Bhopal Drugs Case: मध्यप्रदेश की राजधानी में मिले 1800 करोड़ से ज्यादा के ड्रग्स के मामले में अब नया खुलासा सामने आया है।
कहानी की शुरुआत एक जेल से हुई, जहां इन ड्रग्स तस्करों का नेटवर्क तैयार हुआ और अब इनके तार अंतरराष्ट्रीय ड्रग्स तस्कर गिरोह से जुड़े होने के सबूत सामने आए हैं।
ऐसे पकड़ा गया 1814 करोड़ के ड्रग्स का जाले
भोपाल के बगरौदा गांव स्थित प्लॉट नंबर एफ-63 में ड्रग्स की फैक्ट्री चल रही थी।
इसकी भनक भोपाल पुलिस को तब लगी जब गुजरात ATS और NCB की 15 सदस्यीय टीम ने फैक्ट्री पर दबिश दी।
ये छापामार कार्रवाई 5 अक्टूबर को की गई थी, उस दौरान कटारा हिल्स पुलिस फैक्ट्री के बाहर तैनात थी।
इस कार्रवाई ने पुलिस से लेकर ATS अधिकारियों के भी होश उड़ा दिए।
ड्रग्स बनाने के केमिकल को तौलना शुरू किया तो ये 907 किलो निकला, जिसकी कीमत 1814 करोड़ 18 लाख रुपए हैं।
पुलिस ने इस केस में पहले 2 आरोपियों अमित और सान्याल को गिरफ्तार किया।
बता दें महाराष्ट्र के एक किलो एमडी ड्रग्स केस में 2022 में जमानत पर छूटे आरोपी सान्याल बाने पर 6 महीने से गुजरात ATS नजर रख रही थी।
ड्रग केस में पुलिस ने तीसरे आरोपी हरीश को भी गिरफ्तार कर लिया है, जिसके खिलाफ NDPS एक्ट में पहले भी कई बार कार्रवाई की जा चुकी है।
रविवार शाम को ही भोपाल कोर्ट से 8 दिन के ट्रांजिट रिमाइंड पर अमित और सान्याल को एटीएस गुजरात ले गई है।
वहीं जिस फैक्ट्री में ड्रग्स बनाने के गोरखधंधे का भंडाफोड़ किया गया है।
उस फैक्ट्री के मालिकों एसके सिंह और जयदीप सिंह के खिलाफ भोपाल पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है।
जेल में प्लानिंग से लेकर किराए पर फैक्ट्री लेने तक पूरी कहाने
अब तक की जांच में पता चला है कि ड्रग्स तस्करी का ये नेटवर्क जेल में तैयार हुआ है।
पहला आरोपी प्रकाश चंद्र चतुर्वेदी साइंस ग्रेजुएट है।
पहले वो एक प्राइवेट जॉब करता था, दो बार खुद का बिजनेस शुरु किया पर वो काम रहा।
एक दोस्त के जरिए प्रकाश की इस केस के दूसरे आरोपी सान्याल बाने से मुंबई में पहली मुलाकात हुई थी।
वहीं NDPS एक्ट केस में सान्याल ऑर्थर रोड जेल मुंबई में 5 साल की सजा काट चुका है।
जेल में सान्याल की अलग-अलग प्रदेशों के ड्रग्स तस्करों से मुलाकात हुई।
यहीं से सान्याल को एमडी ड्रग्स की तस्करी का रास्ता मिला।
इससे पहले वो कोकिन और चरस जैसे मादक पदार्थ बेचता रहा था।
सान्याल ने जेल में रहते हुए अपने गुर्गे और केस के तीसरे आरोपी हरीश आंजना को प्रकाश के पास पहुंचाया।
हरीश और सान्याल भी ऑर्थर रोड जेल में साथ रहे हैं।
सान्याल के कहने पर हरीश ने ही प्रकाशचंद्र को भोपाल के आउटर में फैक्ट्री की जमीन तलाशने को कहा थे।
इसके बाद फर्नीचर बनाने के नाम पर फैक्ट्री को किराए पर लिया गया।
बताया जा रहा है कि फैक्ट्री की मशीनें और सिस्टम आधुनिक और उच्च क्षमता वाले थे।
आरोपी पिछले 6 महीने से रोजाना 25 से 30 किलो ड्रग्स तैयार कर रहे थे।
भोपाल में फैक्ट्री और कनेक्शन UK–दुबई तक
आरोपियों से पूछताछ में कई बड़े खुलासे सामने आए हैं।
आरोपी भोपाल को ड्रग प्रोडक्शन का गढ़ बनाना चाहते थे और यहीं ड्रग का स्टॉक रखना चाहते थे।
सप्लाई की प्लानिंग महाराष्ट्र, राजस्थान और गुजरात में की जा रही थी।
फैक्टी में हर दिन 100 करोड़ की एमडी बनाई जा रही थी, भोपाल में भी ये ड्रग्स खप रहा था।
7 महीने में भोपाल में ड्रग्स के 55 मामलों में कार्रवाई की गई और करीब 13 करोड़ का ड्रग बरामद हुआ है।
अब खुलासा हुआ है कि आरोपियों के तार अंतरराष्ट्रीय ड्रग्स तस्कर गिरोह से जुड़े हैं।
आरोपी विदेशों तक ड्रग की तस्करी करने में माहिर है।
एटीएस की पूछताछ में आरोपियों ने UK और दुबई तक ड्रग्स की खेप भेजने की योजना की बात स्वीकार की है।
वहीं ड्रग्स सप्लाई में क्रिप्टो करेंसी का इस्तेमाल होने की बात भी सामने आई है।
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