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बिहार नतीजों पर बोले CM मोहन यादव: ‘कांग्रेस की झाड़ू लगी, अब राजकुमार को घर भेजना पड़ेगा’

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

आलीराजपुर/जबलपुर। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शनिवार को बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर आलीराजपुर में आयोजित जनजातीय गौरव दिवस कार्यक्रम में हिस्सा लिया।

इस मौके पर सीएम ने कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी पर जमकर हमला बोला।

बिहार में हाल में घोषित चुनाव परिणामों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस की जोरदार झाड़ू लग गई है और अब ‘पप्पू की चप्पू-टप्पू’ बंद होने वाली है।

बिहार नतीजों पर सीएम का कांग्रेस पर हमला

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपने संबोधन में कहा,

कांग्रेस और उनके राजकुमार ने वोट के अधिकार को लेकर बिहार को कितना बदनाम कर दिया था। कल वहां जोरदार झाड़ू लगी है कांग्रेस की। जनता चाहती है कि इस राजकुमार को घर भेजना पड़ेगा। पप्पू की चप्पू-टप्पू सब बंद होने वाली है।”

उनकी यह टिप्पणी बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन पर केंद्रित थी।

सीएम ने कहा कि देश की जनता अब परिवारवाद की राजनीति से ऊब चुकी है और विकास के मुद्दों को तरजीह दे रही है।

बिरसा मुंडा व छीतू सिंह किराड़ की प्रतिमा का लोकार्पण

इससे पहले, सुबह 11.25 बजे आलीराजपुर पहुंचने पर सीएम यादव ने सबसे पहले स्वतंत्रता सेनानी भगवान बिरसा मुंडा और एक अन्य आदिवासी नेता छीतू सिंह किराड़ की प्रतिमाओं का लोकार्पण किया।

इस मौके पर उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस ने छीतू सिंह किराड़ जैसे वीरों को कभी याद नहीं किया, जिन्होंने 1882 में ही अंग्रेजों के खिलाफ 7 हजार आदिवासियों की फौज खड़ी कर दी थी।

244 करोड़ रुपये के विकास कार्यों का शिलान्यास

कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने आलीराजपुर जिले में कुल 244.51 करोड़ रुपये के विभिन्न विकास कार्यों का लोकार्पण और भूमिपूजन भी किया।

इन कार्यों में सड़क निर्माण, जल आपूर्ति योजनाएं और शैक्षणिक Infrastructure शामिल हैं, जिनका सीधा लाभ स्थानीय जनजातीय समुदाय को मिलेगा।

कौन थे भगवान बिरसा मुंडा? 

15 नवंबर, 1875 को झारखंड (तत्कालीन बिहार) में जन्मे बिरसा मुंडा भारत के स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख जनजातीय नेता और लोकनायक थे।

उन्हें ‘धरती आबा’ (पृथ्वी का पिता) के नाम से भी जाना जाता है।

उन्होंने अंग्रेजी शासन और जमींदारी व्यवस्था के खिलाफ ‘उलगुलान’ (महान विद्रोह) नामक एक शक्तिशाली आंदोलन की शुरुआत की।

Birsa Munda jayanti, Janjatiya Gaurav Diwas

समाज सुधार और ‘बिरसैत’ धर्म

बिरसा मुंडा ने केवल एक क्रांतिकारी ही नहीं, बल्कि एक समाज सुधारक के रूप में भी काम किया।

उन्होंने ‘बिरसैत’ नामक एक नए धर्म का प्रचार किया, जिसमें एक ईश्वर की उपासना, साफ-सफाई और अंधविश्वासों को छोड़ने पर बल दिया गया।

इसके जरिए उन्होंने आदिवासी समाज को संगठित और जागरूक किया।

उलगुलान आंदोलन: जल, जंगल, जमीन के अधिकार की लड़ाई

बिरसा मुंडा का उलगुलान आंदोलन मुख्य रूप से आदिवासियों के ‘जल, जंगल और जमीन’ पर उनके पारंपरिक अधिकारों की रक्षा के लिए था।

अंग्रेजों की लागन व्यवस्था और बंधुआ मजदूरी के खिलाफ इस आंदोलन ने एक बड़ा जनाधार बनाया।

बिरसा ने गुरिल्ला युद्ध तकनीक अपनाकर अंग्रेजी सेना को कड़ी टक्कर दी।

मध्य प्रदेश के जनजातीय समुदायों पर प्रभाव

हालांकि बिरसा मुंडा का कार्यक्षेत्र झारखंड था, लेकिन उनकी प्रेरणा मध्य प्रदेश के गोंड, भील सहित अन्य जनजातीय समुदायों तक पहुंची।

उनके संघर्ष ने पूरे मध्य भारत के आदिवासियों को अपने अधिकारों के लिए लड़ने की प्रेरणा दी।

Birsa Munda jayanti, Janjatiya Gaurav Diwas

बलिदान और विरासत

अंग्रेजों ने 1900 में बिरसा मुंडा को गिरफ्तार कर लिया और 9 जून, 1900 को मात्र 25 वर्ष की आयु में रांची जेल में उनकी रहस्यमय परिस्थितियों में मृत्यु हो गई।

उनका संघर्ष भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का एक स्वर्णिम अध्याय बन गया।

उनके सम्मान में भारत सरकार ने उनके जन्मदिन 15 नवंबर को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में घोषित किया है।

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