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SBI के बाद अब बैंक ऑफ बड़ौदा ने भी किया अनिल अंबानी को फ्रॉड घोषित, 1656 करोड़ लोन बकाया

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Anil Ambani BOB Fraud: बैंक ऑफ बड़ौदा ने अनिल अंबानी और उनकी कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCOM) को लोन धोखाधड़ी के मामले में ‘फ्रॉड’ घोषित कर दिया है।

यह कार्रवाई स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) और बैंक ऑफ इंडिया के बाद आई है, जो पहले ही ऐसा कदम उठा चुके हैं।

बैंक ऑफ बड़ौदा ने RCOM को 2,462.50 करोड़ रुपये का लोन दिया था, जिसमें से 1,656 करोड़ रुपये से अधिक की रकम अब भी बकाया है।

क्या कहा बैंक ने

बैंक का कहना है कि यह लोन 5 जून 2017 से ही ‘नॉन परफॉर्मिंग एसेट’ (NPA) यानी खराब कर्ज बन चुका है।

NPA तब बनता है जब कोई कंपनी या व्यक्ति बैंक के कर्ज की किस्त या ब्याज 90 दिन से अधिक समय तक नहीं चुकाता है।

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RCOM ने दिया ये जवाब

इस मामले में RCOM की तरफ से कहा गया है कि उन्हें बैंक की ओर से 2 सितंबर को एक पत्र मिला है।

कंपनी के प्रवक्ता ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा कि यह मामला 12 साल पुराना है और अनिल अंबानी 2006 से 2019 तक कंपनी में केवल एक गैर-कार्यकारी निदेशक (नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर) थे।

उनका कंपनी के रोजमर्रा के कारोबार या फैसलों से कोई लेना-देना नहीं था।

कंपनी ने इन सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया है और कानूनी रास्ता अपनाने की बात कही है।

इसके साथ ही, अनिल अंबानी की दूसरी कंपनी रिलायंस पावर ने शेयर बाजार को बताया कि बैंक ऑफ बड़ौदा की इस कार्रवाई का उनके व्यापार और वित्तीय प्रदर्शन पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अनिल अंबानी साढ़े तीन साल से रिलायंस पावर के बोर्ड का हिस्सा नहीं हैं।

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कानूनी नियम क्या कहते हैं?

जब किसी बैंक खाते को ‘फ्रॉड’ घोषित किया जाता है, तो बैंकिंग कानूनों के मुताबिक, इस मामले को तुरंत प्रवर्तन एजेंसियों जैसे CBI और ED के पास भेज दिया जाता है।

इसकी वजह से लोन लेने वाले व्यक्ति या कंपनी को अगले 5 साल तक कोई नया लोन नहीं मिल पाता है।

RCOM पर कुल मिलाकर 40,400 करोड़ रुपये का कर्ज है और कंपनी 2019 से दिवालिया प्रक्रिया (इन्सॉल्वेंसी) से गुजर रही है।

CBI और ED ने भी मारे छापे

यह मामला केवल बैंक ऑफ बड़ौदा तक सीमित नहीं है।

महज 13 दिन पहले, केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने RCOM के खिलाफ 2,929 करोड़ रुपये के बैंक फ्रॉड के एक अलग मामले में केस दर्ज किया था।

CBI ने 23 अगस्त को मुंबई में RCOM के दफ्तर और अनिल अंबानी के घर पर छापे भी मारे थे।

इसके अलावा, जुलाई में ही प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप से जुड़े 35 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी की थी।

बैंक ने अनिल अंबानी के खिलाफ व्यक्तिगत दिवालिया होने की कार्यवाही भी शुरू कर दी है, जो मुंबई की नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में लंबित है।

अंबानी परिवार का बंटवारा और वर्तमान हालात

अनिल अंबानी और उनके बड़े भाई मुकेश अंबानी के बीच रिलायंस ग्रुप के बंटवारे की कहानी काफी चर्चित रही है।

2005 में हुए इस बंटवारे में मुकेश अंबानी को रिलायंस इंडस्ट्रीज और पेट्रोकेमिकल्स का कारोबार मिला,

जबकि अनिल अंबानी को RCOM, रिलायंस कैपिटल, रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर और रिलायंस पावर जैसी कंपनियां मिलीं।

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आज मुकेश अंबानी की कंपनियां दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में शामिल हैं, जबकि अनिल अंबानी की कंपनियां वित्तीय संकट और कर्ज के बोझ तले दब गई हैं।

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