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अबूझमाड़ हुआ नक्सल-मुक्त: छत्तीसगढ़ में 208 माओवादियों ने 153 हथियारों के साथ किया आत्मसमर्पण

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Chhattisgarh Naxal Surrender: छत्तीसगढ़ के नक्सल उन्मूलन अभियान को 17 अक्टूबर, 2025 को एक ऐतिहासिक सफलता मिली है।

आज बस्तर संभाग के अबूझमाड़ और कांकेर के घने जंगलों से कुल 208 माओवादियों ने हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने का फैसला किया। इनमें 110 महिला नक्सली शामिल हैं।

इसके साथ ही, उन्होंने 153 विभिन्न प्रकार के घातक हथियार सुरक्षा बलों के सामने जमा कर दिए, जिसमें AK-47, INSAS राइफल जैसे आधुनिक हथियार शामिल हैं।

ये घटना इस बात का सबूत है कि अब नक्सली भी संघर्ष से ऊब चुके हैं।

यह घटना न सिर्फ छत्तीसगढ़, बल्कि पूरे देश में अब तक का सबसे बड़ा नक्सल आत्मसमर्पण माना जा रहा है।

सरेंडर का नजारा: हथियारों की जगह किताब और गुलाब मिली

जगदलपुर पुलिस लाइन परिसर में आयोजित इस ऐतिहासिक कार्यक्रम का माहौल उम्मीदों से भरा हुआ था।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, उप मुख्यमंत्री और गृहमंत्री विजय शर्मा और बस्तर रेंज के इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (आईजी) सुंदरराज पी समेत वरिष्ठ पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौजूद थे।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि आत्मसमर्पण करने वाले प्रत्येक नक्सली का स्वागत भारतीय संविधान की एक प्रति और एक गुलाब का फूल देकर किया गया।

यह उनके लिए हिंसा के अंधेरे से निकलकर लोकतंत्र और शांति की रोशनी में आने का संदेश था।

आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को तीन बसों में बैठाकर कार्यक्रम स्थल पर लाया गया।

हालांकि, माओवादी संगठन के सेंट्रल कमेटी मेंबर (CCM) और प्रवक्ता रूपेश (उर्फ सतीश, उर्फ टी. वासुदेव राव) को, जिसके सिर पर 1 करोड़ रुपए का इनाम था, को सुरक्षा कारणों से अलग से एक कार से लाया गया।

हथियारों का विशाल जखीरा: AK-47 से लेकर BGL तक

आत्मसमर्पण की सबसे बड़ी उपलब्धि वह विशाल हथियारों का जखीरा था, जिसे नक्सलियों ने सुरक्षा बलों के हवाले किया।

यह हथियार नक्सलियों की पहले की सैन्य शक्ति का प्रमाण थे, जो अब राज्य की सफल नीति के आगे झुक गए।

सरेंडर किए गए हथियारों की सूची इस प्रकार है:

  1. 19 AK-47 राइफलें
  2. 17 SLR राइफलें
  3. 23 INSAS राइफलें
  4. 1 INSAS LMG (लाइट मशीन गन)
  5. 36 .303 राइफलें
  6. 4 कार्बाइन
  7. 11 BGL (बैरल ग्रेनेड लॉन्चर)
  8. 41 सिंगल शॉट गन / 12 बोर गन
  9. 1 पिस्टल

इन हथियारों को कार्यक्रम स्थल पर सबके सामने प्रदर्शित किया गया, जो राज्य की नक्सल विरोधी रणनीति की जबरदस्त जीत का प्रतीक बन गया।

कौन हैं वो नक्सली जो मुख्यधारा में लौटे?

यह सिर्फ आम नक्सलियों का समूह नहीं था, बल्कि इसमें माओवादी संगठन का उच्चस्तरीय नेतृत्व भी शामिल है, जिससे संगठन को भारी झटका लगा है।

  1. 1 सेंट्रल कमेटी मेंबर (CCM): रूपेश (प्रवक्ता)
  2. 4 दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी मेंबर (DKSZC)
  3. 1 रीजनल कमेटी मेंबर
  4. 21 डिविजनल कमेटी मेंबर (DVCM)
  5. 61 एरिया कमेटी मेंबर (ACM)
  6. 98 पार्टी सदस्य और 22 जन जनमिलिसिया सदस्य

इसके अलावा, भास्कर उर्फ राजमन मण्डावी, रणिता, राजू सलाम, धन्नू वेत्ती उर्फ सन्तू और रतन इलम जैसे वरिष्ठ नेता भी शामिल हैं।

इतने बड़े स्तर पर नेतृत्व के आत्मसमर्पण से माड़ डिवीजन सहित अबूझमाड़ और उत्तरी बस्तर का नक्सली ढांचा पूरी तरह से धराशायी हो गया है।

“विकास की मुख्यधारा में स्वागत है”: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय

इस ऐतिहासिक घटना पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि जो नक्सली हिंसा का रास्ता छोड़कर विकास की मुख्यधारा में शामिल होना चाहते हैं, उनका स्वागत है।

उन्होंने कहा, “हमने शुरू से ही हथियार छोड़ने का नक्सलियों से आह्वान किया था। आज जो लौटे हैं, उन्हें राज्य सरकार की अच्छी पुनर्वास नीति का पूरा लाभ मिलेगा।”

यह पुनर्वास नीति उन्हें नया जीवन शुरू करने में आर्थिक, सामाजिक और सुरक्षात्मक सहायता प्रदान करेगी।

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जताई बड़ी उम्मीद

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए इस सफलता को ‘ऐतिहासिक’ बताया।

उन्होंने घोषणा की कि छत्तीसगढ़ का अबूझमाड़ और उत्तरी बस्तर अब पूरी तरह से माओवादी आतंक से मुक्त हो चुका है।

उन्होंने कहा कि अब केवल दक्षिण बस्तर के एक छोटे से हिस्से में नक्सलवाद का नाममात्र का प्रभाव बचा है, जिसे बहुत जल्द समाप्त कर दिया जाएगा।

उन्होंने मार्च 2026 तक देश को नक्सलवाद से मुक्त करने के अपने संकल्प को दोहराया।

सुरक्षा बलों के निरंतर अभियानों ने तोड़ी कमर

यह सफलता रातों-रात नहीं मिली है। पिछले दो वर्षों में सुरक्षा बलों ने अबूझमाड़ के अभेद्य माने जाने वाले जंगलों में लगातार स्ट्रैटेजिक ऑपरेशन चलाए।

इन ऑपरेशनों में कई शीर्ष माओवादी नेता मारे गए, जैसे पोलित ब्यूरो सदस्य बसव राजू, डीकेएसजेडसी सचिव रामचंद्र रेड्डी और सचिवालय प्रभारी सत्यनारायण रेड्डी।

इन नेताओं के गिरने से संगठन का मनोबल टूटा और आम कैडर भटकने लगे।

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रूपेश की अपील: “अब सशस्त्र संघर्ष बेमानी”

सबसे महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब सीसीएम सदस्य रूपेश ने स्वयं आत्मसमर्पण करने के बाद एक वीडियो जारी कर देश भर के माओवादियों से हथियार डालने की अपील की।

उन्होंने कहा, “अब सशस्त्र संघर्ष का कोई अस्तित्व नहीं रह गया है। हमें लोकतांत्रिक तरीके से अपनी लड़ाई जारी रखनी चाहिए।”

एक शीर्ष नेता का ऐसा बयान नक्सल आंदोलन के भविष्य के लिए एक बड़ा झटका है।

बस्तर में शांति और विकास की नई सुबह

यह ऐतिहासिक आत्मसमर्पण न सिर्फ नक्सलवाद के खिलाफ एक बड़ी जीत है, बल्कि बस्तर क्षेत्र के लिए एक नई शुरुआत का प्रतीक भी है।

जिस अबूझमाड़ में दशकों तक बंदूकों की आवाज गूंजती थी, अब वहां विकास, शासन और विश्वास की नई इबारत लिखी जाएगी।

स्कूल, अस्पताल और सड़कें बनेंगी और जो युवा कभी हिंसा में भटक गए थे, वे अब देश की मुख्यधारा में शामिल होकर अपना और अपने समाज का भविष्य संवार सकेंगे।

छत्तीसगढ़ का यह जन-सरेंडर अभियान देश के अन्य नक्सल-प्रभावित राज्यों के लिए भी एक मिसाल बन गया है कि रणनीतिक दबाव और पुनर्वास की उदार नीति के जरिए ही इस गंभीर समस्या का स्थायी समाधान संभव है।

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