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फ्री हेलमेट के चक्कर में CM के प्रोगाम में अफरा-तफरी: बॉक्स लेकर भागी भीड़, भीड़ ने किया ट्रक का पीछा

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Helmet Distribution Chaos: शनिवार को भोपाल के अटल पथ पर सुरक्षा का संदेश देने के एक कार्यक्रम ने अव्यवस्था और छीना-झपटी का रूप ले लिया।

मुख्यमंत्री मोहन यादव की मौजूदगी में निशुल्क हेलमेट वितरण के इस आयोजन में जहां एक ओर लोगों ने हेलमेट पाने के लिए धक्का-मुक्की की और बॉक्स लेकर भागने की कोशिश की, वहीं दूसरी ओर कई लोगों ने खराब सड़कों की समस्या भी उठाई।

यह कार्यक्रम ‘सेवा पखवाड़े’ के तहत आयोजित किया गया था।

आइए जानते है क्या है पूरा मामला…

2100 हेलमेट निशुल्क बांटने का आयोजन

इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बाइक सवारों को सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक करना था।

एक चौंकाने वाले आंकड़े के मुताबिक, साल 2021 से 2025 तक भोपाल में हुए 912 सड़क हादसों में 543 बाइक सवारों की मौत केवल हेलमेट न पहनने की वजह से हुई।

इन मौतों को कम करने और लोगों को हेलमेट के महत्व से अवगत कराने के लिए जिला प्रशासन ने भोपाल चैंबर ऑफ कॉमर्स और पेट्रोल डीलर एसोसिएशन जैसी संस्थाओं की मदद से करीब 2100 हेलमेट निशुल्क बांटने का फैसला किया।

सीएम ने पहनाए हेलमेट

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने नवरात्रि के पावन पर्व के मौके पर इस कार्यक्रम की शुरुआत की।

उन्होंने कुछ बाइक सवारों को हेलमेट पहनाए और एक रैली को रवाना किया।

सीएम यादव ने लोगों से अपील करते हुए कहा,

“राइड करना जरूरी है, लेकिन इस दौरान दुर्घटना से बचने के लिए हेलमेट पहनना बहुत जरूरी है। युवा साथी तेज रफ्तार में गाड़ी चलाकर लापरवाही न करें और एक जिम्मेदार नागरिक बनें।”

उन्होंने यह भी कहा कि हेलमेट उनका सुरक्षा कवच है और दुर्घटना की स्थिति में सरकार पीड़ितों के साथ खड़ी है।

कैसे बिगड़ा कार्यक्रम का माहौल?

आयोजन के लिए मूल रूप से एनसीसी कैडेट्स, पेट्रोल पंप कर्मचारियों और स्वयंसेवी संस्थाओं के लोगों को आमंत्रित किया गया था।

लेकिन जैसे ही आसपास मुफ्त हेलमेट बांटे जाने की खबर फैली, सैकड़ों की संख्या में आम लोग वहां पहुंच गए।

जल्द ही हेलमेट पाने की होड़ में सातों वितरण काउंटरों पर भीड़ जमा हो गई।

लोगों के बीच धक्का-मुक्की और छीनाझपटी शुरू हो गई।

हालात इतने बिगड़ गए कि कुछ लोगों ने काउंटर से हेलमेट के पूरे बॉक्स ही उठाकर भागने की कोशिश की।

सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रशासन को हेलमेट वितरण रोकना पड़ा।

लोगों ने किया ट्रक का पीछा

वितरण रुकने से कई लोग नाराज हो गए, जो घंटों लाइन में खड़े रहे थे।

बाइक चालक आनंद निगवाल ने कहा कि वह दो घंटे से इंतजार कर रहे थे, लेकिन उन्हें हेलमेट नहीं मिला।

एक निगमकर्मी शगुन ने बताया कि वह और उनके पति दो घंटे से लाइन में लगे थे, लेकिन उन्हें भी हेलमेट नसीब नहीं हुआ।

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सबसे अजीब नज़ारा तब देखने को मिला जब हेलमेट से भरे दो ट्रक वापस जाने लगे।

लोगों ने इन ट्रकों का पीछा किया, यह सोचकर कि अभी और हेलमेट बांटे जा सकते हैं।

हालांकि, वितरक सौरभ नारवानी ने स्पष्ट किया कि ये अतिरिक्त हेलमेट थे जो वापस ले जाए जा रहे थे।

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सड़क समस्या पर भी बात

इस आयोजन ने हेलमेट के महत्व के अलावा शहर की खराब सड़कों का मुद्दा भी उजागर किया।

हेलमेट पाने वाले एक युवक अर्जुन पाल ने कहा, “हेलमेट मिलना अच्छी बात है, लेकिन भोपाल की सड़कें बहुत खराब हैं।

भदभदा से प्रेमपुरा तक की सड़क जर्जर है, जिससे दुर्घटना का डर बना रहता है।

सरकार को इस ओर भी ध्यान देना चाहिए।”

सुरक्षा की सीख के साथ सबक

कुल मिलाकर, यह कार्यक्रम सड़क सुरक्षा का महत्व बताने में तो सफल रहा, लेकिन इसने यह भी दिखाया कि जन-जागरूकता अभियानों को बेहतर प्रबंधन और भीड़ नियंत्रण की सख्त जरूरत होती है।

हेलमेट जीवन रक्षक है, लेकिन उसे पाने की होड़ में लोगों द्वारा दिखाई गई बेसब्री ने सुरक्षा के नियमों की अनदेखी का एक विरोधाभासी चित्र भी पेश किया।

प्रशासन के लिए यह एक सबक है कि भविष्य में ऐसे आयोजनों को और अधिक व्यवस्थित तरीके से संचालित किया जाए।

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