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ACP को ‘Digital Arrest’ करने की कोशिश, पोलैंड के नंबर से आया था कॉल

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Manish Kumar
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मनीष आधुनिक पत्रकारिता के इस डिजिटल माध्यम को अच्छी तरह समझते हैं। इसके पीछे उनका करीब 16 वर्ष का अनुभव ही वजह है। वे दैनिक भास्कर, नईदुनिया जैसे संस्थानों की वेबसाइट में काफ़ी समय तक अपनी सेवाएं दे चुके हैं। देशगांव डॉट कॉम और न्यूज निब (शॉर्ट न्यूज ऐप) की मुख्य टीम का हिस्सा रहे। मनीष फैक्ट चैकिंग में निपुण हैं। वे गूगल न्यूज इनिशिएटिव व डाटालीड्स के संयुक्त कार्यक्रम फैक्टशाला के सर्टिफाइट फैक्ट चेकर व ट्रेनर हैं। भोपाल के माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय से पढ़ाई कर चुके मनीष मानते हैं कि गांव और शहर की खबरों को जोड़ने के लिए मीडिया में माध्यमों की लगातार ज़रूरत है।

Digital Arrest : इंदौर। साइबर अपराधियों के हौसले कितने बुलंद है इसकी बानगी इंदौर पुलिस को भी देखने को मिल गई।

मंगलवार को पुलिस आयुक्त कार्यालय में जनसुनवाई कर रहे सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) शिवेंद्र जोशी को साइबर अपराधियों ने डिजिटल अरेस्ट करने की कोशिश की।

साइबर अपराधियों ने सीबीआई अफसर बनकर एसीपी शिवेंद्र जोशी को कॉल लगाया और गिरफ्तार करने की धमकी देने लगे। साइबर अपराधी ने एसीपी को पोलैंड के कोड नंबर से कॉल किया था।

यह है मामला –

इंटेलिजेंस विभाग में पदस्थ एसीपी शिवेंद्र जोशी मंगलवार को जनसुनवाई में बैठे थे जिनके पास अन्नपूर्णा एसीपी का अतिरिक्त प्रभार भी है।

पुलिस जनसुनवाई के बीच में एसीपी जोशी के पास व्हाट्सऐप कॉल आया। पुलिस अफसर की डीपी देखकर एसीपी ने तुरंत कॉल रिसीव कर लिया।

आईपीएस विजय कुमार की डीपी लगा रखे आरोपी ने खुद को सीबीआई अफसर बताते हुए एसीपी से कहा कि हमने तुम्हारे परिचित चार लोगों को पकड़ा है।

पोलैंड का कोड नंबर देख एसीपी समझ गए कि यह साइबर अपराधियों की चाल है। एसीपी ने जब अपना परिचय दिया तो आरोपी अभद्रता करते हुए गिरफ्तार करने की धमकी देने लगा।

एसीपी के फटकार लगाने और साइबर सेल से जांच करवाने की बात बोलते ही फोन काट दिया। आरोपी रुपये वसूलने की कोशिश कर रहे थे।

VPN से कॉल कर रहे अपराधी –

साइबर अपराधी इन दिनों जांच एजेंसियों को चकमा देने के लिए वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) का इस्तेमाल करने लगे हैं। VPN कॉलिंग को ट्रेस करना आसान नहीं है।

आरोपित VPN की मदद से मनचाहे देश के कोड और नंबर डिस्प्ले करवाते हैं। इंटरनेट कॉलिंग होने से लोकेशन और CDR निकालना भी संभव नहीं हो पाता है।

डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) के ज्यादातर मामलों में झारखंड, पश्चिम बंगाल, हरियाणा के गैंग की जानकारी मिली है।

एडिशनल डीसीपी (अपराध) राजेश दंडोतिया के मुताबिक, आरोपी कॉल कर के पार्सल में ड्रग्स, फर्जी पासपोर्ट और बैंक खातों का ह्यूमन ट्रैफिकिंग में इस्तेमाल होने की धमकी देते हैं।

पुलिस, सीबीआई, बैंक और नारकोटिक्स अधिकारी बनकर उन्हें वीडियो कॉल से निगरानी में रख लेते हैं। बाद में सत्यापन के बहाने से खातों में जमा राशि को ठग अपने खातों में जमा करवा लेते हैं।

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