नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय यानी Enforcement Directorate (ED) ने बीते कुछ सालों में भारत में काफी सुर्खियां बटोरी हैं और इसकी वजह है हालिया कुछ समय में इसके द्वारा की गई कार्रवाई। ईडी की ये सारी कार्रवाइयां लोकसभा चुनाव 2024 में विपक्षी पार्टियों द्वारा उठाया जा रहा सबसे बड़ा मुद्दा है।
देश में लोकसभा चुनाव 2024 में सत्तारूढ़ राजग और विपक्षी इंडी गठबंधन, ईडी की कार्रवाई को अपनी-अपनी तरह से समझाते हुए अपने-अपने वोटर्स को साधने में जुटे हुए हैं।
बीते दिनों पश्चिम बंगाल की एक रैली में पीएम नरेंद्र मोदी ने ईडी का कार्रवाई का जिक्र करते हुए कहा कि तीसरी बार एनडीए की सरकार बनने पर जांच एजेंसी द्वारा जब्त किए गए सभी पैसे गरीबों में बांट दिए जाएंगे और इसके लिए यदि कानून बनाने की नौबत भी आई तो उस पर भी विचार करेंगे।
दूसरी तरफ, विपक्षी इंडी गठबंधन जांच एजेंसी (ईडी) की इन कार्रवाइयों को राजनीति से प्रेरित बताते हुए उनके नेताओं को डराने-धमकाने का इस्तेमाल करना बताती है।
विपक्षी पार्टियां ये भी आरोप लगाती हैं कि बीते 10 साल में ईडी ने 90 फीसदी से ज्यादा कार्रवाई सिर्फ विपक्षी नेताओं पर की हैं। चुनावी रैलियों में विपक्षी इंडी गठबंधन के कई नेता सत्ता में आने पर इसे सुधारने की बात कहते सुने जा सकते हैं।
तीन गुना ज्यादा कार्रवाई
वैसे अगर आंकड़ों पर गौर किया जाए तो ईडी की कार्रवाई का नया डाटा बताता है कि यूपीए सरकार की तुलना में एनडीए सरकार के शासनकाल में ईडी की कार्रवाई में तीन गुना से ज्यादा की बढ़ोत्तरी हुई है और गिरफ्तारी में 2500 फीसदी का इजाफा हुआ है।
कैसे अमल में आई थी ईडी, जांच एजेंसी के पास हैं ये शक्तियां
- प्रवर्तन निदेशालय यानी Enforcement Directorate (ED) का गठन 1956 में किया गया था। इसका मकसद मनी लॉन्ड्रिंग रोकना है इसलिए इसे भारत की कानून प्रवर्तन खुफिया एजेंसी भी कहते हैं।
- साल 2002 में पहली दफा प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) बनाया गया और इससे ईडी को और ज्यादा शक्ति देने की कोशिश की गई। हालांकि, यह कानून 2005 में अमल में आया था।
- प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) का उद्देश्य था कि भारत के बाहर या यूं कहें कि स्विस बैंकों में जो पैसे भेजे जा रहे हैं, उसको रोकना और इसके साथ ही पैसे को जहां भेजा जा रहा है उसके बारे में जानकारी इकट्ठा करना।
- ईडी के पास वर्तमान में जो सबसे अहम शक्ति है, वो बिना आधार बताए किसी मामले में गिरफ्तारी करना है। ईडी जब किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी करता है तो उसे कोर्ट में खुद को निर्दोष साबित करना होता है। अन्य जांच एजेंसियों और पुलिस की कार्रवाई में ऐसा नहीं होता है। यही कारण है कि ईडी के शिकंजे में आने वाले शख्स को अदालत से जल्दी जमानत नहीं मिल पाती है।
- हालांकि, कानूनी जानकारों के मुताबिक, किसी अन्य एजेंसी या पुलिस की तरफ से जब कोई एफआईआर दर्ज की जाएगी, तभी प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी किसी मामले में एक्शन ले सकेगा।
- इसके ढांचे की बात की जाए तो ईडी के प्रमुख को निदेशक कहा जाता है। इसके कामकाज को आसान बनाने के लिए ईडी के पूरे सिस्टम को 9 भाग में बांटा गया है जिसमें 5 जोन और 4 विभाग आते हैं।
क्या है PMLA और कितनी सजा हो सकती है
- साल 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के लिए धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) पारित किया था। मनी लॉन्ड्रिंग का मतलब है गैर-कानूनी तरीकों से कमाए गए पैसों को कानूनी तरीके से कमाए गए धन के रूप में बदलना।
- 1 जुलाई 2005 को केंद्र सरकार द्वारा इस अधिनियम को लागू किया गया। इस एक्ट के अंतर्गत अपराधों की जांच की जिम्मेदारी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की है। इस केस में अगर कोई दोषी पाया जाता है, तो कम से कम 3 वर्ष के कठोर कारावास की सजा का प्रवाधान है, जिसे 7 वर्ष तक बढ़ाया भी जा सकता है।
2005 से 2014 तक 1797 केस दर्ज हुए और 29 गिरफ्तारियां
- ईडी ने 2005 से 2014 तक प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत 1797 केस दर्ज किए जबकि 29 लोगों को गिरफ्तार किया था। इन 9 सालों में ईडी ने छापेमारी की 84 कार्रवाई को अंजाम दिया जिनमें से अधिकांश बिजनेस से जुड़े बिचौलियों पर की गई थी।
- 2005 से 2014 तक ईडी ने तकरीबन 5100 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की थी और 104 मामलों में चार्जशीट फाइल की थी। हालांकि, इन 9 सालों में एक भी मामले में किसी भी आरोपी को दोषी नहीं ठहराया गया।
2014 से 2024 तक 5155 केस दर्ज हुए और 755 गिरफ्तारियां
- विभिन्न स्रोतों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, इन 10 सालों में ईडी ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत 5155 केस दर्ज किए जो 2005-14 के मुकाबले तीन गुना से भी ज्यादा था। इन 10 सालों में ईडी ने छापेमारी की 7200 कार्रवाई की जिसमें 755 लोगों को गिरफ्तार किया गया और 12618 करोड़ रुपये जब्त किए गए।
- केंद्र सरकार के मुताबिक, 2014 से 2024 तक प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) केस में 63 लोग दोषी ठहराए गए हैं, मनी लॉन्ड्रिंग केस में ईडी की सजा दर 96 फीसदी से ज्यादा है जो अब तक का रिकॉर्ड भी है।