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जबलपुर की कटारिया फार्मेसी पर छापा, इसी कंपनी ने सप्लाई किया था छिंदवाड़ा में जहरीला कफ सिरप

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Jabalpur Kataria Pharmacy: मध्य प्रदेश और राजस्थान में 11 बच्चों की जान लेने वाला जहरीला कफ जबलपुर की एक फार्मेसी से सप्लाई हुआ था।

दरअसल, पिछले एक महीने से मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के परासिया ब्लॉक और आसपास के गांवों में खांसी-जुकाम से पीड़ित बच्चों को स्थानीय मेडिकल स्टोर्स से कफ सिरप दिया गया।

लेकिन इस सिरप को पीने के बाद बच्चों की तबीयत अचानक बिगड़ने लगी।

उन्हें उल्टी, दस्त होने लगे और पेशाब आना कम हो गया। स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि बच्चों के गुर्देो ने काम करना बंद कर दिया।

इलाज के दौरान छिंदवाड़ा के 9 और राजस्थान के 2 बच्चों ने दम तोड़ दिया।

कई बच्चे अभी भी नागपुर और छिंदवाड़ा के अस्पतालों में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं।

जबलपुर कनेक्शन: कटारिया फार्मेसी पर गिरी गाज

ये मामला देखते ही देखते काफी गंभीर होता जा रहा है, जिसे देखते हुए प्रशासन ने फौरन कार्रवाई के आदेश दिए थे।

इसी सिलसिले मे जांच की कड़ी जब जबलपुर पहुंची तो पता चला कि यह मौत का सिरप ‘कोल्ड्रिफ’ (Coldrif) और ‘नेक्स्ट्रो-डीएस’ (Nextro-DS) नामक ब्रांड का था, जिसकी सप्लाई जबलपुर शहर की कटारिया फार्मेसी ने की थी।

इस फार्मेसी ने छिंदवाड़ा के दो मेडिकल स्टोर्स ‘न्यू अपना एजेंसी’ और ‘जैन मेडिकल एंड आयुष फार्मा’ को इस सिरप की 660 बोतलें सप्लाई की थीं।

इनमें से 594 बोतलें छिंदवाड़ा में ही बेच दी गईं।

ड्रग इंस्पेक्टर टीम ने छापा मारा

शुक्रवार को औषधि नियंत्रण विभाग की एक टीम ने ड्रग इंस्पेक्टर शरद कुमार जैन के नेतृत्व में कटारिया फार्मेसी पर छापा मारा।

इस कार्रवाई में फार्मेसी पर मौजूद बची हुई 66 बोतलों में से 16 बोतलों को सैंपल के तौर पर जब्त कर लिया गया और बाकी की 50 बोतलों की बिक्री पर रोक लगा दी गई।

ये सभी सैंपल लैबोरेटरी में जांच के लिए भेज दिए गए हैं।

क्या है जहर का राज?

प्रारंभिक जांच और लक्षणों के आधार पर शक इस ओर जा रहा है कि इन कफ सिरप में ‘डायएथिलीन ग्लायकॉल’ (Diethylene Glycol) नामक एक जहरीला रसायन मौजूद था।

यह रसायन इंसानों के लिए अत्यंत विषैला होता है और यह सीधे किडनी पर हमला करता है, जिससे किडनी फेलियर हो जाता है।

यही कारण है कि जिन बच्चों ने इस सिरप का सेवन किया, उनकी किडनी ने काम करना बंद कर दिया और अंततः उनकी मौत हो गई।

स्वास्थ्य मंत्री का बयान

इस पूरे मामले पर मध्य प्रदेश के उप मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने एक अहम बयान दिया है।

उन्होंने बताया कि छिंदवाड़ा की घटना के बाद जांच के लिए कुल 12 अलग-अलग सिरप के सैंपल भेजे गए थे।

अब तक इनमें से तीन सैंपल की रिपोर्ट आ चुकी है और इन तीनों रिपोर्ट्स में किसी भी प्रकार के आपत्तिजनक तत्व नहीं पाए गए हैं।

मंत्री ने आशंका जताई कि हो सकता है कि दवा का कोई विशेष लॉट दूषित हो, क्योंकि प्रतिबंधित दवा आमतौर पर बाजार में मिलती ही नहीं है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि पूरी जांच रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट तस्वीर सामने आ पाएगी और उसी के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

प्रशासन की कार्रवाई और सख्त हिदायतें

इस घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन सख्ती से हरकत में आया है।

छिंदवाड़ा के सीएमएचओ ने संदिग्ध सिरप के बैच को तुरंत प्रतिबंधित कर दिया है।

सभी मेडिकल स्टोर्स को निर्देश दिए गए हैं कि वे तुरंत अपने पास मौजूद इस सिरप के स्टॉक की जानकारी दें और उसकी बिक्री तत्काल रोक दें।

निजी डॉक्टरों को भी सख्त हिदायत दी गई है कि वे इन ब्रांड्स की सिरप बच्चों को प्रिस्क्राइब न करें।

साथ ही, खांसी-जुकाम जैसे लक्षण वाले मामलों में बच्चों को सीधे सरकारी अस्पताल भेजने की सलाह दी गई है।

परिजनों में गुस्सा

जिन परिवारों ने अपने बच्चों को खोया है, वे सदमे और गुस्से से भरे हुए हैं।

उनके मन में बस एक सवाल है: आखिर जिम्मेदार कौन है?

उन्होंने अपने बच्चों का इलाज करवाने के लिए जो दवा खरीदी, वही उनकी मौत का कारण बन गई।

इस घटना ने लोगों के मन में इतनी दहशत पैदा कर दी है कि अब वे छोटी-मोटी बीमारियों के लिए भी दवा खरीदने से डर रहे हैं।

पांच सदस्यीय टीम कर रही है गहन जांच

इस गंभीर मामले की तह तक पहुंचने और पूरी सप्लाई चेन का पता लगाने के लिए ड्रग कंट्रोलर ने एक पांच सदस्यीय जांच समिति गठित की है।

इस टीम में जबलपुर, बालाघाट, मंडला और छिंदवाड़ा के अधिकारी शामिल हैं।

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