टेस्ला कंपनी के फाउंडर और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X के मालिक एलन मस्क ने ईवीएम पर बैन लगाने की मांग करने की पोस्ट क्या की, उसके बाद तो भारत में ईवीएम से छेड़छाड़ को लेकर बहस शुरू हो गई।
इस बीच, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने मुंबई उत्तर पश्चिम लोकसभा सीट को लेकर आई मीडिया की एक खबर का हवाला देते हुए ईवीएम को ब्लैक बॉक्स बता दिया।
राहुल गांधी के अलावा अन्य विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने भी ईवीएम से छेड़छाड़ को लेकर सवाल उठाए हैं। हालांकि, ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है।
इससे पहले भी ईवीएम को लेकर लगातार सवाल उठाए जाते रहे हैं और चुनाव आयोग के अधिकारियों को आकर इस पर लगातार सफाई देनी पड़ी है।
नेताओं के साथ-साथ आम जनता के मन में भी सवाल उठते रहे हैं कि क्या मोबाइल फोन या ओटीपी से ईवीएम अनलॉक हो सकती है?
या ईवीएम को किसी वायरलेस डिवाइस से कनेक्ट किया जा सकता है? इस आर्टिकल में हम ऐसे ही सवालों के जवाब जानेंगे…
कौन बनाता है ईवीएम?
भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) विभिन्न प्रकार के चुनावों के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) का निर्माण करता है।
भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के तहत नवरत्न पीएसयू में शामिल भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड सेना, नौसेना और वायु सेना के लिए अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद और सिस्टम बनाती है।
ईवीएम में कंट्रोल यूनिट (सीयू) और बैलट यूनिट (बीयू) नामक दो यूनिट होती हैं। कंट्रोल यूनिट में मतदान के संपूर्ण नियंत्रण, मतदान का संचालन, डाले गए कुल मतों का प्रदर्शन और परिणामों की घोषणा का ध्यान रखा जाता है।
यह कुछ बटन दबाने पर सभी जानकारी प्रदान करती है। दूसरी बैलेट यूनिट होती है जो एक सरल मतदान उपकरण है।
यह उम्मीदवारों की सूची प्रदर्शित करती है जिसमें नाम और प्रतीक चिह्न दर्ज करने की सुविधा होती है। मतदाता को प्रत्येक उम्मीदवार के नाम के पास स्थित वांछित स्विच दबाना होता है।
ईवीएम हैकिंग –
हैकिंग का अर्थ है किसी अवैध उद्देश्य के लिए कंप्यूटर नेटवर्क सुरक्षा प्रणालियों को अपने कंट्रोल में करना। ईवीएम के मामले में चुनाव आयोग साफ कर चुका है कि यह हैक हो ही नहीं सकती है।
आयोग के मुताबिक, ईवीएम एक स्टैंड-अलोन मशीन है और यह तार या वायरलेस तरीके से किसी नेटवर्क से जुड़ी नहीं है यानी एक बार प्रोग्राम लिखे जाने के बाद आप इसमें बदलाव नहीं कर सकते हैं।
दूसरे शब्दों में कहें तो इस पर कोई दूसरा सॉफ्टवेयर राइट नहीं किया जा सकता है और न ही संशोधित किया जा सकता है।
यह आरोप लगाया जाता है कि ऐसा या तो मूल डिस्प्ले मॉड्यूल को वायरलेस डिवाइस से सुसज्जित किसी अन्य डिस्प्ले से बदलकर किया जा सकता है या एक अतिरिक्त सर्किट बोर्ड डालकर किया जा सकता है, जो वायरलेस डिवाइस के माध्यम से एक्सटर्नल यूनिट के साथ कम्युनिकेट कर सकता है और परिणाम घोषित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले कंट्रोल यूनिट (सीयू) डिस्प्ले को नियंत्रित करके परिणाम को बदल सकता है।
चुनाव आयोग कहता है कि इस तरह के बदलाव के लिए प्रथम स्तर की जांच के बाद ईवीएम तक कई बार पहुंचना होगा, जो कड़ी सुरक्षा के बीच असंभव है।
दूसरा एम3 ईवीएम में डिस्प्ले यूएडीएम में लगा होता है। यूएडीएम को खोलने या उसमें छेड़खानी करने का कोई भी प्रयास ईवीएम को फैक्ट्री मोड में भेज देगा।
ईवीएम मेमोरी में हेराफेरी –
यह आरोप लगाया जाता है कि मेमोरी मैनिपुलेटर इंटीग्रेटेड सर्किट (आईसी) को मेमोरी चिप में क्लिप करके वोटिंग डेटा को बदला जा सकता है, जहां वोट डेटा स्टोर होता है।
इसके लिए वोटंग खत्म होने के बाद कंट्रोल यूनिट तक पूरी तरह पहुंच की जरूरत होगी। ऐसा संभव नहीं है क्योंकि ईवीएम को प्रशासनिक सुरक्षा में रखा जाता है।
इसके लिए दो सुरक्षा घेरे रहते हैं, इसके अलावा सीसीटीवी कवरेज और स्ट्रॉन्ग रूम के पास उम्मीदवारों के प्रतिनिधियों की कड़ी निगरानी के कारण स्ट्रॉन्ग रूम की सील और ताले तोड़ना संभव नहीं है।
मेमोरी माइक्रो कंट्रोलर के अंदर होती है जो खुद यूएडीएम के अंदर होता है। यूएडीएम को खोलने का कोई भी प्रयास ईवीएम को फैक्ट्री मोड में भेज देगा।
OTP या ब्लूटूथ के जरिए EVM नहीं हो सकती है अनलॉक –
मुंबई ईवीएम विवाद के बाद जिला निर्वाचन अधिकारी (मुंबई) ने ट्वीट किया- ईवीएम को अनलॉक करने के लिए मोबाइल पर कोई ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) की जरूरत नहीं होती है क्योंकि यह नॉन-प्रोग्रामेबल है और इसमें कोई वायरलेस कम्युनिकेशन नहीं हो सकता है।
ईवीएम सिस्टम के बाहर की यूनिट के साथ किसी भी वायर्ड या वायरलेस कनेक्टिविटी से कनेक्ट नहीं हो सकती है यानी यह एक स्टैंड-अलोन डिवाइस हैं। किसी भी तरह की हेराफेरी की संभावना को खत्म करने के लिए एडवांस्ड टेक्निकल फीचर होते हैं।
प्रशासनिक और तकनीकी सुरक्षा उपायों के कारण ऐसा संभव नहीं हो सकता। चिप बदलने के लिए EVM वेयरहाउस तक पहुंच की आवश्यकता होगी। चिप बदलने के लिए स्ट्रॉन्ग रूम तक पहुंच और EVM पिंक पेपर सील को तोड़ने की आवश्यकता होगी।
दरअसल, मुंबई उत्तर पश्चिम लोकसभा क्षेत्र को लेकर एक अखबार में खबर छपी थी जिसमें कहा गया था कि शिवसेना उम्मीदवार रवीन्द्र वायकर (मात्र 48 वोटों से चुनाव जीते) के एक रिश्तेदार ने 4 जून को मतगणना के दौरान एक मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया था, जो ईवीएम से जुड़ा हुआ था और उस पर आए ओटीपी की मदद से ईवीएम को अनलॉक किया गया था।
इस खबर के बाद निर्वाचन अधिकारी वंदना सूर्यवंशी ने सफाई देते हुए कहा कि ईवीएम में किसी भी तरह की छेड़छाड़ से बचाव के लिए ‘मजबूत प्रशासनिक सुरक्षा उपाय’ हैं और इसे ‘अनलॉक’ करने के लिए किसी ओटीपी की कोई जरूरत नहीं होती है।
इसके साथ ही उस अखबार को झूठ फैलाने के आरोप में आईपीसी की धारा 505 और 499 के तहत नोटिस भेजा गया है।