Parents Permission for Social Media: भारत सरकार जल्द ही एक नया रूल लागू करने वाली है, जिसके मुताबिक कोई भी बच्चा पैंरेट्स की मर्जी के बाद ही सोशल मीडिया चला पाएगा।
मौजूदा समय में मोबाइल एडिक्शन सबसे बड़ी समस्या है और बड़ों के साथ-साथ बच्चे भी इस लत का शिकार है।
कई बार इसी वजह से बच्चों के साथ अनहोनी भी हो जाती हैं, क्योंकि उन्हें सोशल मीडिया के खतरों के बारे में ज्यादा मालूम नहीं है।
इसी वजह से भारत सरकार सोशल मीडिया साइट्स को लेकर एक नया रूल लागू करने जा रही है।
इसके मुताबिक 18 साल से कम उम्र के बच्चे अब अपने माता-पिता की अनुमति के बिना कोई भी सोशल मीडिया अकाउंट नहीं चला पाएंगे।
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कंपनियों को लेनी होगी पैरेंट्स की परमिशन
नए डेटा प्रोटेक्शन ड्राफ्ट के अनुसार, कंपनियों को बच्चों के सोशल मीडिया अकाउंट खोलने से पहले माता-पिता की अनुमति लेनी होगी और बच्चों से जुड़ा कोई भी डेटा इस्तेमाल करने के लिए भी पैरेंट्स की परमिशन जरूरी होगी।
मतलब कंपनियां बच्चों के डेटा को तब तक स्टोर या इस्तेमाल नहीं कर सकतीं जब तक माता-पिता की मंजूरी नहीं मिल जाती।
यह ड्राफ्ट डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट, 2023 के तहत बनाया गया है, जो लोगों की मंजूरी, डेटा का उपयोग करने वाली कंपनियों और अधिकारियों के कार्यों को नियंत्रित करता है।
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लग सकता है 250 करोड़ का जुर्माना
डेटा का गलत इस्तेमाल करने वाली कंपनियों पर 250 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।
हालांकि नियम तोड़ने पर क्या सजा मिलेगी, यह अभी नहीं बताया गया है।
सरकार ने मांगे सुझाव
सरकार ने लोगों से 18 फरवरी, 2025 तक MyGov वेबसाइट पर अपने सुझाव और सुझाव देने की अनुमति दी है।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि ‘उक्त ड्राफ्ट नियमों पर 18 फरवरी, 2025 के बाद विचार किया जाएगा’। यानी इसमें अभी भी बदलाव हो सकते हैं।
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ऑनलाइन डेटा को सेफ रखने की पहल
सरकार ने यह ड्राफ्ट नियम बच्चों के ऑनलाइन डेटा को सुरक्षित रखने के लिए बनाए हैं क्योंकि बच्चे सोशल मीडिया पर बहुत एक्टिव हैं और उनका डेटा गलत इस्तेमाल होने का खतरा रहता है।
लंबे समय से व्यक्तिगत डिजिटल डेटा संरक्षण नियमों का इंतजार था, लेकिन सरकार ने जो मसौदा जारी किया है, उसमें नियमों के उल्लंघन पर कोई दंडात्मक कार्रवाई का उल्लेख नहीं है।
18 फरवरी के बाद लोगों के सुझाव देखने के बाद आखिरी फैसला लिया जाएगा।
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लोगों की जानकारी के लिए जारी किया नियमों का मसौदा
केंद्र सरकार ने व्यक्तिगत डिजिटल डेटा संरक्षण अधिनियम-2023 की धारा 40 की उप-धाराओं (1) और (2) की शक्तियों का उपयोग करते हुए अधिनियम के लागू होने की तिथि को या उसके बाद बनाए जाने वाले प्रस्तावित नियमों का मसौदा लोगों की जानकारी के लिए जारी किया है, जैसा कि मसौदा अधिसूचना में बताया गया है।
डेटा फिड्यूशरी पर जुर्माना लगाने का प्रावधान
विज्ञप्ति में कहा गया है कि डिजिटल डेटा संरक्षण नियमों पर 18 फरवरी 2025 के बाद विचार किया जाएगा।
मसौदा नियमों में कंसेंट प्रोसेसिंग, डेटा प्रोसेसिंग निकाय और अधिकारियों के कामकाज को नियंत्रित किया गया है।
DPDP Act-2023 में डेटा फिड्यूशरी पर 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है, लेकिन कानून में इसका उल्लेख नहीं है।
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डेटा फिड्यूशरी का काम और सीमाएं
डेटा फिड्यूशरी एक व्यक्ति, कंपनी या फर्म है जो व्यक्तिगत डेटा को कैसे संभालने और इसे किसी विशिष्ट उद्देश्य के लिए संभाल सकता है, साथ ही डेटा स्टोर करने के नियमों का पालन करता है।