Bengaluru Airport Namaz controversy: कर्नाटक की राजनीति एक बार फिर से धार्मिक मुद्दे पर गरमा गई है।
इस बार का कारण बन गया है बेंगलुरु के केम्पेगौड़ा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे (KIA) के टर्मिनल-2 के अंदर कुछ लोगों द्वारा सामूहिक नमाज अदा करने का एक वायरल वीडियो।
इस वीडियो ने सोशल मीडिया पर तूफान खड़ा कर दिया है और विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने सिद्धारमैया सरकार पर सुरक्षा प्रोटोकॉल को नजरअंदाज करने और दोहरे रवैये अपनाने का आरोप लगाया है।
वायरल वीडियो में क्या दिख रहा है?
सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि हवाई अड्डे के टर्मिनल-2 के सार्वजनिक क्षेत्र में लगभग 16-17 लोग झुंड बनाकर नमाज पढ़ रहे हैं।
यह दृश्य तब का है, जबकि हवाई अड्डे पर एक निर्धारित ‘मल्टी-फेथ प्रेयर रूम’ (बहु-धर्म प्रार्थना कक्ष) मौजूद है।
वीडियो में हवाई अड्डे के कर्मचारी और सुरक्षा गार्ड भी आस-पास खड़े दिखाई दे रहे हैं, जिससे BJP ने सुरक्षा चिंताएं जताई हैं।
How is this even allowed inside the T2 Terminal of Bengaluru International Airport?
Hon’ble Chief Minister @siddaramaiah and Minister @PriyankKharge do you approve of this?Did these individuals obtain prior permission to offer Namaz in a high-security airport zone?
Why is it… pic.twitter.com/iwWK2rYWZa— Vijay Prasad (@vijayrpbjp) November 9, 2025
BJP ने उठाए सवाल?
इस घटना पर कर्नाटक BJP के प्रवक्ता विजय प्रसाद ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर सख्त प्रतिक्रिया जताई है। उन्होंने एक वीडियो पोस्ट करते हुए कई गंभीर सवाल उठाए:
- सुरक्षा का सवाल: उन्होंने पूछा कि एक हाई-सिक्योरिटी वाले जोन में सामूहिक धार्मिक गतिविधि की अनुमति कैसे दी गई? क्या इन लोगों ने नमाज पढ़ने से पहले हवाई अड्डा प्रबंधन से कोई अनुमति ली थी?
- दोहरे मापदंड का आरोप: प्रसाद ने कांग्रेस सरकार पर दोहरा चरित्र दिखाने का आरोप लगाते हुए कहा, “सरकार RSS की पथ संचलन जैसी गतिविधियों पर रोक लगाती है, जिसके लिए अनुमति ली जाती है, लेकिन ऐसी घटनाओं पर आंखें मूंद लेती है।” उन्होंने इसे गंभीर सुरक्षा चिंता का विषय बताया।

RSS परेड विवाद से कैसे जुड़ा है मामला?
BJP के इस आरोप की जड़ हाल ही में हुई एक और घटना है।
कर्नाटक सरकार ने हाल में एक आदेश जारी कर कहा था कि सार्वजनिक स्थलों पर किसी भी तरह के कार्यक्रम (जिसमें परेड या मार्च शामिल हैं) के आयोजन से पहले पुलिस से अनुमति लेना अनिवार्य होगा।
इस आदेश को RSS की शाखाओं और उसके पथ संचलन (परेड) पर रोक लगाने की कोशिश के रूप में देखा गया।


