Azharuddin Telangana Minister: तेलंगाना की राजनीति में एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा है।
कांग्रेस नेता और भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन जल्द ही राज्य मंत्रिमंडल का हिस्सा बन सकते हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स और सूत्रों के अनुसार, उनके 31 अक्टूबर, शुक्रवार को राजभवन में मंत्री पद की शपथ लेने की उम्मीद है।
यह नियुक्ति कई मायनों में ऐतिहासिक है, अजहरुद्दीन तेलंगाना की मौजूदा कांग्रेस सरकार में शामिल होने वाले पहले मुस्लिम मंत्री होंगे।

क्यों हो रही है अजहरुद्दीन की नियुक्ति? जुबली हिल्स उपचुनाव है बड़ी वजह
यह राजनीतिक कदम सिर्फ एक प्रशासनिक नियुक्ति नहीं, बल्कि एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा लग रहा है।
इसकी सबसे बड़ी वजह है हैदराबाद की जुबली हिल्स विधानसभा सीट पर 11 नवंबर को होने वाला उपचुनाव।
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मुस्लिम मतदाताओं की अहम भूमिका: जुबली हिल्स सीट पर कुल लगभग 3.90 लाख मतदाताओं में से लगभग 1.20 से 1.40 लाख मतदाता मुस्लिम समुदाय से हैं। यानी, यहाँ हर तीसरा वोटर मुस्लिम है। ऐसे में, इस समुदाय का समर्थन किसी भी पार्टी की जीत का रास्ता तय कर सकता है।
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कैबिनेट में प्रतिनिधित्व का अभाव: तेलंगाना की मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी की वर्तमान 15 सदस्यीय कैबिनेट में एक भी मुस्लिम मंत्री नहीं है। इस वजह से सरकार पर अल्पसंख्यकों की उपेक्षा का आरोप लग रहा था। अजहरुद्दीन के मंत्री बनने से यह कमी दूर होगी और सरकार मुस्लिम मतदाताओं के बीच अपनी विश्वसनीयता बढ़ाना चाहती है।
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चुनावी हार के बाद मौका: दिलचस्प बात यह है कि अजहरुद्दीन ने 2023 के विधानसभा चुनाव में इसी जुबली हिल्स सीट से चुनाव लड़ा था और वे BRS की मगंती गोपीनाथ से लगभग 16,000 वोटों से हार गए थे। हालाँकि, इस बार कांग्रेस ने यहाँ एक गैर-मुस्लिम उम्मीदवार खड़ा किया है, ऐसे में एक मुस्लिम चेहरे को कैबिनेट में शामिल करना एक सामुदायिक संदेश देने की कोशिश है।
#WATCH | Hyderabad, Telangana | Telangana BJP Chief N Ramchander Rao said, “While the Jubilee Hills by-election is going on, the Congress government in Telangana wants to make Mohammad Azharuddin a Minister in the state Cabinet. This is nothing but an act of appeasement and also… pic.twitter.com/rvS8APfIxB
— ANI (@ANI) October 29, 2025
तेलंगाना कैबिनेट की बदलती तस्वीर: क्या होगा असर?
अजहरुद्दीन के शामिल होने के बाद तेलंगाना कैबिनेट की संख्या 15 से बढ़कर 16 हो जाएगी।
राज्य में अधिकतम 18 मंत्री हो सकते हैं, यानी अभी और दो नियुक्तियाँ की जा सकती हैं।
इस नियुक्ति को कांग्रेस की केंद्रीय आलाकमान की भी मंजूरी मिल चुकी है।
कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम सिर्फ तेलंगाना तक सीमित नहीं, बल्कि आगामी बिहार जैसे चुनावों में भी मुस्लिम मतदाताओं को संदेश देने का काम कर सकता है।

क्रिकेट के मैदान से राजनीति के अखाड़े तक का सफर
मोहम्मद अजहरुद्दीन का नाम भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक चमकदार सितारे के तौर पर दर्ज है।
शानदार क्रिकेट करियर:
उन्होंने भारत की ओर से 99 टेस्ट मैच खेले और टीम की कप्तानी भी की।
उनका 100वाँ टेस्ट खेलना तय था, लेकिन उससे पहले ही साल 2000 में उन पर मैच फिक्सिंग के गंभीर आरोप लगे।
BCCI द्वारा की गई जांच के बाद उन्हें आजीवन प्रतिबंध झेलना पड़ा।
हालांकि, 2012 में आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने इस प्रतिबंध को अमान्य करार देते हुए उन्हें राहत दिलाई।

राजनीति में प्रवेश:
क्रिकेट के बाद अजहरुद्दीन ने राजनीति के क्षेत्र में कदम रखा।
उन्होंने 2009 का लोकसभा चुनाव उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद से कांग्रेस के टिकट पर जीता।
हालांकि, 2014 में वे राजस्थान की टोंक-सवाई माधोपुर सीट से चुनाव हार गए।
तेलंगाना राजनीति में सक्रियता:
2018 में उन्हें तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया, जिससे उनकी राज्य की राजनीति में सक्रिय भूमिका स्पष्ट हो गई।
हाल ही में, उन्हें राज्यपाल के कोटे से विधान परिषद (एमएलसी) का सदस्य नामित किया गया है, हालांकि राज्यपाल द्वारा अभी तक इस पर औपचारिक मंजूरी नहीं दी गई है।

एक राजनीतिक चेकमेट
मोहम्मद अजहरुद्दीन की तेलंगाना कैबिनेट में संभावित एंट्री एक बहुआयामी रणनीति का हिस्सा प्रतीत होती है।
एक तरफ, यह सरकार पर लगे अल्पसंख्यक-विरोधी होने के आरोपों को कमजोर करती है और कैबिनेट को विविधतापूर्ण बनाती है।
वहीं दूसरी ओर, यह जुबली हिल्स जैसे महत्वपूर्ण उपचुनाव में जीत हासिल करने के लिए एक सटीक राजनीतिक कदम है।
एक लोकप्रिय क्रिकेटर का चेहरा और पहले मुस्लिम मंत्री का दर्जा, कांग्रेस इन दोनों ही फैक्टर्स का पूरा राजनीतिक फायदा उठाना चाहती है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह ‘सिक्सर’ जुबली हिल्स की सीट जीतने में कामयाब हो पाता है।


