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बंगाल के “दीघा जगन्नाथ मंदिर” पर विवाद: ममता बनर्जी पर भड़के पुरी के लोग, बोले- माफी मांगो

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Digha Jagannath Controversy: पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा दीघा में बनाए गए नए जगन्नाथ मंदिर को लेकर विवाद छिड़ गया है।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 30 अप्रैल को इस मंदिर का उद्घाटन किया और इसे “जगन्नाथ धाम” नाम दिया।

लेकिन ओडिशा के पुरी जगन्नाथ मंदिर के पंडितों, विद्वानों और भक्तों ने इस नाम पर आपत्ति जताई है।

उनका कहना है कि “जगन्नाथ धाम” का दर्जा सिर्फ पुरी के मंदिर को ही प्राप्त है और किसी अन्य मंदिर को यह नाम देना हिंदू धर्म की मान्यताओं के खिलाफ है।

“धाम” शब्द का प्रयोग सिर्फ चार धामों के लिए

ममता बनर्जी ने दीघा में बने नए जगन्नाथ मंदिर को “जगन्नाथ धाम” नाम दिया है।

ओडिशा के लोगों का कहना है कि “धाम” शब्द का प्रयोग सिर्फ चार धामों (बद्रीनाथ, द्वारका, पुरी, रामेश्वरम) के लिए ही होता है।

पुरी के पंडितों और भक्तों ने ममता बनर्जी से माफी मांगने की मांग की है।

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सुदर्शन पटनायक ने सीएम को लिखा लेटर

सैंड आर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक ने ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी को पत्र लिखकर इस मामले में हस्तक्षेप करने की गुजारिश की है।

आइए जानते हैं पुरी के लोगों को और क्या-क्या आपत्तियां हैं…

“धाम” नाम का दुरुपयोग:

हिंदू धर्म में केवल चार धाम माने जाते हैं, जिनमें पुरी का जगन्नाथ मंदिर शामिल है।

दीघा के मंदिर को “धाम” कहना धार्मिक परंपराओं के विरुद्ध माना जा रहा है।

मूर्तियों में ब्रह्मा की स्थापना का दावा:

कुछ सेवकों का आरोप है कि दीघा मंदिर में भगवान जगन्नाथ की पत्थर की मूर्ति में ब्रह्मा को स्थापित किया गया है, जो पारंपरिक मान्यताओं के अनुरूप नहीं है।

नीलचक्र के प्रतीक का उपयोग:

पुरी मंदिर के प्रतीक “नीलचक्र” का उपयोग दीघा मंदिर के प्रचार में किया गया, जिस पर भी आपत्ति उठाई गई है।

मूर्तियों की सामग्री पर सवाल:

पुरी में भगवान जगन्नाथ की मूर्तियाँ नीम की लकड़ी (दारू) से बनती हैं, जबकि दीघा में पत्थर की मूर्तियाँ स्थापित की गई हैं।

ओडिशा से माफी की मांग

सुदर्शन पटनायक ने कहा कि ममता बनर्जी को “जगन्नाथ धाम” नामकरण के लिए भक्तों से माफी मांगनी चाहिए।

पुरी मंदिर के पूर्व प्रबंधक माधव महापात्र ने इसे “सनातन धर्म के खिलाफ साजिश” बताया।

वरिष्ठ सेवक रामचंद्र दास महापात्र ने कहा कि “धाम” का दर्जा आदि शंकराचार्य ने पुरी को दिया था, दीघा को यह नाम देना गलत है।

बंगाल सरकार का पक्ष

ममता बनर्जी ने कहा कि यह मंदिर अगले कई हजार सालों तक लोगों के संगम स्थल के रूप में काम करेगा।

यह मंदिर बंगाल की सांस्कृतिक विरासत और पर्यटन को बढ़ावा देगा।

ममता ने उम्मीद जताई कि मंदिर के लोकार्पण के बाद दीघा एक अंतरराष्ट्रीय आकर्षण का पर्यटक केंद्र बन जाएगा।

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क्या मंदिर का नाम बदलेगीं ममता बनर्जी

बंगाल सरकार के इस कदम को ओडिशा में धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला माना जा रहा है।

अब देखना होगा कि क्या ममता बनर्जी इस मामले में कोई स्पष्टीकरण देती हैं या नाम परिवर्तन पर विचार करती हैं।

24 एकड़ भूमि पर बनाया गया है मंदिर

  • दीघा में समुद्र किनारे लगभग 24 एकड़ भूमि पर निर्मित जगन्नाथ मंदिर, वास्तुशिल्प चमत्कार है, जो जटिल नक्काशी और पारंपरिक डिजाइन का मिश्रण है।
  • यह पुरी के 12वीं सदी के जगन्नाथ मंदिर की प्रतिकृति है।
  • मुख्य मंदिर में भोग मंडप, नट मंदिर और गर्भगृह हैं।
  • 16 स्तंभों पर मंदिर खड़ा है।
  • मुख्य सिंहासन पर जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा की मूर्तियां होंगी।

2018 में की थी मंदिर निर्माण की घोषणा

2018 में पूर्व मेदिनीपुर की अपनी यात्रा के दौरान ही मुख्यमंत्री ने दीघा में जगन्नाथ मंदिर के निर्माण की घोषणा की थी।

कोरोना काल में मंदिर निर्माण कार्य रोक दिया गया था। हालांकि, बाद में मंदिर का निर्माण तीव्र गति से किया गया।

मंदिर निर्माण के लिए राजस्थान से करीब 800 कारीगरों को लाया गया।

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