Trump Mental Health: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का मानसिक स्वास्थ्य इन दिनों चर्चा का केंद्र बना हुआ है।
देश के दो जाने-माने मनोवैज्ञानिकों ने ट्रंप की मानसिक स्थिति को लेकर गंभीर चिंता जताई है और दावा किया है कि उनमें ‘फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया’ (Frontotemporal Dementia – FTD) नामक गंभीर बीमारी के लक्षण नज़र आ रहे हैं।
अमेरिका के प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक डॉ. जॉन गार्टनर और डॉ. हैरी सेगल ने ट्रंप के हाल के व्यवहार और शारीरिक हलचलों का विश्लेषण करने के बाद यह चेतावनी दी है।
मनोवैज्ञानिकों ने क्या कहा?
उनका कहना है कि 79 वर्षीय ट्रंप की मानसिक और शारीरिक स्थिति में धीरे-धीरे गिरावट आ रही है।
विशेषज्ञों ने ट्रंप की चाल (Walking Style) पर विशेष चिंता जताई है।
डॉ. गार्टनर के अनुसार, FTD का एक प्रमुख लक्षण ‘वाइड-बेस्ड गेट’ (Wide-Based Gait) है, जिसमें व्यक्ति चलते समय अपने पैरों को असामान्य रूप से फैलाता है और उसका संतुलन बिगड़ा हुआ नज़र आता है।

उन्होंने हाल ही में अलास्का में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात के दौरान वीडियो का हवाला दिया, जिसमें ट्रंप लाल कालीन पर चलते हुए डगमगाते और लड़खड़ाते दिखाई दिए थे।
डॉ. गार्टनर ने बताया, “वीडियो में साफ देखा जा सकता था कि ट्रंप का दाहिना पैर उन्हें बाईं ओर धकेल रहा था और संतुलन बनाने के लिए वे दूसरी तरफ जा रहे थे। अगर यह नशे की ड्राइविंग टेस्ट होती, तो वे इसमें फेल हो जाते।”
डॉ. सेगल इस बात से सहमत दिखे और कहा कि ट्रंप उस वक्त नशे में नहीं लग रहे थे, लेकिन फिर भी वे अपने पैरों पर नियंत्रण खो रहे थे।
Trump’s 3 hour and 17 minute cabinet meeting summarized in under 90 seconds. https://t.co/5bpT0maAnd
— Poli Alert ⚖️ (@polialertcom) August 26, 2025
ट्रंप का दावा और डॉक्टरों की प्रतिक्रिया
इन गंभीर दावों के विपरीत, डोनाल्ड ट्रंप हमेशा अपनी Cognitive Abilities की तारीफ करते रहे हैं।
अप्रैल महीने में अपनी सालाना मेडिकल जांच के बाद उन्होंने दावा किया था कि उन्होंने एक संज्ञानात्मक परीक्षण (Cognitive Test) में टॉप स्कोर किया है।
हालांकि, डॉ. सेगल और डॉ. गार्टनर का मानना है कि यह परीक्षण बेहद आसान होता है और इसे पास करना कोई बड़ी बात नहीं है।

उनका तर्क है कि ट्रंप के रोजमर्रा के व्यवहार, भाषण और चाल-ढाल में दिख रही समस्याएं एक आसान टेस्ट से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण हैं और ये एक गहरी स्वास्थ्य समस्या की ओर इशारा कर रही हैं।
JUST IN: Karoline Leavitt announces that President Trump has fallen ill and been diagnosed with “Chronic Venous Insufficiency” and is why POTUS has been seen in images with swollen ankles and other visible symptoms. pic.twitter.com/QWLvFlSOWp
— Tish Hall (@TishOlivier90) July 17, 2025
आखिर क्या है फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया (FTD)?
फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया डिमेंशिया का एक कम सामान्य प्रकार है, जो मस्तिष्क के सामने वाले (Frontal) और कनपटी वाले (Temporal) हिस्सों को प्रभावित करता है।
अल्जाइमर की तरह यह याददाश्त को पहले प्रभावित नहीं करता, बल्कि इसका सबसे पहला असर व्यक्ति के व्यवहार, भावनाओं, भाषा और सामाजिक व्यवहार पर पड़ता है।
इसके प्रमुख लक्षणों में शामिल हैं:
- व्यक्तित्व और व्यवहार में बड़ा बदलाव (जैसे गुस्सा, आवेगी होना)
- सामाजिक तौर-तरीकों को भूल जाना
- निर्णय लेने की क्षमता में कमी
- बोलने या भाषा को समझने में दिक्कत
- शारीरिक संतुलन और चाल में बदलाव
🚨 Donald j Trump 🚨
RAPIDLY DECLINING HEALTH
⚕️ MORBIDLY OBESE
⚕️ EXCESSIVE BRUISING
⚕️ EXTREME WATER RETENTION
⚕️ MEMORY LOSS & CONFUSION
THESE ARE HIS FINAL DAYS 🕊️ pic.twitter.com/vCrUeAgjoZ— #WeThePeople📍 Project 2o26 🇺🇸 (@BrianKirt) August 26, 2025
पहले से मौजूद है एक और बीमारी
इसके अलावा, यह भी खुलासा हुआ है कि डोनाल्ड ट्रंप पहले से ही ‘क्रोनिक वेनस इनसफीशिएंसी’ (Chronic Venous Insufficiency) नामक बीमारी से पीड़ित हैं।
व्हाइट हाउस ने भी इसकी पुष्टि की थी।
इस स्थिति में पैरों की नसें कमजोर हो जाती हैं और खून को दिल तक वापस पंप करने में मुश्किल होती है, जिससे पैरों में सूजन, दर्द और भारीपन महसूस होता है।
व्हाइट हाउस की प्रवक्ता ने इसे 70 साल से अधिक उम्र के लोगों में होने वाली एक सामान्य समस्या बताया था।

स्वास्थ्य बना सियासी हथियार
2024 के अमेरिकी चुनावों में ट्रंप ने अपने प्रतिद्वंद्वी और मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन (82 वर्ष) की उम्र और मानसिक स्थिति को एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया था।
हालांकि, अब जब ट्रंप खुद ही स्वास्थ्य संबंधी सवालों के घेरे में हैं, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह मुद्दा अब उनके खिलाफ काम करेगा और चुनावी समीकरण बदलेगा या नहीं।
कुलमिलाकर, मनोवैज्ञानिकों की चेतावनी ने ट्रंप के स्वास्थ्य को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है, जो आने वाले चुनावी महीनों में और गर्मा सकती है।


