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बांग्लादेश हिंसा: निशाने पर मीडियाकर्मी- भीड़ ने हिंदू युवक को जलाया, भारतीयों के लिए एडवाइजरी जारी

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Bangladesh violence Usman Hadi: बांग्लादेश के छात्र नेता उस्मान हादी की मौत के बाद पूरे देश में हिंसा भड़क गई है।

लोग लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। इस दौरान मीडियाकर्मियों और उनके आफिसों को निशाना बनाया जा रहा है।

भारतीयों को भी निशाना बनाया जा रहा है जिसके बाद भारत सरकार ने एडवाइजरी भी जारी की है।

आइए जानते हैं आखिर कौन थे उस्मान हादी, जिनकी मौत ने बांग्लादेश को फिर हिंसा की आग में झोंक दिया है।

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हादी पर हमला और मौत की कहानी

शरीफ उस्मान हादी, बांग्लादेश के 2024 के छात्र आंदोलन के एक प्रमुख नेता और इंकलाब मंच के प्रवक्ता थे।

12 दिसंबर को, जब उस्मान हादी ढाका के पलटन इलाके में एक ऑटो-रिक्शा में यात्रा कर रहे थे, अज्ञात हमलावरों ने उन पर गोलीबारी कर दी।

एक गोली उनके सिर में लगी। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया और बाद में बेहतर इलाज के लिए सिंगापुर भेज दिया गया।

लगभग एक सप्ताह के संघर्ष के बाद, 19 दिसंबर को सिंगापुर के अस्पताल में उनकी मृत्यु हो गई।

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सिंगापुर के विदेश मंत्रालय ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि हत्या के प्रयास में लगी चोटों के कारण उनकी मौत हुई।

हादी की मौत की खबर सामने आने के बाद पूरे देश में हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए है, जिससे कई शहरों में हालात बिगड़ गए हैं।

एक नेता जिसने हिला दी थी सत्ता की नींव

उस्मान हादी उस इंकलाब मंच के प्रवक्ता थे, जिसने जुलाई 2024 में हुए बड़े छात्र विद्रोह में अग्रणी भूमिका निभाई थी।

इस आंदोलन का परिणाम यह हुआ कि देश की लंबे समय से सत्तारूढ़ प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता छोड़नी पड़ी।

हादी फरवरी के आगामी चुनावों में ढाका-8 सीट से स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव प्रचार भी कर रहे थे।

वह युवाओं में एक लोकप्रिय आवाज और हसीना सरकार के एक प्रमुख आलोचक के रूप में जाने जाते थे।

मौत के बाद भड़की हिंसा और तबाही

हादी की मौत की खबर ने पूरे बांग्लादेश में आग में घी का काम किया।

उनके समर्थकों और विभिन्न छात्र संगठनों ने ढाका सहित कई शहरों में सड़कों पर उतरकर हिंसक प्रदर्शन शुरू कर दिए। प्रदर्शनकारियों ने:

  • शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग के कई कार्यालयों में आग लगा दी और तोड़फोड़ की।
  • देश के प्रमुख अखबार डेली स्टार और प्रोथोम आलो के दफ्तरों में घुसकर वहां भी तोड़फोड़ की।
  • पूर्व राष्ट्रपति और शेख हसीना के पिता शेख मुजीबुर रहमान के ऐतिहासिक आवास को भी निशाना बनाया।
  • चटगांव में भारतीय सहायक उच्चायुक्त के आवास पर भीड़ ने पथराव किया।
  • ढाका विश्वविद्यालय में छात्रों ने शेख मुजीबुर रहमान हॉल का नाम बदलकर ‘शहीद उस्मान हादी हॉल’ कर दिया।

धार्मिक हिंसा का एक और दर्दनाक मामला

इस अशांति के बीच, मयमनसिंह जिले के भालुका उपजिले में एक और दर्दनाक घटना सामने आई।

धर्म का अपमान करने के आरोप में एक हिंदू युवक दीपू चंद्र दास को भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला।

इसके बाद उसके शव को नग्न करके एक पेड़ से लटकाकर आग लगा दी गई।

सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में लोग धार्मिक नारे लगाते देखे जा सकते हैं।

यह घटना साम्प्रदायिक तनाव को बढ़ाने वाली है।

सरकार और नेताओं की प्रतिक्रिया

देश के मुख्य सलाहकार (अंतरिम राष्ट्रपति) मुहम्मद यूनुस ने हादी की मौत पर गहरा शोक जताया और एक दिन के राजकीय शोक की घोषणा की।

उन्होंने हादी को “जुलाई विद्रोह का निडर योद्धा” बताया और हमले के दोषियों को पकड़ने का वादा किया।

उन्होंने देशवासियों से शांति बनाए रखने की अपील भी की।

बांग्लादेश चुनाव आयोग ने भी हादी को “देश के लिए समर्पित और युवाओं की आवाज” बताते हुए शोक व्यक्त किया।

हिंसा को देखते हुए यूनुस ने एक उच्चस्तरीय बैठक भी बुलाई है।

भारत की एडवाइजरी और सुरक्षा चिंताएं

बांग्लादेश में बिगड़ते हालात को देखते हुए, भारतीय उच्चायोग, ढाका ने वहां रह रहे भारतीय नागरिकों, समुदाय और छात्रों के लिए एक एडवाइजरी जारी की है।

इसमें गैर-जरूरी यात्रा से बचने, भीड़-भाड़ वाले इलाकों में न जाने और सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है।

उच्चायोग के बाहर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।

12 फरवरी को होने हैं चुनाव

उस्मान हादी का शव सिंगापुर से लाकर शनिवार को ढाका के मानिक मियां एवेन्यू में उनका अंतिम संस्कार किया जाना है।

उनकी मौत ने बांग्लादेश की राजनीति में एक बड़ा खालीपन छोड़ दिया है और देश उस अशांत दौर में वापस आ गया है जो जुलाई के विद्रोह के बाद थोड़ा शांत हुआ था।

फरवरी में होने वाले चुनावों को लेकर पहले से ही तनाव के माहौल में यह घटना एक बड़ी चिंता का विषय है।

सरकार के सामने प्रदर्शनकारियों का गुस्सा शांत करने, हिंसा पर लगाम लगाने और हादी की हत्या की निष्पक्ष जांच कराने की बड़ी चुनौती है।

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