Madhya Pradesh Sthapna Diwas: 1 नवंबर 2024 को मध्य प्रदेश अपना 69वां स्थापना दिवस मनाएगा।
यह दिन मध्य प्रदेश के गौरवशाली इतिहास और संस्कृति का जश्न मनाने का शानदार अवसर है।
चार दिनों तक समारोह का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें कई प्रसिद्ध कलाकार प्रस्तुति देंगे।
यह तो हो गई जशन की बात, लेकिन आज हम आपको बताएंगे मध्य प्रदेश के राज्य बनने की कहानी।
जानेंगे भारत के दिल एमपी ने अस्तित्व में आने तक कितनी उठापटक देखी है।
4 छोटे राज्यों को मिलाया, राजधानी को लेकर फंसा पेंच
साल 1956, भारत को आजाद हुए 9 साल हो चुके थे, देश में लोकतंत्र स्थापित हो चुका था।
जनता द्वारा चुनी गई सरकार का भी गठन हो चुका था, लेकिन देश में भौगोलिक अस्थिरता बनी हुई थी।
भाषाई और भौगोलिक आधार पर कई प्रांत अलग राज्य की मांग कर रहे थे।
इन्हीं सब के चलते 1 नवंबर को देश में 14 नए राज्य अस्तित्व में आए, इसमें एक राज्य मध्य प्रदेश भी था।
मध्य प्रदेश का गठन देश के मध्य हिस्से के 4 छोटे राज्यों को मिलाकर किया गया था।
इसमें पहला है मध्य प्रदेश जिसकी राजधानी नागपुर थी।
दूसरा मध्य भारत जिसकी दो राजधानियां थी, शीतकालीन राजधानी ग्वालियर और ग्रीष्मकालीन राजधानी इंदौर।
तीसरा विंध्य प्रदेश जिसकी राजधानी रीवा और चौथा भोपाल शामिल थे।
इन चारों राज्यों की अपनी विधानसभाएं भी थीं।
अब मध्य प्रदेश राज्य तो बन गया, लेकिन राजधानी को लेकर पेंच फंस गया।
किसी भी राज्य के गठन के बाद सबसे जरूरी चीजों में उसकी राजधानी होती है।
एमपी का कैपिलट बनने के लिए कई जिलों ने अपनी दावेदारी पेश की, इसमें सबसे पहला नाम ग्वालियर और फिर इंदौर का था।
राज्य पुनर्गठन आयोग ने राजधानी के लिए जबलपुर का नाम भी सुझाया था।
इस पूरी खींचतान से इतर भोपाल को राजधानी के रूप में चुना गया।
इसके पीछे का तर्क ये दिया गया था कि भोपाल में भवन ज्यादा हैं, जो सरकारी कामकाज के लिए उपयुक्त हैं।
कहा तो ये भी जाता है कि विरोधी गतिविधियों को रोकने के लिए भी भोपाल को राजधानी बनाने का निर्णय लिया गया था।
दरअसल उस दौर में भोपाल को मध्य प्रदेश में मिलाने के बाद से ही यहां के नवाब हैदराबाद के निजाम से मिलकर इसका विरोध कर रहे थे।
साल 2000 में मध्य प्रदेश से अलग हुआ छत्तीसगढ़
मध्य प्रदेश गठन के समय 43 जिले थे। साल 1972 में 2 बड़े जिलों का विभाजन किया गया।
भोपाल से सिहोर को और राजनांदगांव को दुर्ग से अलग कर दिया गया, अब जिलों की कुल संख्या 45 हो गई थी।
साल 1998 में क्षेत्रफल के लिहाज से बड़े जिलों को विभाजित करके 16 और जिले बनाए गए, जिससे यह संख्या 61 हो गई।
फिर आया साल 2000, राज्य पुनर्गठन आयोग ने प्रदेश के दक्षिण-पूर्वी हिस्से को काटकर भारत के 26वें राज्य छत्तीसगढ़ का गठन किया।
इसके बाद वर्तमान का मध्य प्रदेश अस्तित्व में आया, जो 3 लाख 8 हजार 252 हेक्टेयर के भौगोलिक क्षेत्र में फैला हुआ है।
मध्य प्रदेश क्षेत्रफल के लिहाज से भारत का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है।
वहीं एमपी में फिलहाल 10 संभाग और 55 जिले हैं।
बाघ और हीरे लिए प्रसिद्ध, 12 में से 2 ज्योर्तिलिंग यहीं है
भू वैज्ञानिक दृष्टि से मध्य प्रदेश सर्वाधिक प्राचीनतम गोंडवानालैंड भू संहति का भू भाग है।
इसकी सरंचना आद्य, महाकल्प शैल समूह के आसपास हुई मानी जाती है।
वहीं फिलहाल MP की सीमाएं पांच राज्यों की सीमाओं से मिलती हैं।
उत्तर में उत्तर प्रदेश, पूर्व में छत्तीसगढ़, दक्षिण में महाराष्ट्र और पश्चिम में गुजरात और उत्तर-पश्चिम में राजस्थान राज्य है।
मध्य प्रदेश का राज्य पशु बारहसिंघा, राज्य पक्षी दूधराज और राजकीय वृक्ष बरगद है।
मध्य प्रदेश राज्य खनिज संसाधनों की दृष्टि से बहुत संपन्न राज्य है।
एमपी को भारत के एकमात्र हीरा उत्पादक राज्य के रूप में भी जाना जाता है।
देश में सबसे अधिक राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य का क्षेत्र मध्य प्रदेश में है।
टाइगर स्टेट कहे जाने वाले राज्य मध्य प्रदेश में देश में सर्वाधिक बाघों वाला प्रदेश भी है।
धार्मिक दृष्टि से देखें तो उज्जैन में हर 12 साल में शिप्रा नदी के किनारे कुम्भ मेला लगता है।
वहीं 12 शिव ज्योर्तिलिंग में से 2 ज्योर्तिलिंग ओंकारेश्वर और महाकालेश्वर मध्य प्रदेश में हैं।
मध्य प्रदेश की अर्थ व्यवस्था कृषि प्रधान है।
मुख्य रूप से सोयाबीन का उत्पादन के कारण से एमपी को सोयाप्रदेश के नाम से भी जाना जाता है।
वहीं बता दें मध्य प्रदेश भारत के कई दिग्गजों का जन्मस्थान रहा है।
जैसे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, स्वर कोकिला लता मंगेशकर, गायक किशोर कुमार, जया बच्चन, मंसूर अली खान पटौदी आदि कई अन्य महान व्यक्तियों के नाम इसमें शामिल हैं।
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