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छत्तीसगढ़ः भाजपा सांसद की अनोखी डिमांड, होटलों में अलग हो वेज और नॉनवेज किचन

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Manish Kumar
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मनीष आधुनिक पत्रकारिता के इस डिजिटल माध्यम को अच्छी तरह समझते हैं। इसके पीछे उनका करीब 16 वर्ष का अनुभव ही वजह है। वे दैनिक भास्कर, नईदुनिया जैसे संस्थानों की वेबसाइट में काफ़ी समय तक अपनी सेवाएं दे चुके हैं। देशगांव डॉट कॉम और न्यूज निब (शॉर्ट न्यूज ऐप) की मुख्य टीम का हिस्सा रहे। मनीष फैक्ट चैकिंग में निपुण हैं। वे गूगल न्यूज इनिशिएटिव व डाटालीड्स के संयुक्त कार्यक्रम फैक्टशाला के सर्टिफाइट फैक्ट चेकर व ट्रेनर हैं। भोपाल के माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय से पढ़ाई कर चुके मनीष मानते हैं कि गांव और शहर की खबरों को जोड़ने के लिए मीडिया में माध्यमों की लगातार ज़रूरत है।

Veg and Non Veg Kitchen: रायपुर। छत्तीसगढ़ के रायपुर से भाजपा सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने होटलों में वेज और नॉनवेज खाने को लेकर अनोखी डिमांड कर दी है।

भाजपा सांसद ने होटलों में वेज और नॉनवेज खाने के लिए अलग-अलग किचन बनाने पर जोर देते हुए इसकी मांग की है।

भाजपा सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अमेरिका, इंग्लैंड और जापान में हिंदुस्तानी होटल लिखा होता है, लेकिन उसको चलाने वाले बांग्लादेशी या पाकिस्तानी होते हैं।

ऐसी स्थिति हमारे देश में नहीं बननी चाहिए और इसके लिए प्रयास किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जहां भी वेज-नॉनवेज दोनों मिलता है, तो स्पष्ट रूप से लिखा होना चाहिए।

बता दें कि रायपुर में खाद्य एवं औषधि प्रशासन की टीम ने कई बड़े खाद्य संस्थानों में दबिश दी।

टीम की जांच में फेमस कंपनी के पिज्जा, फ्राइड चिकन और मोमोस की गुणवत्ता सही नहीं मिली।

टीम ने जांच के बाद केएफसी और पिज्जा हट को सुधार करने का नोटिस भी जारी किया है।

खाद्य एवं औषधि प्रशासन की टीम ने जांच में गड़बड़ी मिलने पर मोमोस अड्डा को बंद करवा दिया।

Veg and Non Veg Kitchen: मेग्नेटो मॉल स्थित केएफसी में खाद्य सुरक्षा अधिकारियों ने जांच में पाया कि गुणवत्ता समाप्त होने के बाद भी खाद्य पदार्थ को तलने वाले तेल का उपयोग किया जा रहा था।

इसके अलावा सिटी सेंटर मॉल स्थित पिज्जा हट में भी बड़ी गड़बड़ी देखने को मिली। यहां वेज और नॉनवेज के लिए अलग फ्रीजर नहीं मिला।

एजेंसी से पेस्ट कंट्रोल नहीं कराया गया। इसके अलावा यहां काम करने वाले कर्मचारियों का मेडिकल जांच रिपोर्ट नहीं पाया गया।

बता दें कि हर छह माह में कर्मचारियों की मेडिकल जांच कराना आवश्यक है। इस संबंध में 14 दिन में सुधार करने का नोटिस जारी किया गया है।

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