टैक्स की वेबसाइट पर अपडेट करना होगा।
इसके अलावा अगर ऑनलाइन आयकर रिफंड स्टेटस में दिखा रहा है कि रिफंड का दावा खारिज हो गया है।
इसका मतलब है कि आपके इस साल के रिफंड को पिछले साल के बकाया टैक्स में एडजस्ट कर दिया गया है।
देरी से मिले रिफंड पर ब्याज मिलेगा या नहीं
कई बार आयकर रिफंड में देरी हो जाती है और लोग पूछते हैं कि क्या उन्हें देरी से मिले रिफंड पर ब्याज मिलेगा या नहीं।
अगर आपको रिफंड मिलना है तो आपको एक तय दर पर ब्याज के साथ रिफंड मिलेगा।
हालांकि, ऐसा हमेशा नहीं होता है। आमतौर पर रिफंड में देरी होने पर हर महीने 0.5% की दर से ब्याज मिलता है।
वहीं अगर किसी करदाता को टैक्स रिफंड पर ब्याज मिलता है तो उसे इसपर अगले वित्त वर्ष में टैक्स देना पड़ सकता है।
इस तरह की रिटर्न राशि पर मिलने वाला ब्याज आय माना जाता है और इसे ‘अन्य स्रोतों से आय’ की श्रेणी में कर लगाया जाता है।
ये खबर भी पढ़ें – TRAI का नया नियम, ये गलती की तो बंद हो जाएगा आपका सिम कार्ड
IRCTC: अब प्लेटफॉर्म से भी बुक कर पाएंगे Namo Bharat की टिकट, जानिए पूरा प्रोसेस