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बिहार में मतदाता सूची की फाइनल लिस्ट जारी: 7.42 करोड़ वोटर्स के नाम शामिल! पहले कटे थे 69 लाख नाम

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Bihar Voter List: चुनाव आयोग (EC) ने बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) यानी ‘विशेष गहन सत्यापन’ की अंतिम मतदाता सूची मंगलवार को जारी कर दी है।

इस फाइनल लिस्ट में लगभग 7.42 करोड़ मतदाताओं के नाम शामिल हैं।

अनुमान है कि इसमें करीब 14 लाख नए मतदाताओं के नाम भी जोड़े जा सकते हैं।

यह कदम बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारियों को गति देगा।

क्या है SIR प्रक्रिया और क्यों शुरू हुई?

SIR यानी ‘स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन’ एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें मतदाता सूची की गहन समीक्षा की जाती है।

बिहार में वर्ष 2003 के बाद पहली बार यह प्रक्रिया 24 जून 2025 से शुरू की गई थी।

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इसका मुख्य लक्ष्य मतदाता सूची से फर्जी, डुप्लीकेट, मृतक और स्थायी रूप से दूसरे इलाकों में चले गए मतदाताओं के नाम हटाना और नए पात्र मतदाताओं को जोड़ना था।

इस प्रक्रिया के तहत राज्य के 7.89 करोड़ पंजीकृत मतदाताओं से दोबारा फॉर्म भरवाए गए।

पहला चरण 25 जुलाई तक पूरा हुआ, जिसमें 99.8% कवरेज हासिल की गई।

इसके बाद 1 अगस्त को पहला ड्राफ्ट जारी किया गया, जिसमें चौंकाने वाला फैसला सामने आया और 69 लाख मतदाताओं के नाम सूची से काट दिए गए।

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69 लाख नाम क्यों काटे गए?

चुनाव आयोग के अनुसार, इन 69 लाख काटे गए नामों के पीछे कई वजहें हैं:

  • 22 लाख मतदाता: ऐसे लोग हैं जिनकी मृत्यु हो चुकी है।
  • 36 लाख मतदाता: ऐसे लोग हैं जो अपने रजिस्टर्ड पते पर नहीं मिले। यानी वे स्थायी रूप से वहां रहते ही नहीं हैं।
  • 7 लाख मतदाता: ऐसे लोग हैं जो किसी दूसरी जगह स्थायी रूप से बस चुके हैं
  • इसके अलावा, इनमें कुछ ऐसे लोग भी शामिल थे जिनके पास दो-दो वोटर आईडी कार्ड थे। इन डुप्लीकेट नामों को भी सूची से हटाया गया।

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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: आधार बना 12वां दस्तावेज

इस SIR प्रक्रिया की एक बड़ी खासियत सुप्रीम कोर्ट का एक अहम फैसला रहा।

शुरुआत में मतदाता पहचान पत्र के लिए केवल 11 दस्तावेज ही मान्य थे।

लेकिन 8 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि आधार को भी पहचान के दस्तावेज के रूप में स्वीकार किया जाए।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ‘आधार पहचान का प्रमाण है, नागरिकता का नहीं।’

इस फैसले के बाद आधार नंबर अब वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने के लिए 12वें वैध दस्तावेज के रूप में मान्य हो गया है।

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विपक्ष क्यों कर रहा है विरोध?

SIR की इस पूरी प्रक्रिया पर विपक्षी दलों ने सवाल उठाए हैं और इसका जोरदार विरोध कर रहे हैं।

उनका मुख्य आरोप है कि यह प्रक्रिया एक साजिश के तहत लाखों लोगों को उनके मतदान के अधिकार से वंचित करने का काम कर रही है।

विपक्ष के तर्क हैं:

अगर 2003 के बाद से अब तक करीब 22 साल में बिहार में पांच चुनाव हो चुके हैं, तो क्या वे सभी चुनाव गलत मतदाता सूची पर हुए थे?

अगर SIR करना ही था, तो इसकी घोषणा जून के अंत में ही क्यों की गई? इसका निर्णय कैसे और क्यों लिया गया?

अगर मान भी लें कि SIR जरूरी था, तो इसे बिहार के अगले चुनाव के बाद भी आराम से किया जा सकता था। इतनी जल्दबाजी में इसे लागू करने की क्या जरूरत थी?

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क्या करें अगर नाम न हो सूची में?

फाइनल लिस्ट जारी होने के बाद मतदाताओं के लिए यह जांचना बहुत जरूरी है कि उनका नाम सूची में है या नहीं।

अगर किसी का नाम सूची में नहीं है या कोई नया मतदाता बनना चाहता है, तो वह चुनाव आयोग की ऑफिशियल वेबसाइट https://electoralsearch.eci.gov.in/ पर जाकर अपना नाम सर्च कर सकता है।

नाम न होने की स्थिति में फॉर्म भरकर नया नाम जुड़वाया जा सकता है।

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बिहार के बाद अब पूरे देश में होगी SIR प्रक्रिया

चुनाव आयोग ने 18 सितंबर को स्पष्ट किया कि बिहार की तर्ज पर अब स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) पूरे देश में किया जाएगा।

हालांकि, ज्यादातर राज्यों में आधे से ज्यादा मतदाताओं को कोई नया दस्तावेज दिखाने की जरूरत नहीं होगी, क्योंकि उनके नाम 2002-2004 के बीच हुई पिछली SIR प्रक्रिया में ही शामिल हैं।

नए मतदाताओं को एक डिक्लेरेशन फॉर्म भरना होगा, जिसमें उन्हें अपना जन्म स्थान और तारीख बतानी होगी।

1987 के बाद जन्मे लोगों को अपने माता-पिता के दस्तावेज भी जमा करने होंगे।

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बिहार में SIR की फाइनल लिस्ट का जारी होना चुनावी प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।

अब पूरे देश में इसी प्रक्रिया को अपनाए जाने की तैयारी है, जिससे भविष्य में देश की मतदाता सूचियां और भी सटीक और भरोसेमंद बन सकेंगी।

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