Delimitation of MP: सियासत में वादे और दावे वक्ती होते है, बहुत कम होता है जब जो कहा जाए वो किया भी जाए।
ये बात कहने में इसलिए आ रही है क्योंकि मोहन सरकार ने फैसला लिया है कि मध्यप्रदेश का परिसीमन नए सिरे से होगा।
अब सरकर ने ये फैसला क्यों लिया और इसके पीछे की वजह क्या है? आइए जानते हैं लेकिन उससे पहले समझतें हैं सरकार का फैसला
Delimitation of MP: MP में फिर तय होंगी जिलों-संभागों की सीमाएं
मध्यप्रदेश में संभागों, जिलों और तहसीलों का सीमांकन नए सिरे से किया जाएगा।
इसके लिए सरकार ने परिसीमन आयोग का गठन कर दिया है। सदस्यों के नाम पर फैसला बाद में होगा।
फिलहाल 3 सदस्यीय आयोग का अध्यक्ष रिटायर्ड एसीएस मनोज श्रीवास्तव को बनाया गया है।
इसी के साथ बीना तहसील को जिला बनाने की घोषणा टाल दी गई है। सरकार की मानें तो वह छोटा जिला बनाने के पक्ष में नहीं है।
सागर जिले की अंदरूनी सियासत को साधने के लिए बीना को जिला बनाने का मामला टला है।
2026 में विधानसभा सीटों का परिसीमन होना है। खुरई को भी जिला बनाने की मांग ने जोर पकड़ लिया है।
खुरई के लोग नहीं चाहते बीना जिला बने क्योंकि खुरई सागर की सबसे पुरानी तहसील है।
बीना की सागर से दूरी 70 किलोमीटर तो वहीं खुरई सागर से 50 किलोमीटर दूर है।
सागर जिले के नेताओं से क्षेत्रीय नेता ज्यादा पावरफुल हैं।
बीना जिला बनता है तो उन नेताओं का प्रभाव कम होगा। खासतौर से भूपेन्द्र सिंह का कार्यक्षेत्र बदल जाएगा।
2 सितंबर को सागर जिले की कोर ग्रुप की बैठक में बीना को जिला नहीं बनाने का फैसला हुआ है।
लेकिन, मंडी बामौरा को नगर परिषद और खिमलासा को तहसील बनाने का फैसला हो सकता है।
Delimitation of MP: मोहन सरकार के फैसले के पीछे की ये है वजह
बीना और खुरई को जिला बनाने की मांग के बीच मोहन सरकार ने एक नया रास्ता खोज निकाला है।
सरकार ने एमपी में जिले,संभाग और तहसीलों की सीमाओं का नए सिरे से पुर्ननिर्धारण कराने का फैसला लिया है।
इसके पीछे है बीना और खुरई के उन दिग्गज नेताओं को साधना जो अपने क्षेत्रों को जिला बनाने की मांग पर अडिग हैं।
खासतौर से निर्मला सप्रे जो बीना से कांग्रेस के टिकट पर इस वादे के साथ जीतीं थी कि सरकार बनेगी तो बीना को जिला बनाया जाएगा।
उस दौरान बीजेपी में भी इस आश्वासन पर उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा की सदस्यता ली थी।
लेकिन, भाजपा के लिए ये इतना आसान नहीं है क्योंकि खुरई को भी जिला बनाने की मांग लंबे अर्से से की जा रही है। जो पार्टी के कद्दावर नेता भूपेन्द्र सिंह का क्षेत्र है।
लिहाजा बीना जिला बनता है तो उनके सियासी शुभ लाभ प्रभावित होंगे और वैसे भी सागर जिले में क्षेत्रीय नेताओं का दबदबा कितना है ये जगजाहिर है।
यही वजह है कि फिलहाल मामले को थोड़ा ठंडा करने के लिए सीमाओं के पुर्ननिर्धारण का पांसा फेंका गया है।
Delimitation of MP: जिला बनाए जाने की कतार में हैं और भी नाम
बीना को जिला बनाया जाता है तो भाजपा को उप चुनाव में फायदा मिल सकता है।
बहरहाल बीना और खुरई के अलावा गुना जिले का चाचौड़ा,छिंदवाड़ा का जुन्नारदेव,छतरपुर का लवकुशनगर और धार जिले का मनावर भी जिला बनाए जाने की कतार में हैं।
लेकिन, सरकार ने 2026 में विधानसभा क्षेत्रों का परिसीमन और जिलों की सीमाओं को नए सिरे से तय करने का फैसला किया है।
सरकार इस मामले को ठंडे बस्ते में डालकर सागर जिले की सियासत को साधने की कोशिश में है।
हालांकि इस सारी कवायद के बाद भी आने वाले समय में जिला बनाने के मुद्दे पर सियासी उबाल नहीं आएगा ये कहना मुश्किल है।
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