Public Trust Bill: मध्य प्रदेश में दीवारों पर पोस्टर चिपकाने या लिखने पर मनाही रहेगी।
मध्य प्रदेश सरकार ने विधानसभा में लोक न्यास विधेयक को पेश किया है।
इस विधेयक के तहत बिना अनुमति के दीवारों पर पोस्टर चिपकाने या कुछ भी लिखने पर जुर्माना लगेगा।
इसके अलावा ऊर्जा, नगरीय विकास, सहकारिता और श्रम विभागों में भी जुर्माने में वृद्धि की गई है।
दीवार पर लिखा तो लगेगा 5 हजार का जुर्माना
मध्य प्रदेश सरकार ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र में लोक न्यास विधेयक (Public Trust Bill) पेश किया।
इसमें प्रशासनिक कार्यों को सरल बनाने और जन विश्वास बढ़ाने के उद्देश्य से कई महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं।
इस विधेयक के तहत अब से बिना अनुमति के दीवारों पर लेखन करने या पोस्टर चिपकाने पर 5 हजार तक का जुर्माना लगाया जाएगा।
यह जुर्माना पहले कम था, लेकिन नए विधेयक में इसे बढ़ा दिया गया है।
अब से ऐसे मामले न्यायालय में नहीं जाएंगे, जिससे इनका जल्द से जल्द निपटारा हो सकेगा।
बता दें पहले ऐसे मामलों को अदालत में पेश करने की आवश्यकता होती थी।
लेकिन, नए प्रावधान में अधिकारियों को सीधे जुर्माना लगाने का अधिकार दिया गया है।
विधेयक में कई विभागों में जुर्माना की सीमा बढ़ी
लोक न्यास विधेयक में कई विभागों के जुर्माना की सीमा को बढ़ाया गया है।
ऊर्जा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अपने उपयोग के लिए कैप्टिव पावर प्लांट स्थापित करने वाले व्यक्तियों को उत्पादन और खपत का लेखा-जोखा प्रस्तुत करना होता है।
अब से इस लेखा-जोखा को प्रस्तुत नहीं करने पर 5 हजार रुपये तक का जुर्माने लगेगा, जो पहले 500 रुपये हुआ करता था।
इसी तरह नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने भी प्रविधान प्रस्तावित किया है।
इसके तहत पानी की नाली या सड़क को अपने उपयोग के लिए क्षतिग्रस्त करने या फिर निजी भूमि पर मार्ग के लिए चूने की लाइन डालकर प्लाटिंग करने पर जुर्माना लगेगा।
पहले यह अर्थदंड 500 रुपये था, जो अब 5 हजार रुपये कर दिया गया है।
इसी तरह के प्रावधान सहकारिता, श्रम सहित अन्य विभागों के अधिनियमों में भी किए गए हैं।
जन विश्वास विधेयक के तर्ज पर तैयार नया विधेयक
भारत सरकार ने साल 2023 में पब्लिक ट्रस्ट बिल पेश कर कामकाज की जटिल प्रक्रियाओं को खत्म करने की दिशा में कदम उठाया था।
इसी तर्ज पर राज्य सरकार ने भी लोक न्यास विधेयक (Public Trust Bill) तैयार किया है, जिसका उद्देश्य अनावश्यक कानूनी प्रक्रियाओं को समाप्त करना है।
इस विधेयक में विभागों के विभिन्न अधिनियमों के उन प्रविधानों को शामिल किया है, जिनमें जुर्माने का प्रविधान था।
वहीं अधिकारियों को उन मामलों में सीधे जुर्माना लगाने का अधिकार दिया गया है, जिनमें पहले अदालत जाना पड़ता था।
पहले संबंधित विभाग को प्रकरण न्यायालय में प्रस्तुत करने होते थे, जबकि इनका निराकरण समझौते के माध्यम से आसानी से किया जा सकता है।
इसलिए अब से कई मामले अदालत में नहीं जाएंगे, जिससे इनका तुरंत निपटारा हो सकेगा।