BJP’s Victory in Milkipur: अयोध्या की हार का बदला भाजपा ने समाजवादी पार्टी से मिल्कीपुर विधानसभा छीनकर लिया है।
8 साल बाद सपा को इस सीट पर हराकर भाजपा ने इतिहास की सबसे बड़ी जीत दर्ज की है।
भाजपा प्रत्याशी चंद्रभानु पासवान ने सपा के अजीत प्रसाद को 61 हजार से ज्यादा वोट से हराया है।
सपा मुखिया अखिलेश यादव ने पार्टी की हार स्वीकार की, लेकिन पुलिस-प्रशासन पर चुनाव में धांधली के आरोप भी लगाए।
भाजपा की ऐतिहासिक जीत, सपा से छिनी सीट
अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर हुए उपचुनाव के लिए बीजेपी ने पुराने धुरंधरों के बजाय नए चेहरे चंद्रभानु पासवान पर दांव खेला।
चंद्रभानु ने भी पार्टी को निराश नहीं किया और पूरे दमखम से चुनाव लड़ा।
सीएम योगी समेत पार्टी के तमाम बड़े नेताओं का उन्हें सपोर्ट मिला।
जिसका नतीजा यह हुआ कि चंद्रभानु ने मिल्कीपुर उपचुनाव में इतिहास की सबसे बड़ी जीत हासिल की है।
चंद्रभानु पासवान ने अजीत प्रसाद को 61 हजार 636 वोट से हराकर मिल्कीपुर सपा से छीन ली है।
चुनाव जीतने के बाद भाजपा प्रत्याशी चंद्रभानु पासवान ने भाजपा कार्यालय पर लोगों के पैर छूकर आशीर्वाद लिया।
वहीं बीजेपी की जीत को लेकर कार्यालय पर कार्यकर्ताओं ने अबीर-गुलाल उड़ाकर जश्न मनाया।
पार्टी की हार स्वीकार कर अखिलेश यादव ने कहा- ये भाजपा की झूठी जीत है, जिन अफसरों ने घपलेबाजी की है वो सजा पाएंगे।
वहीं, अयोध्या सांसद अवधेश प्रसाद और उनके बेटे अजीत प्रसाद घर से नहीं निकले।
अवधेश प्रसाद ने कहा- भाजपा ने बेईमानी का रिकॉर्ड तोड़ दिया, उनके गुंडों ने बूथ कैप्चरिंग की।
सपा उम्मीदवार अपने बूथ पर हारे, भाजपा ने बदला खेल
इससे पहले सपा से अवधेश प्रसाद साल 2012 में 39,237 वोट से जीते थे।
उपचुनाव में चंद्रभानु पासवान को 1 लाख 46 हजार 291 और अजीत प्रसाद को 84 हजार 655 वोट मिले।
बाकी सभी 8 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई। अयोध्या सांसद के बेटे होने के बावजूद अजीत प्रसाद अपने ही बूथ से हार गए।
लोकसभा चुनाव में मिल्कीपुर विधानसभा में भाजपा को सपा से 7 हजार वोट कम मिले थे।
लेकिन, 8 महीने में ही भाजपा ने बाजी पलट दी।
तीसरे नंबर पर आजाद समाज पार्टी के प्रत्याशी सूरज चौधरी रहे, उन्हें 5 हजार 457 वोट मिले।
मिल्कीपुर में भाजपा पहले राउंड से ही बढ़त बनाए हुए थी, वह आखिर तक जारी रही।
एक बार भी सपा आगे नहीं निकल पाई।
मिल्कीपुर से अवधेश प्रसाद सपा विधायक थे।
2024 लोकसभा चुनाव में सपा ने उन्हें लोकसभा चुनाव लड़वाया।
वह अयोध्या (फैजाबाद) से सांसद बन गए, तब से यह सीट खाली थी।
बता दें मिल्कीपुर में उपचुनाव नवंबर में होने थे, लेकिन भाजपा नेता गोरखनाथ ने अवधेश प्रसाद के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर रखी थी।
इसमें उनका नामांकन रद्द करने की मांग की थी।
हालांकि, बाद में बाबा गोरखनाथ ने याचिका वापस ले ली थी।
मालूम हो कि मिल्कीपुर में कुल मतदाताओं की संख्या 3 लाख 58 हजार है।
यहां सबसे अधिक अनुसूचित जाति और फिर पिछड़े वर्ग के वोटर हैं।
मिल्कीपुर में अनुसूचित जाति वर्ग में पासी समाज और ओबीसी वर्ग में यादव सबसे प्रभावी हैं।
BJP ने पुराने धुरंधरों के बजाय नए चेहरे पर खेला था दांव
अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर हुए उपचुनाव के लिए बीजेपी ने पुराने धुरंधरों के बजाय नए चेहरे चंद्रभान पासवान पर दांव खेला था।
समाजवादी पार्टी पहले ही सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को यहां से प्रत्याशी घोषित कर चुकी थी।
अवधेश प्रसाद की तरह चंद्रभानु पासवान पासी समाज से आते हैं और वह रुदौली के परसौली गांव के निवासी हैं।
पेशे से वकील चंद्रभानु पासवान अयोध्या के रुदौली से दो बार जिला पंचायत सदस्य रहे हैं।
उनकी पत्नी जिला पंचायत सदस्य और पिता बाबा रामलखन दास ग्राम प्रधान हैं।
चंद्रभानु बीजेपी की जिला इकाई में कार्य समिति के भी सदस्य हैं।
2024 के लोकसभा चुनाव में वह अनुसूचित जाति संपर्क प्रमुख रहे।
1986 में जन्मे चंद्रभानु पासवान का पूरा परिवार साड़ी के बिजनेस में सक्रिय हैं।
वह सूरत के अलावा रुदौली में भी साड़ी का कारोबार करते हैं।
शैक्षिक योग्यता की बात करें तो चंद्रभानु ने बीकॉम, एमकॉम और एलएलबी की है।
चंद्रभान बीते दो सालों से मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर एक्टिव थे।
जानकारों की मानें तो मिल्कीपुर सीट के लिए बीजेपी के टिकट के करीब आधा दर्जन दावेदार थे।
लेकिन, सभी दिग्गजों को पीछे छोड़ते हुए चंद्रभानु ने बाजी मारी।