Aniruddhacharya Apologized: हाल ही में प्रसिद्ध कथावाचक अनिरुद्धाचार्य ने भगवान शिव और कृष्ण को लेकर कुछ ऐसा कहा था जिससे संतों में नाराजगी फैल गई थी।
मामला इतना बढ़ गया कि संत समाज, अनिरुद्धाचार्य के खिलाफ प्रदर्शन करने लगे और उनके प्रवचन पर रोक लगाने की मांग भी की।
बात को बढ़ते देख आज कथावाचक अनिरुद्धाचार्य ने संतों से हाथ जोड़कर माफी मांग ली।
क्या है शिव-कृष्ण पर दिया विवाद बयान
दरअसल, कुछ दिन पहले अनिरुद्ध आचार्य ने अपने प्रवचन के दौरान कहा था कि भगवान कृष्ण का विवाह उज्जैन में हुआ था।
इसलिए भगवान शिव भगवान कृष्ण के साले लगते हैं।
इस बात से संत नाराज हो गए और अनिरुद्धाचार्य के खिलाफ हो गए।
मथुरा के संतों का कहना है कि ऐसा कोई संदर्भ सनातन धर्म में नहीं मिलता है।
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मथुरा DM ऑफिस में दी गई शिकायत
मथुरा DM ऑफिस में करीब 100 से ज्यादा संत पहुंचे।
परम ज्ञान आश्रम पटलोनी के महंत प्रवेशानंद पुरी ने कहा- अनिरुद्धाचार्य को शास्त्रों का ज्ञान नहीं हैं, उनके प्रवचन बंद कराए जाने चाहिए।
इसके 24 घंटे के अंदर कथावाचक अनिरुद्धाचार्य ने एक वीडियो जारी करके माफी मांगी।
श्रीचरणों में सिर रखकर माफी मांगता हूं…
कथावाचक अनिरुद्धाचार्य ने विवादास्पद बयान के लिए माफी मांगते हुए कहा,
‘अगर संतों को दिल दुखा हो तो श्रीचरणों में सिर रखकर माफी मांगता हूं.’
संतों का दिल दुखना, मतलब भगवान का दिल दुखना
अनिरुद्धाचार्य ने कहा- पूज्य संतों की वाणी मैंने सुनी। एक संत ने कहा कि आपने शिवजी पर कुछ कहा।
ऐसी कोई बात मेरी जानकारी में अभी तक नहीं है। मेरी वाणी से अगर मेरे संतों का दिल दुखा है।
संतों का दिल दुखना, मतलब भगवान का दिल दुखना। संत भगवान का ही पर्याय हैं।
ये दास अनिरुद्धाचार्य सभी संतों के चरणों में सिर रखकर करोड़ो-करोड़ो बार क्षमा प्रार्थी है।
मैं आपका दास हूं…
अगर भगवान शिव के बारे में आपने कुछ सुना, तो शिव तो हम सबके आराध्य हैं।
हरि और हर में अगर तनिक भी फर्क करे। तनिक भी अपमान करें, तो हमारी जीभ गल जाए।
मैं आपका दास हूं। ऐसे दास को क्षमा करें।
मेरी टूटी-फूटी वाणी है, उसको आप स्वीकार भी करते हैं। इसलिए क्षमा भी करें।
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किसने क्या कहा…
इस मामले में जगदगुरु परमहंस आचार्य ने कहा कि अनिरुद्धाचार्य का बयान अशास्त्रकर और अमर्यादित है। उनको अपना अध्ययन बढ़ाने की आवश्यकता है।
वहीं राष्ट्रवादी बाल संत दिवाकराचार्य जी महाराज ने कहा कि अनिरुद्धाचार्य सरीखों ने धर्म को व्यवसाय बना दिया है जिन्हें शास्त्र वेद और उपनिषदों का ही ज्ञान नहीं है।
निरंजन अखाड़े के साधु-संतों ने भी इस बयान का कड़ा विरोध किया और अनिरुद्धाचार्य पर अपने फायदे के लिए सनातन संस्कृति का अपमान करने का आरोप लगाया।
उत्तराखंड में साधु संतों ने SSP से भी इसकी शिकायत की है।
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कौन है अनिरुद्धाचार्य, कैसे बने कथावाचक
खबरों के मुताबिक 35 साल के कथावाचक अनिरुद्धाचार्य मध्य प्रदेश के दमोह में जन्मे थे और उनके पिता पुजारी थे।
आर्थिक तंगी के चलते वो पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए और छोटी उम्र में ही वृंदावन चले गए।
उनकी अध्यात्म और धार्मिक क्रियाकलापों में खासी रुचि रही.
अनिरुद्धाचार्य ने साल 2019 में अपना आश्रम खोला था।
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यू-ट्यूब पर 14 मिलियन फॉलोअर्स
अनिरुद्धाचार्य के यूट्यूब पर करीब 14 मिलियन फॉलोअर्स हैं तो इंस्टाग्राम पर 2 मिलियन।
लेते है इतनी फीस
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वे एक कथा के लिए 80 हजार से 1 लाख रुपये तक की फीस लेते हैं।
पहले भी दे चुके हैं विवादित बयान
ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है जब अनिरुद्धाचार्य ने कोई विवादित बयान दिया हो।
इससे पहले वह माता सीता और द्रौपदी पर भी विवादित टिप्पणी कर चुके हैं, उस बयान में उन्होंने उनकी सुंदरता को दोष बता दिया था।