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प्रेग्नेंट रेप पीड़िता को मिली गर्भपात की अनुमति, हाईकोर्ट ने दिए DNA सुरक्षित रखने के निर्देश

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Rape Victim Abortion Case: बिलासपुर रेप केस में 5 महीने के प्रेग्नेंट रेप पीड़िता को गर्भपात कराने की अनुमति मिल गई है।

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का यह फैसला मेडिकल बोर्ड की विस्तृत सिफारिशों पर आधारित है। जिसके बाद महिला को अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाने की मंजूरी मिल गई।

26 दिसंबर को मामले की सुनवाई के दौरान शासन की ओर से केवल एक पेज की साधारण मेडिकल रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी, जिसमें पीड़िता के अबॉर्शन को संभव बताया गया था।

ओपीडी की पर्ची में रिपोर्ट पर जताई नाराजगी

इस मामले में कोर्ट में ओपीडी की पर्ची दी गई थी। इस पर जज ने नाराजगी जाहिर की थी।

उन्होंने कहा था कि शासन के गाइडलाइंस के अनुसार पीड़िता का ब्लड टेस्ट, एचआईवी टेस्ट, सोनोग्राफी समेत अन्य जरूरी जांचें होनी चाहिए थीं।

रिपोर्ट में इनका कोई उल्लेख नहीं था। कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड को तत्काल तलब कर गहन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

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मेडिकल बोर्ड को लगाई फटकार

जस्टिस अग्रवाल ने लापरवाही पर फटकार लगाते हुए पूछा कि इस तरह की साधारण रिपोर्ट कैसे दी जा सकती है।

मेडिकल बोर्ड ने अपनी गलती स्वीकारते हुए माफी मांगी और विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने के लिए समय मांगा।

छुट्टी के दिन हुई थी सुनवाई

इस मामले में दुष्कर्म पीड़िता की ओर से 23 दिसंबर को अबॉर्शन को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी।

मामले की गंभीरता को देखते हुए चीफ जस्टिस के निर्देश पर छुट्टी (बीते मंगलवार) के दिन कोर्ट खुला और स्पेशल बेंच में सुनवाई हुई।

प्रारंभिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड से इस संबंध में रिपोर्ट मांगी थी।

कोर्ट ने यह भी पूछा था कि अबॉर्शन कराने से पीड़िता के स्वास्थ्य पर बुरा असर तो नहीं पड़ेगा या फिर ये जानलेवा साबित तो नहीं होगा।

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डॉक्टरों की देखरेख में शुक्रवार को होगा अबॉर्शन

गुरुवार की दोपहर मेडिकल बोर्ड ने विस्तृत रिपोर्ट पेश की, जिसमें सभी जरूरी जांचों के परिणाम शामिल थे।

रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने शुक्रवार सुबह 11 बजे पीड़िता को जिला अस्पताल में उपस्थित होकर अबॉर्शन कराने का निर्देश दिया।

कोर्ट ने यह सुनिश्चित किया कि पीड़िता का अबॉर्शन विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम की देखरेख में किया जाए

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DNA सुरक्षित रखने के भी निर्देश

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से एडवोकेट आशीष तिवारी ने यह भी आग्रह किया कि युवती रेप पीड़िता है।

लिहाजा, अबॉर्शन कराने से पहले उसका डीएनए परीक्षण भी कराया जाए, ताकि रेप के आरोपित को सजा दिलाई जा सके।

इस पर हाई कोर्ट ने तारबाहर थाना प्रभारी को एसपी के माध्यम से डीएनए जांच कराने की प्रक्रिया पूरी कराने कहा है।

बता दें कि बिलासपुर रेप केस में प्रेग्नेंट होने के बाद युवती ने डॉक्टरों से सलाह ली थी, लेकिन उन्होंने इसे मेडिको-लीगल केस बताते हुए अबॉर्शन करने से मना कर दिया था।

इसके बाद युवती ने परेशान होकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

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