Chhattisgarh Naxal Surrender: छत्तीसगढ़ के नक्सल उन्मूलन अभियान को 17 अक्टूबर, 2025 को एक ऐतिहासिक सफलता मिली है।
आज बस्तर संभाग के अबूझमाड़ और कांकेर के घने जंगलों से कुल 208 माओवादियों ने हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने का फैसला किया। इनमें 110 महिला नक्सली शामिल हैं।
इसके साथ ही, उन्होंने 153 विभिन्न प्रकार के घातक हथियार सुरक्षा बलों के सामने जमा कर दिए, जिसमें AK-47, INSAS राइफल जैसे आधुनिक हथियार शामिल हैं।
ये घटना इस बात का सबूत है कि अब नक्सली भी संघर्ष से ऊब चुके हैं।
यह घटना न सिर्फ छत्तीसगढ़, बल्कि पूरे देश में अब तक का सबसे बड़ा नक्सल आत्मसमर्पण माना जा रहा है।
लाल आतंक पर सुशासन, विकास और विश्वास की जीत हो रही है।
छत्तीसगढ़ अब नक्सलमुक्त, विकासयुक्त और आत्मविश्वास से परिपूर्ण नए युग की ओर अग्रसर है।#NaxalFreeBastar pic.twitter.com/f9Okhhb2go
— Vishnu Deo Sai (@vishnudsai) October 17, 2025
सरेंडर का नजारा: हथियारों की जगह किताब और गुलाब मिली
जगदलपुर पुलिस लाइन परिसर में आयोजित इस ऐतिहासिक कार्यक्रम का माहौल उम्मीदों से भरा हुआ था।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, उप मुख्यमंत्री और गृहमंत्री विजय शर्मा और बस्तर रेंज के इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (आईजी) सुंदरराज पी समेत वरिष्ठ पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौजूद थे।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि आत्मसमर्पण करने वाले प्रत्येक नक्सली का स्वागत भारतीय संविधान की एक प्रति और एक गुलाब का फूल देकर किया गया।
Over 200 Naxalites surrendered in Chhattisgarh today.
153 weapons handed over – including 19 AK-47s and 17 SLRs.
This isn’t just a win – it’s a clear message: Bharat is writing the end of the Naxal chapter. #Chhattisgarh #NaxaliteSurrender #NaxalMuktBharat #AntiNaxal… pic.twitter.com/SARMGQRRz0
— Hardeep Singh Puri ᴾᵃʳᵒᵈʸ (@hardeep_s_puri) October 17, 2025
यह उनके लिए हिंसा के अंधेरे से निकलकर लोकतंत्र और शांति की रोशनी में आने का संदेश था।
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को तीन बसों में बैठाकर कार्यक्रम स्थल पर लाया गया।
हालांकि, माओवादी संगठन के सेंट्रल कमेटी मेंबर (CCM) और प्रवक्ता रूपेश (उर्फ सतीश, उर्फ टी. वासुदेव राव) को, जिसके सिर पर 1 करोड़ रुपए का इनाम था, को सुरक्षा कारणों से अलग से एक कार से लाया गया।
#Maoists Surrender: A total of 208 cadres (110 females, 98 males) of banned outfit CPI (Maoist) to say ‘Farewell to Arms’ in #bastar, south #Chhattisgarh today. They’re accorded welcome,here each holding #Indian Constitution on a stage @santwana99 @NewIndianXpress @jayanthjacob pic.twitter.com/NLqug0QXZE
— Ejaz Kaiser (@KaiserEjaz) October 17, 2025
हथियारों का विशाल जखीरा: AK-47 से लेकर BGL तक
आत्मसमर्पण की सबसे बड़ी उपलब्धि वह विशाल हथियारों का जखीरा था, जिसे नक्सलियों ने सुरक्षा बलों के हवाले किया।
यह हथियार नक्सलियों की पहले की सैन्य शक्ति का प्रमाण थे, जो अब राज्य की सफल नीति के आगे झुक गए।
सरेंडर किए गए हथियारों की सूची इस प्रकार है:
- 19 AK-47 राइफलें
- 17 SLR राइफलें
- 23 INSAS राइफलें
- 1 INSAS LMG (लाइट मशीन गन)
- 36 .303 राइफलें
- 4 कार्बाइन
- 11 BGL (बैरल ग्रेनेड लॉन्चर)
- 41 सिंगल शॉट गन / 12 बोर गन
- 1 पिस्टल
इन हथियारों को कार्यक्रम स्थल पर सबके सामने प्रदर्शित किया गया, जो राज्य की नक्सल विरोधी रणनीति की जबरदस्त जीत का प्रतीक बन गया।
#WATCH | Chhattisgarh | 208 Naxalites surrender and lay down their weapons before security forces in Bastar’s Jagdalpur to join the mainstream, as they express confidence in the Constitution of India pic.twitter.com/mDkpFOvLSP
— ANI (@ANI) October 17, 2025
कौन हैं वो नक्सली जो मुख्यधारा में लौटे?
यह सिर्फ आम नक्सलियों का समूह नहीं था, बल्कि इसमें माओवादी संगठन का उच्चस्तरीय नेतृत्व भी शामिल है, जिससे संगठन को भारी झटका लगा है।
- 1 सेंट्रल कमेटी मेंबर (CCM): रूपेश (प्रवक्ता)
- 4 दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी मेंबर (DKSZC)
- 1 रीजनल कमेटी मेंबर
- 21 डिविजनल कमेटी मेंबर (DVCM)
- 61 एरिया कमेटी मेंबर (ACM)
- 98 पार्टी सदस्य और 22 जन जनमिलिसिया सदस्य
इसके अलावा, भास्कर उर्फ राजमन मण्डावी, रणिता, राजू सलाम, धन्नू वेत्ती उर्फ सन्तू और रतन इलम जैसे वरिष्ठ नेता भी शामिल हैं।
इतने बड़े स्तर पर नेतृत्व के आत्मसमर्पण से माड़ डिवीजन सहित अबूझमाड़ और उत्तरी बस्तर का नक्सली ढांचा पूरी तरह से धराशायी हो गया है।
#WATCH | Jagdalpur, Chhattisgarh | Over 200 Naxalites surrender before security forces, expressing confidence in the Constitution of India, they are joining the mainstream of society today pic.twitter.com/FT3W3OnExM
— ANI (@ANI) October 17, 2025
“विकास की मुख्यधारा में स्वागत है”: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय
इस ऐतिहासिक घटना पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि जो नक्सली हिंसा का रास्ता छोड़कर विकास की मुख्यधारा में शामिल होना चाहते हैं, उनका स्वागत है।
उन्होंने कहा, “हमने शुरू से ही हथियार छोड़ने का नक्सलियों से आह्वान किया था। आज जो लौटे हैं, उन्हें राज्य सरकार की अच्छी पुनर्वास नीति का पूरा लाभ मिलेगा।”
यह पुनर्वास नीति उन्हें नया जीवन शुरू करने में आर्थिक, सामाजिक और सुरक्षात्मक सहायता प्रदान करेगी।
देश की आंतरिक सुरक्षा में ऐतिहासिक सफलता, अबूझमाड़-उत्तर बस्तर हुए नक्सलमुक्त। #मीडिया_संवाद pic.twitter.com/N95IVuQXrH
— Vishnu Deo Sai (@vishnudsai) October 17, 2025
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जताई बड़ी उम्मीद
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए इस सफलता को ‘ऐतिहासिक’ बताया।
उन्होंने घोषणा की कि छत्तीसगढ़ का अबूझमाड़ और उत्तरी बस्तर अब पूरी तरह से माओवादी आतंक से मुक्त हो चुका है।
उन्होंने कहा कि अब केवल दक्षिण बस्तर के एक छोटे से हिस्से में नक्सलवाद का नाममात्र का प्रभाव बचा है, जिसे बहुत जल्द समाप्त कर दिया जाएगा।
उन्होंने मार्च 2026 तक देश को नक्सलवाद से मुक्त करने के अपने संकल्प को दोहराया।
यह अत्यंत हर्ष की बात है कि एक समय आतंक का गढ़ रहे छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ और नॉर्थ बस्तर को आज नक्सली हिंसा से पूरी तरह मुक्त घोषित कर दिया गया है। अब छिटपुट नक्सली केवल साउथ बस्तर में बचे हुए हैं, जिन्हें हमारी सुरक्षा बल शीघ्र ही समाप्त कर देंगे।
जनवरी 2024 में छत्तीसगढ़ में…
— Amit Shah (@AmitShah) October 16, 2025
सुरक्षा बलों के निरंतर अभियानों ने तोड़ी कमर
यह सफलता रातों-रात नहीं मिली है। पिछले दो वर्षों में सुरक्षा बलों ने अबूझमाड़ के अभेद्य माने जाने वाले जंगलों में लगातार स्ट्रैटेजिक ऑपरेशन चलाए।
इन ऑपरेशनों में कई शीर्ष माओवादी नेता मारे गए, जैसे पोलित ब्यूरो सदस्य बसव राजू, डीकेएसजेडसी सचिव रामचंद्र रेड्डी और सचिवालय प्रभारी सत्यनारायण रेड्डी।
इन नेताओं के गिरने से संगठन का मनोबल टूटा और आम कैडर भटकने लगे।

रूपेश की अपील: “अब सशस्त्र संघर्ष बेमानी”
सबसे महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब सीसीएम सदस्य रूपेश ने स्वयं आत्मसमर्पण करने के बाद एक वीडियो जारी कर देश भर के माओवादियों से हथियार डालने की अपील की।
उन्होंने कहा, “अब सशस्त्र संघर्ष का कोई अस्तित्व नहीं रह गया है। हमें लोकतांत्रिक तरीके से अपनी लड़ाई जारी रखनी चाहिए।”
एक शीर्ष नेता का ऐसा बयान नक्सल आंदोलन के भविष्य के लिए एक बड़ा झटका है।
जहां कभी डर और हिंसा थी, वहां अब विकास और विश्वास की रोशनी फैल रही है। संवर रहा है बस्तर… pic.twitter.com/wdK0WsIrif
— Vishnu Deo Sai (@vishnudsai) October 17, 2025
बस्तर में शांति और विकास की नई सुबह
यह ऐतिहासिक आत्मसमर्पण न सिर्फ नक्सलवाद के खिलाफ एक बड़ी जीत है, बल्कि बस्तर क्षेत्र के लिए एक नई शुरुआत का प्रतीक भी है।
जिस अबूझमाड़ में दशकों तक बंदूकों की आवाज गूंजती थी, अब वहां विकास, शासन और विश्वास की नई इबारत लिखी जाएगी।
स्कूल, अस्पताल और सड़कें बनेंगी और जो युवा कभी हिंसा में भटक गए थे, वे अब देश की मुख्यधारा में शामिल होकर अपना और अपने समाज का भविष्य संवार सकेंगे।
छत्तीसगढ़ का यह जन-सरेंडर अभियान देश के अन्य नक्सल-प्रभावित राज्यों के लिए भी एक मिसाल बन गया है कि रणनीतिक दबाव और पुनर्वास की उदार नीति के जरिए ही इस गंभीर समस्या का स्थायी समाधान संभव है।


