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CG: बोरे बासी में चुनावी तड़का, कांग्रेस ने की खाने की अपील तो बीजेपी को लगी मिर्ची

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रायपुर। छत्तीसगढ़ के प्रिय व्यंजन बोरे बासी में इनदिनों सियासी तड़का लग रहा है। चुनावी मौसम में बीजेपी और कांग्रेस बोरे बासी को लेकर आमने- सामने है। लोकसभा चुनाव के बीच बोरे बासी को भुनाने के लिए दोनों ही दल अपनी-अपनी कोशिशों में लगे हैं।

दरअसल पिछली भूपेश बघेल सरकार ने ही मजदूर दिवस पर आदिवासियों के पारंपरिक भोजन बोरे बासी खाने की शुरूआत की थी। इसे छत्तीसगढ़िया संस्कृति का प्रतीक बनाने की पहल भी बताया गया था।

वैसे तो ये कोई बड़ी बात नहीं है। राज्य के हर घर में प्रतिदिन बोरे बासी खाया जाता है, लेकिन आदिवासी मजदूरों के लोकप्रिय व्यंजन को संस्कृति से जोड़कर कांग्रेस इसका राजनीतिक श्रेय लेना चाहती थी।

कांग्रेस ने इस साल भी 1 मई यानी मजदूर दिवस पर बोरे बासी खाने की अपील की तो बीजेपी को मिर्ची लग गई। बीजेपी ने इसे आदिवासी संस्कृति के नाम पर कांग्रेस का छलावा बताया।

क्या होता है बोरे बासी?

छत्तीसगढ़ में बोरे बासी प्रमुख व्यंजनों में से एक है। बोरे का अर्थ है तुरंत चुरे गए भात, जिसे पानी में डूबाकर खाया जाता है जबकि बासी के लिए भात को रात भर पानी में डूबाकर रखा जाता है। अगले दिन सुबह चटनी और अचार के साथ सुबह-सुबह सपेटा जाता है।

कई जगहों पर मांड़ के साथ भात मिलाकर खाते हैं। बोरे बासी के सभी प्रकारों में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन, फाइबर, एनर्जी और विटामिन्स मुख्य रूप से विटामिन बी-12, खनिज लवण जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो पिज्जा, बर्गर, चाऊमीन जैसे फास्ट फूड से ज्यादा फायदेमंद है।

गर्मी में इसे खाने से विशेष लाभ होता है, लेकिन चुनावी गर्मी होने के कारण इस बार बोरे बासी कुछ लोगों का पेट खराब कर रहा है तो कुछ की चुनावी सेहत बनाने वाला साबित हो रहा है।

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