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28.5 घंटे बाद शुरु हुआ दिल्ली एयरपोर्ट: ATS सिस्टम फेल होने से 1000 से ज्यादा फ्लाइट्स डिले हुई थीं

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Delhi airport Flights Restart: दिल्ली का इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा (IGI Airport) शुक्रवार, 7 नवंबर की सुबह से एक बड़ी तकनीकी समस्या की वजह से पूरी तरह ठप्प हो गया था।

एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) का ऑटोमेटिक मैसेज स्विचिंग सिस्टम (AMSS) फेल होने के कारण हवाई अड्डे का संचालन प्रभावित हुआ है।

इसकी वजह से 1000 से अधिक उड़ानें लेट हो गई हैं और सैकड़ों यात्रियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं।

एयर ट्रैफिक कंट्रोलर को मैन्युअली फ्लाइट्स का शेड्यूल करना पड़ा जिससे काम की गति धीमी हो गई थी।

करीब 28.5 घंटे तक चले इस संकट के बाद रविवार दोपहर को हवाईअड्डे का संचालन फिर से शुरू हुआ।

क्या हुआ था?

समस्या हवाई यातायात नियंत्रण प्रणाली (Air Traffic Control System- ATS) के सॉफ्टवेयर में आई थी।

यह प्रणाली हवाईअड्डे पर उड़ानों के उड़ान और लैंडिंग को नियंत्रित करती है।

इसके खराब होने के कारण कोई भी विमान हवाईअड्डे से न तो उड़ान भर पा रहा था और न ही यहाँ लैंड कर पा रहा था।

कब सुधरा हाल?

हवाईअड्डा प्रबंधन ने लगातार सिस्टम को ठीक करने की कोशिश की।

आखिरकार, 8 नवंबर को दोपहर 12 बजे के आसपास उड़ानों का संचालन फिर से शुरू किया जा सका।

हवाई अड्डा प्राधिकरण ने कहा कि एयरलाइन संचालन धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है और यात्रियों से अपील की गई है कि वे अपनी उड़ान की नवीनतम जानकारी के लिए संबंधित एयरलाइन से संपर्क करें।

भोपाल से चंडीगढ़ तक, देश के कई राज्यों में उड़ानें हुई प्रभावित

इस तकनीकी खराबी का असर सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं रहा।

दिल्ली से आने-जाने वाली उड़ानों पर निर्भर देश के कई अन्य हवाई अड्डे भी इसकी चपेट में आ गए हैं।

भोपाल, चंडीगढ़, अहमदाबाद, अमृतसर, जबलपुर और लखनऊ जैसे शहरों से दिल्ली के लिए उड़ान भरने वाली या वहां से आने वाली फ्लाइट्स में भी देरी दर्ज की गई है।

इस खराबी का सबसे बुरा असर यात्रियों पर पड़ा है।

दिल्ली एयरपोर्ट पर चेक-इन काउंटरों और बोर्डिंग गेट्स पर लंबी-लंबी कतारें लगी देखी गईं।

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क्या है ये AMSS सिस्टम और क्यों है इतना महत्वपूर्ण?

इस पूरी समस्या की जड़ है ऑटोमेटिक मैसेज स्विचिंग सिस्टम (AMSS)।

इसे एयर ट्रैफिक कंट्रोल की रीढ़ की हड्डी कहा जाए तो गलत नहीं होगा।

यह एक कंप्यूटर नेटवर्क सिस्टम है जो पायलटों, ग्राउंड स्टाफ और देशभर के अलग-अलग हवाई अड्डों के बीच रीयल-टाइम टेक्स्ट मैसेज का आदान-प्रदान करता है।

AMSS सिस्टम ये काम करता है:

  • फ्लाइट प्लान भेजना: हर उड़ान का पूरा रूट, ऊंचाई, ईंधन की मात्रा आदि की जानकारी स्वचालित रूप से सभी संबंधित पक्षों को भेजता है।
  • रियल-टाइम अपडेट: फ्लाइट के उड़ान भरने, लैंड करने, देरी होने, रद्द होने या रूट बदलने की जानकारी तुरंत पहुंचाता है।
  • मौसम की जानकारी: उड़ान मार्ग में मौसम संबंधी कोई भी बदलाव या चेतावनी जारी करता है।
  • समन्वय बनाए रखना: यह पूरे एयर ट्रैफिक सिस्टम को सिंक्रोनाइज रखता है, ताकि हवा में जहाजों के बीच सुरक्षित दूरी बनी रहे।

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AMSS फेल हो जाए तो क्या होता है?

जैसा कि दिल्ली में हुआ, जब AMSS सिस्टम फेल हो जाता है, तो सारा काम मैन्युअल हो जाता है।

एयर ट्रैफिक कंट्रोलरों को हाथ से हर एक फ्लाइट का शेड्यूल तैयार करना, मंजूरी देना और जानकारी भेजनी पड़ती है।

यह प्रक्रिया ऑटोमेटिक सिस्टम के मुकाबले काफी धीमी है।

इससे फ्लाइट्स के टेकऑफ और लैंडिंग के बीच का फासला बढ़ जाता है, जिससे देरी होती है।

साथ ही, मानवीय त्रुटि (Human Error) की संभावना भी बढ़ जाती है, जो सुरक्षा के लिहाज से चिंता का विषय हो सकता है।

यह घटना देश के सबसे व्यस्त हवाईअड्डे की तकनीकी निर्भरता और ऐसी विफलता के गंभीर परिणामों को उजागर करती है।

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