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दाऊदी बोहरा समाज ने 15 साल से छोटे बच्चों के लिए बैन किए मोबाइल

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Manish Kumar
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मनीष आधुनिक पत्रकारिता के इस डिजिटल माध्यम को अच्छी तरह समझते हैं। इसके पीछे उनका करीब 16 वर्ष का अनुभव ही वजह है। वे दैनिक भास्कर, नईदुनिया जैसे संस्थानों की वेबसाइट में काफ़ी समय तक अपनी सेवाएं दे चुके हैं। देशगांव डॉट कॉम और न्यूज निब (शॉर्ट न्यूज ऐप) की मुख्य टीम का हिस्सा रहे। मनीष फैक्ट चैकिंग में निपुण हैं। वे गूगल न्यूज इनिशिएटिव व डाटालीड्स के संयुक्त कार्यक्रम फैक्टशाला के सर्टिफाइट फैक्ट चेकर व ट्रेनर हैं। भोपाल के माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय से पढ़ाई कर चुके मनीष मानते हैं कि गांव और शहर की खबरों को जोड़ने के लिए मीडिया में माध्यमों की लगातार ज़रूरत है।

Mobile Ban For Children: बच्चों को मोबाइल की लत से बचाने के लिए दाऊदी बोहरा समाज ने एक अहम फैसला लिया है।

समाज ने 15 साल से कम उम्र के सभी बच्चों के लिए मोबाइल का इस्तेमाल पूरी तरह से बैन कर दिया है।

इस फैसले को दाऊदी बोहरा समाज के धर्मगुरु सैयदना आलीकदर मुफद्दल मौला ने लिया है।

सैयदना साहब द्वारा लिए गए इस फैसले को लागू करने के लिए अब देश-दुनिया में फैले सभी अनुयायियों को प्रेरित किया जा रहा है।

बता दें कि सैयदना साहब ने हाल ही में समाज के बच्चों से चर्चा की थी।

Mobile Ban For Children, Dr Syedna Mufaddal Saifuddin

चर्चा के दौरान उन्होंने बच्चों को मोबाइल की लत से होने वाली समस्याओं के बारे में जागरूक किया था।

विशेषज्ञों के मुताबिक, मोबाइल का बहुत ज्यादा इस्तेमाल बच्चों पर कई नकारात्मक प्रभाव डालता है।

  • आंखों की समस्याएं – लंबे समय तक मोबाइल स्क्रीन देखने से आंखों की रोशनी कमजोर होती है।
  • शारीरिक दिक्कतें – गर्दन और पीठ में दर्द, मोटापा और शारीरिक कमजोरी।
  • मनोवैज्ञानिक प्रभाव – चिड़चिड़ापन, नींद की कमी, डिप्रेशन और एंग्जाइटी।
  • ऑटिज्म के मामले बढ़े – छोटे बच्चों में स्क्रीन टाइम बढ़ने से ऑटिज्म के मामलों में 5-10% तक की बढ़ोतरी देखी गई है।

Mobile Ban For Children: समाज द्वारा ऐसे चलाया जाएगा अभियान –

Mobile Ban For Children

मोबाइल की लत से छुटकारा दिलाने और बच्चों को जागरूक करने के लिए समाज ने कई कदम उठाने की योजना बनाई है।

इनमें सबसे पहला है मस्जिदों और संगठनों में कमेटियों का गठन।

इन कमेटियों के द्वारा बच्चों और माता-पिता को मोबाइल के नकारात्मक प्रभावों के बारे में जागरूक किया जाएगा।

इसके साथ ही समाज ने स्कूलों और सामुदायिक संगठनों के सहयोग से सेमिनार और वर्कशॉप का आयोजन करने का फैसला किया है।

मोबाइल की लत से छुटकारा दिलाने के लिए बच्चों और पैरेंट्स के लिए डॉक्टर और मनोचिकित्सकों से परामर्श सत्र आयोजित किए जाएंगे।

इन सबके साथ ही समाज द्वारा जागरूकता अभियान चलाया जाएगा जिसमें माता-पिता को बच्चों की स्क्रीन टाइम सीमित करने के उपाय बताए जाएंगे।

Mobile Ban For Children

Mobile Ban For Children: बच्चों में बढ़ रही हैं ये समस्याएं –

बता दें कि मोबाइल स्क्रीन टाइम के लगातार बढ़ने की वजह से बच्चों में ये खतरे बढ़ते जा रहे हैं।

आजकल 2 से 5 साल के बच्चे भी मोबाइल पर 5-6 घंटे से ज्यादा समय बिता रहे हैं।

इस कारण करीब 20-30 फीसदी बच्चों को काफी कम उम्र में ही चश्मा लगाना पड़ रहा है।

इतना ही नहीं, 10-15 फीसदी बच्चों में डिप्रेशन और एंग्जाइटी के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं।

Mobile Ban For Children: समाज की माता-पिता से अपील –

दाऊदी बोहरा समाज ने माता-पिता से अपील की है कि वे बच्चों को मोबाइल के नुकसान समझाएं।

इसके साथ ही उन्हें मोबाइल की लत से बचाने के लिए समाज के इस अभियान का हिस्सा बनें।

समाज का यह कदम बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।

अगर इस तरह के प्रयास व्यापक रूप से लागू किए जाएं तो बच्चों की जीवनशैली और भविष्य को सुधारने में काफी फायदा मिल सकता है।

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