Chhindwara Cough Syrup Death: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा और राजस्थान में जहरीले कफ सिरप से बच्चों की मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है।
छिंदवाड़ा में मृतक बच्चों की संख्या बढ़कर 9 हो गई है, जबकि देश भर में कुल मौतों का आंकड़ा 11 पहुंच गया है।
इन सभी की मौत का कारण किडनी फेलियर बताया जा रहा है, जिसके पीछे जहरीले केमिकल वाला कफ सिरप (खांसी की दवा) है।
सितंबर में शुरू हुआ मौतों का सिलसिला
बात करें छिंदवाड़ा जिले की तो यहां पिछले एक महीने में 9 मासूम बच्चों ने अपनी जान गंवा दी है।
यह सिलसिला सितंबर महीने की शुरुआत में पहली मौत के साथ शुरू हुआ और लगातार जारी है।
ताजा मामले में, बुधवार को नागपुर के एक अस्पताल में इलाज के दौरान एक और बच्चे की मौत हो गई, जिससे छिंदवाड़ा में अकेले मृतकों का आंकड़ा 9 तक पहुंच गया।
राजस्थान में दो की मौत
इसके अलावा राजस्थान के भरतपुर और सीकर में भी ऐसी ही दो घटनाओं में 2 बच्चों की मौत की पुष्टि हुई है, जिससे देश भर में इस जहरीले सिरप से होने वाली मौतों का कुल आंकड़ा 11 हो गया है।
राजस्थान में भी, जहां दो बच्चों की मौत हुई है, स्वास्थ्य विभाग ने कार्रवाई शुरू कर दी है।
सीकर में एक डॉक्टर और एक फार्मासिस्ट को निलंबित कर दिया गया है।
रोजाना 120 बच्चों की स्क्रीनिंग
इस गंभीर स्थिति से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन पूरी तरह से सक्रिय हो गया है।
छिंदवाड़ा के परासिया ब्लॉक में एक बड़े पैमाने पर स्क्रीनिंग अभियान चलाया जा रहा है।
अधिकारियों के मुताबिक, अब तक लगभग 1400 बच्चों की जांच की जा चुकी है और रोजाना 120 बच्चों की स्क्रीनिंग की जा रही है।
इसका मकसद है कि बीमारी के शुरुआती लक्षणों वाले बच्चों का समय रहते इलाज शुरू किया जा सके और उनकी जान बचाई जा सके।
#Chhindwara SDM Shubham Yadav confirms 9 deaths of children after alleged consumption of contaminated cough syrup#MadhyaPradesh pic.twitter.com/zDXr49sDTI
— Deccan Chronicle (@DeccanChronicle) October 3, 2025
सिरप में मिला जानलेवा केमिकल
सवाल उठता है कि आखिर एक सामान्य सी लगने वाली खांसी की दवा इतनी जानलेवा कैसे साबित हो रही है?
- जांच में सामने आया है कि इन कफ सिरप में डायथिलीन ग्लाइकॉल (Diethylene Glycol) या इथिलीन ग्लाइकॉल (Ethylene Glycol) नामक जहरीले रसायन की मिलावट है।
- ये रसायन आमतौर पर औद्योगिक इस्तेमाल के होते हैं, जैसे कि ब्रेक फ्लुइड, कूलेंट और पेंट में।
- इनका इस्तेमाल दवाओं में कानूनन मना है। क्योंकि जब ये केमिकल शरीर में जाते हैं तो लीवर इन्हें टॉक्सिक मेटाबोलाइट्स (जहरीले उप-उत्पाद) में तोड़ देता है।
- ये टॉक्सिक पदार्थ किडनी की कोशिकाओं को गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे अचानक किडनी फेल हो जाती है और शरीर से विषैले पदार्थ बाहर नहीं निकल पाते।
- इसके अलावा इनका दिमाग और नर्वस सिस्टम पर भी बेहद बुरा प्रभाव पड़ता है।
Tragic Cough Syrup Crisis: Rajasthan Shields Manufacturer Amid Child Deaths, While Chhindwara Collector Pinpoints Adulteration as Culprithttps://t.co/LGVpeNuYxC pic.twitter.com/b0KOdLbDmO
— CB Gupta (@CBGupta80841168) October 3, 2025
छिंदवाड़ा मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने मृत बच्चों की बायोप्सी रिपोर्ट और नागपुर की लैब में भेजे गए सिरप के सैंपल की जांच में इसी जहरीले केमिकल की पुष्टि की है।
यही वजह है कि बच्चों की किडनी अचानक से काम करना बंद कर रही थी।
प्रशासन ने दो दवाओं पर लगाया प्रतिबंध
इस पूरे मामले की कड़ियां जब जुड़नी शुरू हुईं तो जांच का निशाना दो खास कफ सिरप बनीं: कोल्ड्रिफ (Coldrif) और नेक्सा डीएस (Nexa DS)।
मध्य प्रदेश सरकार ने तुरंत इन दोनों दवाओं की बिक्री और वितरण पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है।
रिपोर्ट्स से पता चला है कि ये दवाएं छिंदवाड़ा के परासिया इलाके के कुछ चुनिंदा शिशु रोग विशेषज्ञ पर्चे पर ये दवा लिख रहे थीे।
इससे डॉक्टरों और दवा दुकानों के बीच सांठगांठ के संदेह को बल मिला है।
डॉक्टरों और स्टॉकिस्ट पर जांच तेज
जांच में यह भी पता चला कि कोल्ड्रिफ सिरप तो लगभग 20 साल से बाजार में थी, जबकि नेक्सा डीएस करीब डेढ़ साल पहले ही लॉन्च हुई थी।
छिंदवाड़ा के थोक दवा विक्रेताओं से मिली जानकारी के अनुसार, इन सिरपों की महीने में सैकड़ों बोतलें सप्लाई की जा रही थीं।
ड्रग इंस्पेक्टर्स ने अब तक सैकड़ों बोतलें जब्त कर ली हैं और यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि यह जहरीला माल और किन-किन जिलों और राज्यों में सप्लाई किया गया है।
आशंका जताई जा रही है कि छिंदवाड़ा के आसपास के जिलों जैसे पांढुर्णा, सिवनी, बैतूल और बालाघाट में भी ये दवाएं पहुंची हो सकती हैं।
VIDEO | Madhya Pradesh: Case of death of six children allegedly due to contaminated cough syrup – Kataria Pharmaceuticals distributor, Rajpal Kataria, says, “We had supplied the cough syrup in Chhindwara. More than 30 children fell ill after consuming it. After falling ill, the… pic.twitter.com/xkVHYHFWS7
— Press Trust of India (@PTI_News) October 3, 2025
कमलनाथ ने लगाया सरकार पर आरोप
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया है।
उन्होंने प्रदेश सरकार पर लापरवाही का गंभीर आरोप लगाते हुए शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए विशेष अभियान चलाने की मांग की है।
सरकार की कार्रवाई, अन्य राज्यों को लिखा पत्र
इस गंभीर मामले को देखते हुए मध्य प्रदेश सरकार ने तत्काल प्रभाव से कदम उठाए हैं।
चूंकि ये दवाएं तमिलनाडु और हिमाचल प्रदेश में निर्मित होती हैं, इसलिए वहां की सरकारों को पत्र लिखकर इन दवाओं के उत्पादन पर फौरन रोक लगाने और जांच शुरू करने का अनुरोध किया गया है।
साथ ही, संदिग्ध दवाओं के 13 सैंपल और भेजे गए हैं ताकि एक विस्तृत और अंतिम रिपोर्ट हासिल की जा सके।
VIDEO | Madhya Pradesh: Sharad Kumar Jain, Drug Inspector, Jabalpur, says, “As per our investigation, Kataria Pharmaceuticals had ordered 660 bottles of Coldrif cough syrup from a company in Chennai. Out of these, 594 bottles were supplied in Chhindwara. The remaining 66 bottles… pic.twitter.com/VPjN8jZQen
— Press Trust of India (@PTI_News) October 3, 2025
क्या है इलाज और कैसे बचें?
- इस जहर से प्रभावित मरीजों के इलाज के लिए फोमेपिजोल (Fomepizole) नामक दवा को सबसे कारगर माना जा रहा है।
- यह दवा शरीर में उस एंजाइम को रोकती है जो जहरीले केमिकल को और भी घातक मेटाबोलाइट्स में तोड़ता है।
- इसके अलावा, मरीज को तुरंत डायलिसिस, IV फ्लूइड्स और अगर जरूरत पड़े तो वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा जाता है।
Chhindwara, Madhya Pradesh: On deaths of 6 children in one month in the district, Dr Pawan Nandurkar, Associate Professor and Head of Paediatrics, says, “Recently, reports indicated that 7 of our children had died, but now it appears the number has increased to 9… The deaths… pic.twitter.com/2nIu1yr4Xd
— ANI (@ANI) October 3, 2025
आम लोगों के लिए सबसे जरूरी सलाह यह है कि:
- बिना डॉक्टर की सलाह के बच्चों को कोई भी दवा, खासकर कफ सिरप, बिल्कुल न दें।
- डॉक्टर के पर्चे पर भी केवल विश्वसनीय और प्रमाणित कंपनियों की दवाएं ही लें।
- अगर बच्चे को दवा लेने के बाद उल्टी, चक्कर आना, पेट में दर्द, कम पेशाब आना या सुस्ती जैसे लक्षण दिखें, तो तुरंत नजदीकी सरकारी अस्पताल जाएं।
यह पहली बार नहीं है
दुर्भाग्य से, भारत में बनी दवाओं से बच्चों की मौत का यह पहला मामला नहीं है।
पिछले कुछ सालों में गाम्बिया और उज्बेकिस्तान जैसे देशों में भारत में बने कफ सिरप पीने से सैकड़ों बच्चों की मौत हो चुकी है, जिनमें इसी डायथिलीन ग्लाइकॉल की मिलावट पाई गई थी।
ये घटनाएं भारतीय दवा उद्योग की गुणवत्ता नियंत्रण प्रक्रियाओं पर एक बड़ा सवाल खड़ा करती हैं।
छिंदवाड़ा की यह दर्दनाक घटना एक गंभीर चेतावनी है कि दवाओं की गुणवत्ता और निगरानी प्रणाली में सुधार की सख्त जरूरत है, ताकि भविष्य में किसी और मासूम की जान न जाए।