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Teachers Day 2025: भारत में 5 सितंबर को ही क्यों मनाया जाता है शिक्षक दिवस?

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Teachers Day 2025: हर साल 5 सितंबर को पूरा भारत शिक्षक दिवस के रूप में मनाता है।

इस दिन स्कूलों और कॉलेजों में खास कार्यक्रम होते हैं, छात्र अपने शिक्षकों को सम्मानित करते हैं और उन्हें धन्यवाद देते हैं।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि पूरी दुनिया में 5 अक्टूबर को विश्व शिक्षक दिवस मनाया जाता है?

फिर भारत में ऐसा क्यों है कि हम 5 सितंबर को ही शिक्षक दिवस मनाते हैं?

आइए, विस्तार से जानते हैं इस दिन के इतिहास, महत्व और रोचक बातों के बारे में…

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन: वह महान शिक्षक जिनके जन्मदिन पर मनाया जाता है शिक्षक दिवस

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के एक छोटे से गाँव में हुआ था।

वे एक विद्वान शिक्षक, महान दार्शनिक और एक प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ थे।

उन्होंने अपने जीवन के 40 साल से भी ज्यादा समय शिक्षण कार्य को दिया।

वे मैसूर विश्वविद्यालय, कलकत्ता विश्वविद्यालय और यहाँ तक कि ऑक्सफोर्ड जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में भी प्रोफेसर रहे।

1962 में जब डॉ. राधाकृष्णन भारत के राष्ट्रपति बने, तो उनके कुछ छात्रों और दोस्तों ने उनका जन्मदिन मनाने की इच्छा जताई।

लेकिन डॉ. राधाकृष्णन ने कहा कि उनका जन्मदिन अलग से मनाने के बजाय, अगर उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए, तो उन्हें इससे बहुत गर्व होगा।

उनका मानना था कि शिक्षक समाज की रीढ़ होते हैं और उन्हें सम्मान देना बहुत जरूरी है।

इस तरह, 1962 से भारत में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाने की शुरुआत हुई।

शिक्षक दिवस का इतिहास और महत्व: जानिए क्यों है यह दिन खास

शिक्षक दिवस सिर्फ एक उत्सव नहीं है, बल्कि यह शिक्षकों के योगदान को Recognize करने का दिन है।

डॉ. राधाकृष्णन का मानना था कि “शिक्षा का मतलब सिर्फ जानकारी देना नहीं है, बल्कि यह हमें जीवन में सही तरीके से आगे बढ़ना सिखाती है।”

उन्होंने हमेशा शिक्षा के महत्व पर जोर दिया और कहा कि एक अच्छा शिक्षक ही छात्रों का भविष्य बना सकता है।

भारत में शिक्षक दिवस के दिन स्कूलों और कॉलेजों में तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

छात्र अपने शिक्षकों के लिए स्पीच, नाटक, गाने और डांस जैसे कार्यक्रम Present करते हैं।

कई जगहों पर, छात्र शिक्षक की भूमिका निभाते हैं और शिक्षक छात्रों की भूमिका में आ जाते हैं।

इससे छात्रों को समझ आता है कि एक शिक्षक की जिम्मेदारी कितनी बड़ी होती है।

दुनिया के बाकी देशों में 5 अक्टूबर को विश्व शिक्षक दिवस मनाया जाता है।

UNESCO ने 1994 में इस दिन को शिक्षकों के सम्मान में घोषित किया था।

लेकिन भारत ने डॉ. राधाकृष्णन की इच्छा का सम्मान करते हुए 5 सितंबर को ही शिक्षक दिवस मनाना जारी रखा।

डॉ. राधाकृष्णन का योगदान

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन सिर्फ एक शिक्षक ही नहीं, बल्कि एक महान लेखक और दार्शनिक भी थे।

उन्होंने ‘इंडियन फिलॉसफी’, ‘द हिंदू व्यू ऑफ लाइफ’ और ‘भगवद गीता’ जैसी किताबें लिखीं, जो आज भी पढ़ी जाती हैं। 1954 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से भी नवाजा गया।

वे 1952 से 1962 तक भारत के पहले उपराष्ट्रपति और 1962 से 1967 तक दूसरे राष्ट्रपति रहे।

उनके राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान शिक्षा और संस्कृति पर विशेष ध्यान दिया गया।

उनका मानना था कि शिक्षा ही वह हथियार है जिससे देश और समाज को बदला जा सकता है।

आज, शिक्षक दिवस के मौके पर हम डॉ. राधाकृष्णन को याद करते हैं और सभी शिक्षकों के प्रति अपना आदर और सम्मान प्रकट करते हैं।

शिक्षक न सिर्फ हमें पढ़ाते हैं, बल्कि हमारे चरित्र का निर्माण भी करते हैं और हमें एक अच्छा इंसान बनने की प्रेरणा देते हैं।

शिक्षक दिवस सिर्फ एक दिन का उत्सव नहीं, बल्कि शिक्षकों के अमूल्य योगदान को पहचानने का अवसर है।

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