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71 नक्सलियों का सामूहिक आत्मसर्मपण: 30 पर था 64 लाख का ईनाम-‘लोन वर्राटू’ अभियान बना वजह

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

71 Naxal Surrender: छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में नक्सलवाद के खिलाफ चल रहे अभियान में एक बड़ी और ऐतिहासिक सफलता मिली है।

यहां एक साथ 71 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण करके हिंसा का रास्ता त्याग दिया और मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया है।

दिलचस्प बात ये है कि इनमें से 30 नक्सलियों पर 64 लाख रुपये का इनाम था, जो इस आत्मसमर्पण को और भी महत्वपूर्ण बनाता है।

यह अब तक का सबसे बड़ा सामूहिक आत्मसमर्पण माना जा रहा है।

ऐतिहासिक आत्मसमर्पण की प्रमुख बातें 

  • बड़ी संख्या: एक साथ 71 नक्सलियों (50 पुरुष और 21 महिलाओं) ने आत्मसमर्पण किया।
  • इनामी नक्सली: इनमें से 30 नक्सलियों पर सुरक्षा बलों द्वारा विभिन्न मामलों में कुल 64 लाख रुपये का इनाम घोषित था।
  • प्रमुख कमांडर शामिल: आत्मसमर्पण करने वालों में कई प्रभावशाली और लंबे समय से सक्रिय नक्सल कमांडर शामिल हैं।
  • सफल अभियान: यह सफलता पुलिस की ‘लोन वर्राटू’ (घर वापसी) अभियान और आक्रामक रणनीति का नतीजा है।

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कौन हैं वो प्रमुख नक्सली जिन्होंने आत्मसमर्पण किया?

आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में कुछ ऐसे नाम शामिल हैं जो लंबे समय से सुरक्षा बलों की रडार पर थे:

  • बामन मड़काम: इन पर 8 लाख रुपये का इनाम था। बामन 2011, 2012, 2014, 2021, 2022 और 2024 में हुई कई पुलिस-नक्सल मुठभेड़ों में शामिल रहा था, जिससे उसका नाम ‘मोस्ट वांटेड’ सूची में शुमार था।
  • शमिला कवासी (उर्फ सोमली): इस महिला नक्सली पर 5 लाख रुपये का इनाम था। वह 2023 में भैरमगढ़ में मोबाइल टावर को आग लगाने और 2024 में बोड़गा में हुई मुठभेड़ की घटना में शामिल थी।
  • गंगी बारसे (उर्फ रोहनी): इन पर भी 5 लाख रुपये का इनाम था और यह भी कई हिंसक घटनाओं में शामिल रही हैं।
  • देवे माड़वी (उर्फ कविता): इन पर भी 5 लाख रुपये का इनाम था।
  • जोगा मड़काम: इन पर 2 लाख रुपये का इनाम घोषित था।

इन नक्सलियों पर जंगलों में पेड़ काटने, सड़कें खोदने, पुलिस के साथ मुठभेड़ और नक्सल विरोधी अभियानों में बाधा डालने जैसे गंभीर आरोप थे।

‘लोन वर्राटू’ अभियान: जिसने बदली तस्वीर

यह सफलता कोई अचानक नहीं मिली है।

दंतेवाड़ा पुलिस द्वारा चलाया जा रहा ‘लोन वर्राटू’ (Lon Varratu) अभियान इसकी मुख्य वजह है।

इस अभियान का मतलब है ‘घर वापसी’।

इसके तहत पुलिस और प्रशासन नक्सलियों और उनके परिवारों से संपर्क करके उन्हें हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित करते हैं।

उन्हें सरकार की पुनर्वास नीति के लाभों के बारे में विस्तार से बताया जाता है।

इस अभियान की बदौलत अब तक दंतेवाड़ा में 1113 से अधिक नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं।

सरकार की पुनर्वास नीति: एक नई जिंदगी की शुरुआत

आत्मसमर्पण के बाद नक्सलियों को छत्तीसगढ़ शासन की पुनर्वास नीति के तहत कई लाभ दिए जाते हैं, ताकि वे एक सामान्य और सम्मानजनक जीवन जी सकें। इन लाभों में शामिल हैं:

  • तत्काल सहायता: आत्मसमर्पण के बाद 50,000 रुपये की तात्कालिक सहायता राशि।
  • रोजमर्रा की जरूरतें: जिला प्रशासन द्वारा दैनिक उपयोग की आवश्यक वस्तुएं प्रदान की जाती हैं।
  • कौशल प्रशिक्षण: उन्हें रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए कौशल विकास प्रशिक्षण दिया जाता है।
  • स्वरोजगार के अवसर: प्रशिक्षण के बाद स्वरोजगार शुरू करने में मदद की जाती है।
  • कृषि भूमि: योग्यता के आधार पर कृषि भूमि भी उपलब्ध कराई जा सकती है।

इन कदमों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आत्मसमर्पित नक्सली दोबारा हिंसा की ओर न लौटें और समाज का एक उत्पादक हिस्सा बन सकें।

पुलिस और सुरक्षा बलों की भूमिका

इस बड़ी सफलता के पीछे पुलिस और विभिन्न सुरक्षा बलों की कड़ी मेहनत है।

पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी, डीआईजी कमलोचन कश्यप और दंतेवाड़ा के एसपी गौरव राय के नेतृत्व में यह अभियान चलाया गया।

डीआरजी (DRG), बस्तर फाइटर्स, स्पेशल इंटेलिजेंस ब्रांच (SIB) और सीआरपीएफ (CRPF) जैसी विशेष इकाइयों ने अहम भूमिका निभाई।

पुलिस की आक्रामक रणनीति और लगातार चल रहे ऑपरेशनों के कारण नक्सल संगठन कमजोर हुआ है।

दंतेवाड़ा पुलिस अधीक्षक गौरव राय ने इस घटना को नक्सल उन्मूलन अभियान में एक बड़ी सफलता बताया।

उन्होंने कहा कि नक्सली संगठन से तंग आकर और एक बेहतर जीवन की उम्मीद में मुख्यधारा में लौट रहे हैं।

2026 तक नक्सलवाद मुक्त छत्तीसगढ़ का लक्ष्य

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ से नक्सलवाद को पूरी तरह समाप्त करने का लक्ष्य रखा है।

दंतेवाड़ा में यह बड़ा आत्मसमर्पण इस लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

यह दर्शाता है कि सुरक्षा बलों के साथ-साथ शांति और विकास का संदेश भी नक्सल प्रभावित इलाकों में पहुंच रहा है।

यह घटना उन सभी नक्सलियों के लिए एक सकारात्मक संदेश है जो एक नई शुरुआत करने के लिए तैयार है।

‘लोन वर्राटू’ अभियान और पुनर्वास नीति की सफलता से उम्मीद बंधती है कि छत्तीसगढ़ जल्द ही पूरी तरह से नक्सलवाद के अभिशाप से मुक्त हो जाएगा।

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