Action Against Encroachment: मध्य प्रदेश के इंदौर में अतिक्रमण को लेकर शहर के तमाम क्षेत्र में कार्रवाई की जा रही है।
पिछले दिनों गाय के बाड़े पर कार्रवाई के दौरान हिंदू संगठन और निगम आमने सामने हुआ था।
वहीं एक बार फिर निगम का बुलडोजर 50 से अधिक दुकानों पर चला है।
हालांकि यह कार्रवाई नगर निगम की नहीं है।
इंदौर विकास प्राधिकरण (IDA) ने अतिक्रमण हटाने की मांग की थी।
रेतीमंडी पर IDA की जमीन से हटा अवैध कब्जा
गुरुवार सुबह इंदौर के राजेंद्र नगर क्षेत्र स्थित रेत मंडी में नगर निगम ने बड़ी अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई को अंजाम दिया।
यह कार्रवाई कोर्ट से IDA के पक्ष में फैसला आने के बाद की गई।
इंदौर विकास प्राधिकरण की स्कीम नंबर 97, पार्ट-4 के तहत इस जमीन पर कई वर्षों से अतिक्रमण कर कच्ची-पक्की दुकानें, मकान और ढाबे बनाए गए थे।
IDA के अनुरोध और कोर्ट के फैसले के बाद नगर निगम ने यह कार्रवाई की।
70 से अधिक कच्ची पक्की दुकानों को हटाया
कार्रवाई सुबह 6 बजे शुरू हुई, इस दौरान नगर निगम का अमला और पुलिस फोर्स मौजूद रहा।
6 जेसीबी और 2 पोकलेन मशीन से की अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई गई।
अतिक्रमण मुहिम के तहत 40 स्थायी, 15 अस्थायी संरचनाएं, 5 मकान और 3 ढाबे ध्वस्त किए गए।
नगर निगम की रिमूवल टीम ने कुल 70 से अधिक कच्ची पक्की दुकानों को हटाने का काम किया है।
कार्रवाई के दौरान नहीं हुआ कोई विवाद
नगर निगम की डिप्टी कमिश्नर लता अग्रवाल ने बताया कि गुरुवार को रेतीमंडी चौराहे पर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई।
IDA ने कमिश्नर को इस संबंध में पत्र भेजा था, जिसमें बताया गया था कि यह अतिक्रमण उनकी स्कीम क्षेत्र में है।
कार्रवाई के दौरान अधिकांश दुकानें खाली मिलीं और कोई विवाद नहीं हुआ।
IDA और नगर निगम ने लोगों को यहां से हटने के लिए पर्याप्त समय दिया था।
कार्रवाई में नगर निगम का स्टाफ और पर्याप्त पुलिस बल शामिल थे।
कोर्ट में चल रहा था मामला, IDA को मिली जीत
रेत मंडी क्षेत्र में इंदौर विकास प्राधिकरण की जमीन पर लोगों ने बड़े पैमाने पर अतिक्रमण किया था।
अतिक्रमण होने के कारण प्राधिकरण जमीन का उपयोग नहीं कर पा रहा था।
इस जमीन का मामला कोर्ट में चल रहा था।
प्राधिकरण ने अपने पक्ष में कहा कि विधिवत रुप से जमीन अधिगृहित की गई है और जमीन मालिकों को तय मुआवजा भी दिया गया।
कोर्ट से फैसला प्राधिकरण के पक्ष में आने के बाद नगर निगम को अतिक्रमण हटाने के लिए पत्र भेजा गया था।
इसके बाद नगर निगम ने यह कार्रवाई की और जमीन को अतिक्रमण मुक्त कर प्राधिकरण को सौंप दिया।
अब प्राधिकरण अतिक्रमण मुक्त करोड़ों की जमीन पर प्लॉट विकसित कर उसे बेचेगा।