Bhopal Carbide Gun Ban: दिवाली का त्योहार जहां खुशियां लेकर आता है, वहीं इस बार मध्य प्रदेश, खासकर भोपाल के लिए एक बड़ी त्रासदी का कारण बन गया।
पटाखों के विकल्प के रूप में इस्तेमाल होने वाली ‘कार्बाइड गन’ ने सैकड़ों लोगों, खासकर बच्चों की आंखों की रोशनी को गंभीर नुकसान पहुंचाया है।
भोपाल की बात करें तो अलग-अलग अस्पतालों में ऐसे 162 लोग पहुंचे हैं। करीब 300 लोगों की आंखें इस गन से घायल हुई है, जबकि 150 लोगों की आंखों की रोशनी जा चुकी है।
इस भयावह स्थिति के बाद भोपाल के जिला कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने गुरुवार को तत्काल प्रभाव से कार्बाइड गन की बिक्री, खरीद और भंडारण पर प्रतिबंध लगा दिया है।
प्रतिबंधनात्मक पटाखा, आतिशबाजी, लोहा स्टील अथवा पीवीसी पाइपों में विस्फोटक पदार्थ भरकर अत्यधिक ध्वनि उत्पन्न करने वाले अवैध संशोधित पटाखे (कार्बाइड गन) तैयार कर विक्रय किए जा रहे है जिससे आम नागरिकों की सुरक्षा, शांति एवं पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। अतः भारतीय नागरिक… pic.twitter.com/5XF2eceaqP
— ANI_HindiNews (@AHindinews) October 24, 2025
आंखों को क्या हुआ नुकसान?
नेत्र रोग विशेषज्ञों का कहना है कि इस गन से हुई चोटें सामान्य नहीं हैं।
कैल्शियम कार्बाइड में मौजूद फॉस्फोरस और आर्सेनिक जैसे जहरीले तत्वों ने आंखों की कोमल नसों और कॉर्निया (आंख का स्पष्ट सामने वाला हिस्सा) की कोशिकाओं को स्थायी नुकसान पहुंचाया है।
कई मरीजों की आंखों में इसके महीन कण अंदर तक घुस गए हैं, जिन्हें निकालना डॉक्टरों के लिए एक बड़ी चुनौती है।
इस हादसे में घायल लगभग 50% मरीजों ने अपनी आंखों की रोशनी पूरी तरह या आंशिक रूप से खो दी है।
VIDEO | Bhopal: Over 60 people, mostly children aged 8–14, injured by a makeshift carbide gun this Diwali, with severe injuries to eyes, face, and skin. Hospitals report ongoing treatment. CMHO Manish Sharma warns against the use of carbide guns.
(Full video available on PTI… pic.twitter.com/zh2sNFh22k
— Press Trust of India (@PTI_News) October 22, 2025
डॉक्टर बोले- ट्रांसप्लांट के लिए कॉर्निया मिलना मुश्किल
कई मरीजों को सिर्फ एक सफेद रोशनी का गोला ही दिखाई दे रहा है।
अस्पतालों में डॉक्टर ‘एमनियोटिक मेम्ब्रेन इम्प्लांट’ और ‘टिशू ग्राफ्टिंग’ जैसी जटिल प्रक्रियाओं के जरिए आंखों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं।
हालांकि, कई मामलों में अंतिम उपाय ‘कॉर्निया ट्रांसप्लांट’ ही बचा है, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में ट्रांसप्लांट के लिए कॉर्निया का मिलना अपने आप में एक बहुत बड़ी मुश्किल है।

प्रतिबंध से पहले और बाद की कार्रवाई
सबसे दुखद पहलू यह है कि इस खतरे के बारे में अधिकारियों को पहले से ही चेतावनी मिली हुई थी।
भोपाल के ICMR (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) ने 2023 में ही एक रिसर्च जारी कर चेतावनी दी थी कि यह गन एक ‘विस्फोटक उपकरण’ की श्रेणी में आती है और इससे आंखों की रोशनी जा सकती है।
लेकिन समय रहते कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
कलेक्टर ने हमीदिया अस्पताल पहुँच कार्बाइड गन से घायल उपचाररत व्यक्तियों एवं बच्चों का जाना हाल-चाल
रेड क्रॉस के माध्यम से ₹5000 प्रति व्यक्ति की आर्थिक सहायता मौके पर ही उपलब्ध कराई
जिले में प्रतिबंधित पटाखों और कार्बाइड गन की बिक्री पर कड़ी कार्रवाई, 55 कार्बाइड गन जब्त pic.twitter.com/tdpbl8oLw2
— Collector Bhopal (@CollectorBhopal) October 23, 2025
दिवाली के बाद जब भोपाल समेत पूरे प्रदेश के अस्पतालों में सैकड़ों घायलों, जिनमें 7 से 14 साल के बच्चे शामिल हैं की भीड़ लगना शुरू हुई, तब प्रशासन की नींद खुली।
भोपाल के कलेक्टर ने धारा-163 के तहत प्रतिबंध का आदेश जारी किया।
इस आदेश के बाद अब कोई भी व्यक्ति इस गन को बेचते, खरीदते या अपने पास रखते हुए पकड़ा गया, तो उसके खिलाफ FIR दर्ज की जाएगी।
भोपाल और ग्वालियर में पहले ही दो विक्रेताओं को गिरफ्तार किया जा चुका है।
कलेक्टर श्री कौशलेंद्र विक्रम सिंह के निर्देशानुसार जिले में कार्बाइड पाइप गन के अवैध विक्रय पर कार्यवाही करते हुए आरोपी-मोहम्मद ताहा उम्र 27 वर्ष निवासी एहसान नगर,भोपाल पर अपराध क्रमांक 890/25 धारा 4, 5, 9(ख) विस्फोटक अधिनियम 1884 एवं 288 BNS के अंतर्गत प्रकरण कायम किया गया है। pic.twitter.com/PpjTyi4x8q
— Collector Bhopal (@CollectorBhopal) October 24, 2025
राजनीति शुरू: सरकार पर उठे सवाल, BJP ने किया पलटवार
इस पूरे हादसे ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है।
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस नेता उमंग सिंघार ने घायल बच्चों से मिलने अस्पताल पहुंचकर सरकार पर जमकर हमला बोला।
उन्होंने इसे ‘हादसा’ नहीं बल्कि ‘सरकारी अपराध’ बताया।
आज हमीदिया अस्पताल पहुंचकर कार्बाइड एयर गन से झुलसे मासूम बच्चों से मुलाकात की, परिजनों से बात की और उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली।
₹200 की गन ने 292 आंखों की रोशनी छीन ली मगर सरकार की आंखें अब भी बंद हैं!
दीवाली पर जहां बच्चों के हाथों में खुशियां होनी चाहिए थीं, वहां दर्द और… pic.twitter.com/Myel6ehDYE
— Umang Singhar (@UmangSinghar) October 24, 2025
उनका सवाल था कि जब मुख्यमंत्री ने पहले ही इनकी बिक्री पर रोक के आदेश दिए थे, तो जमीन पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
वहीं, भाजपा ने इसका पलटवार करते हुए कहा कि सरकार संवेदनशील है और घटना के बाद तुरंत जरूरी कदम उठाए गए हैं।
उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला भी घायलों से मिलने अस्पताल पहुंचे और बेहतर इलाज के निर्देश दिए।
आज भोपाल स्थित हमीदिया चिकित्सालय पहुँचकर कार्बाइन गन से घायल हुए युवाओं एवं बच्चों का हालचाल जाना।
चिकित्सकों से घायलों के उपचार की विस्तृत जानकारी प्राप्त की और उनके स्वास्थ्य की सतत मॉनिटरिंग के निर्देश दिए।
सभी घायलों को सर्वोत्तम चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।… pic.twitter.com/2JL7Y3y2co
— Rajendra Shukla (@rshuklabjp) October 24, 2025
कैसे बनी यह ‘देसी गन’ जानलेवा?
कार्बाइड गन कोई नई बंदूक नहीं है, बल्कि एक खतरनाक ‘जुगाड़’ है जिसे सोशल मीडिया पर ‘बंदर भगाने का देसी तरीका’ बताकर वायरल किया गया था।
- यह गन सिर्फ 100 से 200 रुपए में बाजार में आसानी से मिल जाती थी।
- इसके खतरे का राज इसके अंदर भरे जाने वाले केमिकल ‘कैल्शियम कार्बाइड’ में छिपा है।
- जब इस गन में कैल्शियम कार्बाइड के टुकड़े डालकर थोड़ा पानी डाला जाता है, तो एक रासायनिक प्रतिक्रिया होती है।
- इस प्रतिक्रिया से ‘एसिटिलीन’ नाम की एक ज्वलनशील गैस पैदा होती है।
- जैसे ही इस गन का ट्रिगर दबाया जाता है, यह गैस तेज आवाज के साथ विस्फोटक रूप से जल उठती है। लेकिन खतरा सिर्फ विस्फोट तक सीमित नहीं है।

- डॉक्टरों और वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस प्रक्रिया में निकलने वाली गर्मी और रसायन आंखों के लिए बेहद घातक साबित होते हैं।
- यह एक ‘थर्मो-केमिकल बर्न’ पैदा करती है, जो सामान्य आग या पटाखे से लगी चोट से कहीं ज्यादा खतरनाक होती है।
भोपाल में कार्बाइड गन की वजह से हुई यह घटना एक दुखद सबक है।
यह दिखाती है कि सस्ते और आकर्षक दिखने वाले जुगाड़ कितने खतरनाक साबित हो सकते हैं।


