Chhindwara Children Death: भारतीय घरों में अक्सर सर्दी-खांसी या बुखार का शुरुआती इलाज लोग खुद से ही कर लेते हैं।
केमिस्ट ये पूछकर या गूगल पर बीमारी का नाम डालकर दवा ढूंढना और उसका इस्तेमाल करना बेहद आम बात है।
ज्यादातर डॉक्टर लोगों को ऐसा करने से मना करते हैं। क्योंकि ये कितना खतरनाक हो सकता है इसका उदाहरण मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में देखने को मिला।
जहां एक छोटी सी लापरवाही ने 6 मासूमों की जान ले ली है।
कफ सिरप पीने के बाद 6 मासूमों की मौत
जी हां, यहां कफ सिरप पीने के बाद छह मासूम बच्चों की मौत हो गई है।
इन सभी बच्चों में पहले सर्दी-खांसी और बुखार के हल्के लक्षण दिखे थे, लेकिन दुकान से खरीदे गए कफ सिरप ने उनकी जान ले ली।
इस पूरे मामले की जांच हुई तो पता चला कि बच्चों की किडनी खराब होने से मौत हुई है और इसके पीछे यही सिरप जिम्मेदार है।
इन दवाओं के सेवन से बच्चों की किडनी खराब हो रही है।
कब और कैसे शुरू हुआ मौत का सिलसिला?
यह सारा मामला 20 सितंबर के आसपास सामने आया, जब छिंदवाड़ा के परासिया, उमरेठ, जाटाछापर और बड़कुही जैसे इलाकों में कुछ बच्चों को बुखार और सर्दी-खांसी की शिकायत हुई।
परिवार वालों ने आस-पास की दुकानों से कफ सिरप खरीदकर बच्चों को पिलाया।
लेकिन दवा पीने के कुछ समय बाद ही बच्चों की तबीयत बिगड़ने लगी।
उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन दुर्भाग्यवश बच्चों की जान नहीं बच सकी।
एक बच्चे की मौत तो नागपुर के अस्पताल में भी हुई। कुल 6 बच्चों की मौत हुई।
आखिर कैसे हुआ जहरीले सिरप का खुलासा?
शुरुआत में तो यह लग रहा था कि शायद कोई नया वायरस या महामारी फैल रही है।
लेकिन छिंदवाड़ा के कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने स्पष्ट किया कि मौत का कारण कोई संक्रमण नहीं था।
बच्चों के ब्लड सैंपल और अन्य जांचों में भी किसी वायरस या बैक्टीरिया का पता नहीं चला।
इसके बाद ICMR (भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद) दिल्ली और भोपाल की एक विशेषज्ञ टीम ने गहन जांच की।
बच्चों की बायोप्सी रिपोर्ट से साफ हुआ कि उनकी किडनी पर जहरीला प्रभाव पड़ा था, जिसकी वजह उन्हें दिया गया कफ सिरप था।
अभिभावकों के लिए जारी हुई एडवाइजरी
इस दुखद घटना के बाद प्रशासन ने सभी माता-पिता को एक एडवाइजरी जारी की है।
इसमें कहा गया है कि बच्चों को बुखार या सर्दी-खांसी होने पर बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी दवा न दें।
खासतौर पर बिना प्रिस्क्रिप्शन के मेडिकल स्टोर से दवा खरीदकर बच्चों को देना खतरनाक हो सकता है।
प्रशासन ने सलाह दी है कि बच्चों का इलाज सिर्फ सरकारी अस्पतालों या मान्यता प्राप्त डॉक्टरों से ही करवाएं।
भोपाल में भी बैन, स्वास्थ्य विभाग अलर्ट
इस घटना के बाद पूरे राज्य में स्वास्थ्य विभाग सतर्क हो गया है।
इस बीच कलेक्टर ने संभावनाओं के तौर पर दो कफ सिरप पर प्रतिबंध लगा दिया।
क्योंकि प्रारंभिक तौर पर छिंदवाड़ा की मेडिकल टीम ने एक संभावना जाहिर की थी कि शायद हो सकता है यह कफ सायरप इस बीमारी का कारण हो सकते हैं है।
भोपाल प्रशासन ने भी तुरंत कार्रवाई करते हुए दो कफ सिरप – ‘कोल्ड्रिफ’ और ‘नेक्सट्रॉस डीएस’ – पर तत्काल प्रतिबंध लगा दिया है।
जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. मनीष शर्मा ने बताया कि भोपाल के सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में तो ये दवाएं पहले से ही उपलब्ध नहीं थीं, लेकिन अब निजी मेडिकल स्टोर्स पर भी नजर रखी जाएगी ताकि इनकी बिक्री पूरी तरह बंद हो सके।
इस पूरे मामले ने एक बार फिर से नकली दवाओं के खतरे को गंभीरता से उजागर किया है।
सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह दवा बनाने और बेचने वाली कंपनियों पर सख्त नजर रखे, ताकि भविष्य में इस तरह की दुखद घटनाओं को रोका जा सके।
अभी ICMR की आखिरी रिपोर्ट का इंतजार है, जिसके बाद ही यह साफ हो पाएगा कि आखिर सिरप में ऐसा क्या था जिसने इतने मासूमों की जान ले ली।