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रामभद्राचार्य और प्रेमानंद जी विवाद पर बोले बागेश्वर बाबा- “लोगों का काम है आग में घी डालना”

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Dhirendra Shastri On Premanand: प्रेमानंद महाराज पर जगद्गुरु रामभद्राचार्य के बयान पर अब बागेश्वर बाबा धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का बयान सामने आया है।

मुंबई के भिवंडी स्थित बागेश्वर सनातन मठ में एक कार्यक्रम के दौरान, बागेश्वर धाम के प्रसिद्ध संत धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने जगद्गुरु रामभद्राचार्य और प्रेमानंद महाराज के बीच के कथित विवाद पर अपनी स्पष्ट राय रखी।

उन्होंने कहा कि कुछ लोगों का काम संतों के बीच आग में घी डालने का है, जिससे सनातन धर्म को नुकसान पहुंच रहा है।

आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला…

रामभद्राचार्य ने उठाया था प्रेमानंद महाराज पर सवाल

यह विवाद तब शुरू हुआ जब जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने एक इंटरव्यू में कथावाचकों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि पहले केवल विद्वान ही शास्त्रों का प्रचार करते थे, लेकिन अब कुछ लोग बिना गहन ज्ञान के भी कथाएं कर रहे हैं।

जब उनसे सीधे तौर पर प्रेमानंद महाराज के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि प्रेमानंद जी “बालक के समान” हैं और शास्त्रीय चर्चा में एक संस्कृत श्लोक भी ठीक से नहीं बता सकते।

उन्होंने यह भी कहा कि अगर प्रेमानंद जी में वास्तव में चमत्कारिक शक्तियां हैं, तो वे संस्कृत का एक अक्षर बोलकर दिखाएं।

इस टिप्पणी को सोशल मीडिया और मीडिया में व्यापक प्रसार मिला और इसे एक बड़े विवाद का रूप दे दिया गया।

कई लोगों ने इसे प्रेमानंद महाराज के प्रति अपमानजनक माना।

विवाद के बाद रामभद्राचार्य ने दी सफाई

विवाद बढ़ने के बाद, स्वामी रामभद्राचार्य ने सोमवार को एक स्पष्टीकरण जारी किया।

उन्होंने कहा कि उनकी टिप्पणी को गलत संदर्भ में पेश किया गया है और उनका उद्देश्य किसी की भावनाओं को आहत करना नहीं था।

उन्होंने जोर देकर कहा, “मैंने प्रेमानंद जी के लिए कोई अभद्र टिप्पणी नहीं की। मेरा आशय केवल शास्त्रीय ज्ञान की गहराई की आवश्यकता पर बल देना था।”

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उन्होंने यह भी कहा कि वे प्रेमानंद महाराज का सम्मान करते हैं और संत समाज में एकता बनाए रखने की जरूरत है।

उन्होंने भक्तों से अपील की कि उनके बयान को गलत ढंग से न देखें और कहा, “अगर प्रेमानंद जी मुझसे मिलने आएंगे, तो मैं उन्हें गले लगाऊंगा।”

बागेश्वर महाराज ने दोनों को बताया ‘वंदनीय’

इस पूरे प्रकरण पर बागेश्वर धाम महाराज ने गुरुवार को अपनी प्रतिक्रिया दी।

उन्होंने कहा कि उन्होंने वह वीडियो देखा और उन्हें बहुत बुरा लगा कि कैसे लोग संतों की बातों को तोड़-मरोड़कर पेश कर रहे हैं।

उन्होंने दोनों ही संतों के योगदान को स्वीकार करते हुए कहा, “जगद्गुरु रामभद्राचार्य के मन में कोई द्वेष नहीं है, वे सभी से प्रेम करते हैं।

दूसरी ओर, प्रेमानंद महाराज ने अपने भजनों के माध्यम से युवाओं को सनातन धर्म से जोड़ने का बहुत बड़ा काम किया है। दोनों ही अपनी-अपनी जगह वंदनीय हैं।”

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मीडिया और सोशल मीडिया ट्रोल्स को दी चेतावनी

बाबा बागेश्वर ने चिंता जताई कि सोशल मीडिया और मीडिया द्वारा संतों के बीच की बातचीत को विवाद का रूप देकर सनातन धर्म का नुकसान किया जा रहा है।

उन्होंने कहा, “कुछ लोग संतों को आपस में लड़वाकर सनातन धर्म की धज्जियां उड़ा रहे हैं। संतों के बीच की बात को सम्मान का विषय माना जाए, न कि विवाद का।”

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यह पूरा घटनाक्रम इस बात की ओर इशारा करता है कि कैसे संतों के बीच की आंतरिक बातचीत या मतभेदों को बाहर लाकर और उसे विवादित रूप में पेश करके एक बड़े वर्ग द्वारा सनातन समाज को कमजोर करने का प्रयास किया जा सकता है।

तीनों ही संतों ने अलग-अलग तरीके से इस बात पर जोर दिया कि इस समय सनातन धर्म के लिए एकजुटता सबसे जरूरी है, न कि आपसी विवाद।

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