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जानिए क्या है चाइना का नया K-वीजा जो देगा अमेरिका के H-1B वीजा को मात, ये है खासियत

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

What is K Visa: जहां एक ओर अमेरिका ने अपने लोकप्रिय H-1B वीजा की फीस में भारी बढ़ोतरी करके दुनिया भर के पेशेवरों के लिए मुश्किलें पैदा कर दी है।

वहीं दूसरी ओर चीन ने एक नए और आकर्षक K-वीजा की घोषणा करके सीधे तौर पर इन्हीं प्रतिभाशाली युवाओं को अपने देश में आमंत्रित किया है।

यह कदम स्पष्ट संकेत दे रहा है कि चीन 2035 तक दुनिया की तकनीकी महाशक्ति बनने के अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए ग्लोबल टैलेंट को लुभाने पर पूरा जोर लगा रहा है।

अमेरिका का H-1B वीजा हुआ महंगा

अमेरिका ने 21 सितंबर से H-1B वीजा की फीस में बड़ा बदलाव किया है।

इस विशेष पेशेवर वीजा की फीस, जो पहले लगभग 5.5 से 6.7 लाख रुपये के बीच हुआ करती थी, अब बढ़ाकर करीब 1 लाख अमेरिकी डॉलर यानी लगभग 88 लाख रुपये कर दी गई है।

H-1B वीजा आमतौर पर तीन साल के लिए वैध होता है, जिसे अगले तीन साल के लिए रीन्यू किया जा सकता है।

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नई फीस स्ट्रक्चर के तहत, यह माना जा रहा है कि यह भारी रकम एक बार की फीस के तौर पर लगेगी, हालांकि रीन्यूल पर फिर से फीस लगेगी या नहीं, यह अभी पूरी तरह स्पष्ट नहीं है।

इस फैसले का सीधा असर दुनिया भर के, विशेष रूप से STEM (साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग, और मैथ्स) क्षेत्रों के पेशेवरों पर पड़ेगा, जो अमेरिका में अपना करियर बनाने का सपना देखते हैं।

इस महत्वपूर्ण लागत वृद्धि के कारण अब कई प्रतिभाशाली युवाओं और छोटे-मझोले उद्यमों के लिए अमेरिका का रुख करना एक चुनौतीपूर्ण और महंगा सौदा बन गया है।

चीन का जवाब: K-वीजा की शुरुआत

ठीक इसी समय, चीन ने एक स्मार्ट चाल चलते हुए एक नए प्रकार के वीजा  K-वीजा की घोषणा की है, जिसे सीधे तौर पर H-1B वीजा की बढ़ती कठिनाइयों का विकल्प माना जा रहा है।

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, यह वीजा 1 अक्टूबर, 2025 से लागू होगा और यह विशेष रूप से STEM क्षेत्रों के कुशल पेशेवरों और शोधकर्ताओं के लिए डिजाइन किया गया है।

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K-वीजा की खास बातें जो इसे खास बनाती हैं:

  1. नौकरी के ऑफर की अनिवार्यता खत्म: यह K-वीजा की सबसे बड़ी विशेषता है। पारंपरिक Z-वीजा (चीन का मौजूदा वर्क वीजा) के लिए आवेदक के पास किसी चीनी कंपनी से नौकरी का ऑफर लेटर और स्पॉन्सरशिप होना अनिवार्य है। लेकिन K-वीजा के तहत, एक व्यक्ति बिना किसी नौकरी के ऑफर के, सिर्फ अपनी शैक्षणिक योग्यता, कौशल और कार्य अनुभव के आधार ही सीधे आवेदन कर सकता है।

  2. स्पॉन्सरशिप की जरूरत नहीं: चूंकि नौकरी का ऑफर जरूरी नहीं है, इसलिए किसी स्थानीय कंपनी या संस्था की स्पॉन्सरशिप की भी आवश्यकता नहीं होगी। यह प्रक्रिया को काफी सरल और तेज बना देगा।

  3. नौकरी बदलने की स्वतंत्रता: Z-वीजा किसी विशेष कंपनी और नौकरी से बंधा होता है। अगर कर्मचारी कंपनी बदलना चाहे, तो उसे नया वीजा लेना पड़ता है। K-वीजा के साथ ऐसी कोई पाबंदी नहीं होगी। वीजा धारक अपने कौशल के अनुसार चीन में कहीं भी नौकरी बदल सकता है।

  4. लंबी अवधि और मल्टीपल एंट्री: माना जा रहा है कि K-वीजा Z-वीजा (जो सिर्फ 1 साल के लिए होता है) की तुलना में लंबी अवधि के लिए जारी किया जाएगा और इसमें मल्टीपल एंट्री (बार-बार आने-जाने) की सुविधा भी होगी, जिससे वीजा धारकों को अधिक लचीलापा मिलेगा।

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चीन के Z-वीजा और नए K-वीजा में अंतर 

Z-वीजा (मौजूदा) K-वीजा (नया)
किनके लिए सभी तरह के पेशेवर STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित)
नौकरी का ऑफर अनिवार्य अनिवार्य नहीं
स्पॉन्सरशिप चीनी कंपनी से अनिवार्य आवश्यकता नहीं
नौकरी बदलना नया वीजा जरूरी आसान, नए वीजा की जरूरत नहीं
कब तक वैध आमतौर पर 1 साल लंबी अवधि (अनुमानित)
प्रवेश सिंगल एंट्री मल्टीपल एंट्री (अनुमानित)

चीन का बड़ा लक्ष्य: टेक्नोलॉजी सुपरपावर बनना

K-वीजा की घोषणा चीन की एक बड़ी रणनीति का हिस्सा है।

चीन ने 2035 तक खुद को दुनिया की अग्रणी तकनीकी शक्ति के रूप में स्थापित करने का लक्ष्य रखा है।

इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए उसे दुनिया के सबसे बेहतरीन दिमागों की जरूरत है।

इसी कड़ी में, चीन ने हाल ही में दो महत्वाकांक्षी कार्यक्रम भी शुरू किए हैं:

  • टैलेंटेड यंग साइंटिस्ट प्रोग्राम: यह एशिया और अफ्रीका के 45 वर्ष से कम उम्र के शोधकर्ताओं को चीन में शोध करने और काम करने के लिए आकर्षित करने के लिए है।
  • आउटस्टैंडिंग यंग साइंटिस्ट फंड प्रोजेक्ट: इसका लक्ष्य 40 वर्ष से कम उम्र के शीर्ष-स्तरीय वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को चीन लाना है।

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चीन के प्रमुख विश्वविद्यालय और शोध संस्थान भी प्रतिभाशाली छात्रों और शोधकर्ताओं को आकर्षित करने के लिए प्रतिस्पर्धी वेतन, आवास सुविधाएं और बोनस दे रहे हैं।

अमेरिका में H-1B वीजा की बढ़ती लागत और जटिलताएं दुनिया भर के पेशेवरों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई हैं।

चीन ने इस अवसर का फायदा उठाते हुए अपने नए K-वीजा के माध्यम से एक सुविधाजनक, लचीला और आकर्षक विकल्प पेश किया है।

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यह कदम न केवल वैश्विक प्रतिभा को आकर्षित करने की चीन की गंभीरता को दर्शाता है, बल्कि अमेरिका और चीन के बीच तकनीकी वर्चस्व की होड़ को और तेज करेगा।

आने वाले समय में, प्रतिभाशाली युवाओं के पास अपने करियर के लिए चुनने के लिए और अधिक विकल्प होंगे, और K-वीजा एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में उभर सकता है।

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