Pregnant Woman On Kanwar: दूर-दराज के गांवों में अभी भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है, तभी तो छत्तीसगढ़ में एक गर्भवती महिला को कांवड़ में बिठाकर अस्पताल ले जाया गया।
ऐसा इसलिए नहीं क्योंकि घरवालों को कोई गाड़ी नहीं मिली बल्कि इसलिए कि इस जगह पर सड़क ही नहीं है तो कोई गाड़ी यहां तक पहुंच ही नहीं सकती है।
छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले का मामला
ये मामला छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिला का है। जहां खामखूंट गांव में पहाड़ी कोरवा (विशेष सरंक्षित जनजाति) की एक गर्भवती महिला को उसके परिवारवाले कांवड़ पर बैठाकर जंगल में करीब 6 किमी पैदल चले तभी कही जाकर उन्हें एंबुलेंस मिली।
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गांववालों ने बनाया वीडियो
ग्रामीणों ने खुद इस घटना का पूरा वीडियो बनाया और सोशल मीडिया पर शेयर किया जो अब वायरल हो रहा है।
छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में गर्भवती महिला को कांवर पर अस्पताल ले जाते ग्रामीणों का वीडियो वायरल! सड़क के अभाव में सरकार की विकास योजनाओं की हकीकत उजागर। #Ambikapur #Vikas #Government #HealthCrisis pic.twitter.com/aSIaYKKpGw
— FataFat News (@fatafatnewsdcom) October 20, 2024
कांवड़ में बिठाकर 2 घंटे तक चले
ग्राम पंचायत सितकालो के खामखूंट गांव में करीब 16 कोरवा जनजाति परिवार रहता है। खामखूंट वार्ड क्रमांक एक है।
यहां अर्जुन की पत्नी सुंदरी पहली बार गर्भवती हुई। जिसकी डिलीवरी कराने के लिए अस्पताल लेकर जाना था।
लेकिन खामखूंट से बटपरगा तक पहाड़ी इलाका होने के कारण सड़क नहीं बनी है।
इस वजह से गर्भवती महिला के भाई कुंदू और उसके ससुर पनिक राम ने एक कांवड़ बनाया और उसमें सुंदरी को बिठाकर जंगल को पार किया।
दोनों खामखूंट से बटपरगा तक 6 किमी तक 2 घंटे पैदल चले।
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इसके बाद बटपरगा से एंबुलेंस में 16 किलोमीटर दूर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र केदमा शनिवार शाम 4 बजे के बाद लाया गया।
यहां नर्सों ने डिलीवरी कराई। लेकिन बच्चे की स्थिति गंभीर होने के कारण रविवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र उदयपुर भर्ती किया गया है, जहां उसका इलाज चल रहा है।
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3 महीने से बिजली की समस्या
खामखूंट गांव में सड़क, बिजली और पानी की समस्या है, 3 महीने से यहां बिजली नहीं है। गांव वालों ने कई बार इसकी शिकायत भी की, लेकिन अधिकारी एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालकर पल्ला झाड़ लेते हैं।
गंदा पानी पीने को मजबूर
ग्रामीणों ने बताया कि, पीने से लेकर खाने और नहाने तक के लिए सभी ढोढ़ी और कुंआ पर निर्भर हैं। बारिश के दिनों में ढोढ़ी का पानी मटमैला हो जाता है। जिसे पीकर कई लोग बीमार पड़ जाते हैं, तब जंगल से जड़ी बूटी खाकर इलाज करते हैं।
कई बार की गई शिकायत
उपसरपंच कृपाल यादव ने कहा कि, गांव के दो-तीन मोहल्ले में कोरवा जनजाति के लोग निवास करते हैं। खामखूंट में बसे लोगों के लिए कई बार सरकारी दफ्तर पहुंचकर समस्याएं बताई। पीएम जन मन में सर्वे करवा कर भेजा गया है, लेकिन अभी तक काम चालू नहीं हो सका है।
ये इलाका वन विभाग में आता है जिस वजह से भी काम रुके हुए हैं।
बहरहाल इस वीडियो ने प्रशासन और व्यवस्था पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं, जिसका जवाब किसी के भी पास नहीं है।