Homeन्यूजसुप्रीम कोर्ट ने महिला को फटकारा, आरक्षण का फायदा लेने के लिए...

सुप्रीम कोर्ट ने महिला को फटकारा, आरक्षण का फायदा लेने के लिए अपनाया था हिंदू धर्म

और पढ़ें

SC On Religious Conversion: सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण का लाभ उठाने के लिए किए गए धर्म परिवर्तन को संविधान और आरक्षण नीति के मूल उद्देश्यों के खिलाफ करार दिया है।

अदालत ने मद्रास हाई कोर्ट के एक फैसले को बरकरार रखते हुए ये फैसला सुनाया।

दरअसल एक महिला ने क्रिश्चियन धर्म अपना लिया था, लेकिन बाद में शेड्यूल कास्ट सर्टिफिकेट हासिल करने के लिए दावा किया कि वो हिंदू है।

जिसके बाद कोर्ट ने महिला की अपील को ठुकरा दिया और कहा कि इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है।

आरक्षण के लिए धर्म परिवर्तन संविधान के साथ धोखाधड़ी

सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट के एक फैसले को बरकरार रखते हुए ईसाई महिला को अनुसूचित जाति (SC) प्रमाणपत्र जारी करने से इनकार कर दिया।

अपीलकर्ता ने 24 जनवरी 2023 को मद्रास हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी।

जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ ने इस मामले में सुनवाई की।

अदालत ने सिर्फ आरक्षण का लाभ लेने के लिए किए गए धर्म परिवर्तन को “संविधान के साथ धोखाधड़ी” करार दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 25 का हवाला देते हुए बताया कि भारत में किसी भी धर्म को मानने की स्वतंत्रता है।

लेकिन, यदि धर्म परिवर्तन का उद्देश्य किसी प्रकार का लाभ उठाना है, तो यह संविधान की भावना और आरक्षण की सामाजिक नीति के खिलाफ है।

SC On Religious Conversion
SC On Religious Conversion

कोर्ट ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति केवल आरक्षण लाभ प्राप्त करने के लिए धर्म बदलता है, तो यह आरक्षण की नीति की सामाजिक भावना के खिलाफ होगा।

इस तरह का दोहरा दावा अस्वीकार्य है और वह ईसाई धर्म अपनाने के बावजूद एक हिंदू के रूप में अपनी पहचान बनाए नहीं रख सकती हैं।

अदालत ने स्पष्ट किया कि अनुसूचित जाति का दर्जा केवल उन्हीं व्यक्तियों को दिया जा सकता है, जो हिंदू, सिख या बौद्ध धर्म का पालन करते हैं।

ईसाई महिला ने बदला धर्म तो SC ने लगाई फटकार

दरअसल जिस महिला को अनुसूचित जाति प्रमाणपत्र जारी करने से इनकार किया गया है, उसके दावे और अपील को कोर्ट ने खारिज कर दिया है।

इसकी वजह है महिला का आरक्षण का लाभ लेने के लिए ईसाई से हिंदू धर्म अपनाना।

जानकारी के मुताबिक याचिकाकर्ता सी. सेल्वरानी ईसाई धर्म का पालन करती थीं।

लेकिन, उन्होंने दावा किया था कि वह हिंदू धर्म अपनाकर अनुसूचित जाति की वल्लुवन जाति से संबंधित हैं।

इसलिए उन्होंने पुडुचेरी में उच्च श्रेणी की लिपिक नौकरी के लिए अनुसूचित जाति प्रमाणपत्र मांगा था।

SC On Religious Conversion
SC On Religious Conversion

वहीं सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि महिला का जन्म ईसाई परिवार में हुआ था और उनके पिता ने भी हिंदू धर्म छोड़कर ईसाई धर्म अपनाया था।

जिसके बाद कोर्ट ने सबूतों के आधार पर कहा कि महिला नियमित रूप से चर्च जाती हैं और ईसाई धर्म का पालन करती हैं।

उन्होंने केवल आरक्षण का लाभ पाने के लिए हिंदू होने का दावा किया, जो अस्वीकार्य है।

SC On Religious Conversion
SC On Religious Conversion

पीठ ने कहा कि धर्म परिवर्तन सच्ची आस्था पर आधारित होना चाहिए ना कि लाभ के उद्देश्य से।

अदालत ने संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश, 1964 का उल्लेख किया, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि अनुसूचित जाति का दर्जा पाने के लिए धर्मांतरण के बाद पुनः अपनी मूल जाति में लौटने का ठोस सबूत होना चाहिए।

अदालत ने स्पष्ट किया कि केवल रोजगार में आरक्षण का लाभ पाने के लिए धर्म परिवर्तन करना संविधान और समाज के साथ धोखाधड़ी है।

यह निर्णय न केवल आरक्षण नीति को मजबूत करता है, बल्कि इसके दुरुपयोग को भी रोकने का संदेश देता है।

- Advertisement -spot_img