Vikrant Bhuria Missing From Protest: झाबुआ। जल, जंगल और जमीन के मुद्दे को लेकर सर्व आदिवासी समाज के बैनर तले गुरुवार को राणापुर में बड़ा आंदोलन हुआ।
इसमें झाबुआ और आलीराजपुर दोनों जिले के कांग्रेस नेता मंच पर नजर आए।
खास बात ये हैं कि इसी मुद्दे पर एक दिन पहले झाबुआ विधायक डॉ. विक्रांत भूरिया ने कलेक्टर को चिट्ठी लिखी थी, लेकिन वे ही आंदोलन से नदारद रहे जिसे लेकर चर्चाओं का दौर चला।
गौरतलब है कि राणापुर क्षेत्र के कुछ गांवों के जमीन अधिग्रहित किए जाने की अफवाह उड़ रही थी।
सर्व आदिवासी समाज के बैनर तले आंदोलन का ऐलान –
इस मुद्दे पर सर्व आदिवासी समाज के बैनर तले आंदोलन का ऐलान किया गया था।
गुरुवार को दोपहर साढ़े 12 बजे राणापुर के गुजरी मैदान में अलग अलग आदिवासी संगठनो के सदस्य जमा होने लगे।
इसमें कांग्रेस के प्रदेश सचिव हेमचंद डामोर, आलीराजपुर जिले के वरिष्ठ कांग्रेस नेता महेश पटेल, झाबुआ ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष काना गुण्डिया, वरिष्ठ नेता आशीष भूरिया, राणापुर ब्लॉक कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष मथियास भूरिया, जयस के जिलाध्यक्ष विजय डामोर, अनिल कटारा, लक्ष्मण डिंडोर सहित कई आदिवासी नेता शामिल थे।
जल, जंगल और जमीन के मुद्दे पर खुलकर रखी अपनी बात –
सभी ने जल, जंगल और जमीन के मुद्दे पर खुलकर अपनी बात रखी।
वक्ताओं ने कहा हम आदिवासियों की एक इंच भी जमीन ली तो सरकार को इसका अंजाम भुगतना होगा।
कांग्रेस नेता मथियास भूरिया तो अपनी ही पार्टी के नेताओं पर निशाना साधने से पीछे नही रहे।
उन्होंने कहा- जब मैंने जनहित का मुद्दा उठाया तो मुझे ही पद से हटा दिया गया।
पर मेरी आवाज दबेगी नहीं, यह और बुलंद होकर के निकलेगी।
नाम लिए बिना साधा निशाना –
मथियास ने नाम लिए बिना कहा- जब इनको वोट की जरूरत पड़ी थी तो ये मुझे गाड़ियों में बिठाकर ग्रामीणों के घर ले गए।
जब उन्हीं ग्रामीणों के घरों में किसी की मृत्यु हुई तो वह नेता बैठने तक नहीं गया।
जिसने मुझे पद से हटाया है उसको मैं भी अब आगे नहीं बढ़ने दूंगा, यह मेरी चेतावनी है।
मथियास ने यह भी कहा की ये आदिवासियों की लड़ाई है तो विक्रांत भूरिया और कांतिलाल भूरिया को भी आगे आना चाहिए था।
Vikrant Bhuria Missing From Protest: झाबुआ एसडीएम चुनाव लडने के मुड़ में तो नहीं –
आलीराजपुर जिले के वरिष्ठ कांग्रेस नेता महेश पटेल तो झाबुआ एसडीएम एसएन दर्रो पर जमकर बरसे।
उन्होंने कहा- एसडीएम साहब को चुनाव लडना है तो विक्रांत भूरिया से इस्तीफा दिलवा देता हूं।
नहीं तो भानू भूरिया का पद इनको दिलवा देते है। उन्होंने कहा प्रशासन आदिवासी समाज पर अत्याचार करना बंद करे।
आदिवासी समाज की जमीन हम किसी भी हालात में छिनने नही देंगे।
Vikrant Bhuria Missing From Protest: रैली के रूप में ज्ञापन देने पहुंचे –
गुजरी मैदान में प्रदर्शन के पश्चात यहां से तहसील कार्यालय तक रैली निकाली गई।
इस दौरान सभी सदस्य लोग नारे लगाते चल रहे थे कि ये जंगल, जमीन हमारी है।
तहसील कार्यालय पर एसडीएम को ज्ञापन सौंपा गया।
यहां pesa कानून के तहत एक आदेश भी सौंपा गया जिसमें स्पष्ट किया गया कि बिना ग्राम सभा के अनुमति के जमीन नहीं ली जा सकती है।