भोपाल। ये जश्न किसी राजनैतिक जलसे का नहीं बल्कि ये उत्सव उन 29000 पेड़ों की जान बख्श देने का है। जी हां, भोपाल का चिपको आंदोलन रंग लाया है।
17 जून की देर शाम मध्य प्रदेश गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मंडल (हाउसिंग बोर्ड) के आयुक्त ने प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर निर्देश के अनुसार, आवासीय योजना के प्रस्ताव को निरस्त करने का निर्णय लिए जाने का आदेश जारी कर दिया।
हाउसिंग बोर्ड के आयुक्त ने कहा कि अब अन्य विकल्पों पर विचार किया जा रहा है।
इससे पहले मध्य प्रदेश के नगरीय प्रशासन एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने ट्वीट करके ऐलान किया कि राजधानी भोपाल के शिवाजी नगर इलाके से पेड़ नहीं काटे जाएंगे।
मालूम हो कि मंत्रियों और विधायकों के नए आवास बनाने के लिए यहां सालों से फल और छाया दे रहे सालों पुराने पेड़ों को काटने की योजना थी।
लेकिन, जिस दिन से ये भनक यहां के लोगों को हुई उसी दिन से पेड़ों की रक्षा में यहां के लोग सड़क पर उतर आए और आखिर में सरकार को ना सिर्फ पेड़ों को काटने का इरादा बदलना पड़ा बल्कि मंत्रियों और विधायकों के लिए आवास बनाने के लिए अब नई जगह खोजने की बात कही जा रही है।
हालांकि पेड़ नहीं कटेंगे ये ऐलान मुख्यमंत्री मोहन यादव ने पहले ही कर दिया था, लेकिन कैलाश विजयवर्गीय के ट्वीट के बाद मोहर लग गई है कि पेड़ नहीं काटे जाएंगे।
सरकार की क्या योजना थी और क्यों हो रहा था इसका विरोध, आइए जानते हैं…
- राजधानी भोपाल में मंत्री और विधायकों के लिए नए आवास बनाने की योजना थी
- तुलसी नगर और शिवाजी नगर में 297 एकड़ जमीन पर ये प्रोजेक्ट लाया गया था
- इन इलाकों में 2378 करोड़ का ये प्रोजेक्ट है
- यहां 2267 सरकारी बंगलों और मकानो को तोड़ा जाना था
- यहां मंत्री, विधायकों और अफसरों के लिए मकान बनाए जाने थे
- मंत्रियों के लिए 30 बंगले, 16 फ्लैट और 230 विधायकों के लिए फ्लैट बनना थे
- 3480 अफसरों के लिए भी मकान बनाए जाने थे
- डेवलपर को निर्माण लागत के बदले 63 एकड़ के लैंड पार्सल दिए जाने थे
- लैंड पार्सल पर डेवलपर कॉमर्शियल और रेसीडेंशियल निर्माण करता
- इस निर्माण के लिए 29 हजार पेड़ काटे जाने थे
- और इन्हीं पेड़ों की कटाई का विरोध हो रहा था
खबर है कि पेड़ नहीं काटने के फैसले के बाद अब सरकार मंत्री, विधायक और अफसरों के बंगले बनाने के लिए किसी नई जगह की तलाश करेगी।
कुल जमा शहर के जागरूक लोगों की मुहिम रंग लाई और सरकार ने भी सबके साथ सबका विकास के नारे को चरितार्थ करते हुए जनता की गुहार को गंभीरता से लिया और जनभावनाओं के मद्देनजर अपने फैसले को बदलने का काम किया।